करोड़ों की सरकारी जमीन पर पट्टे देने की तैयारी!
बाड़मेर। शहर के महावीर सर्किल के ठीक पास स्थित करीब दस करोड़ रूपए के बाजार मूल्य की सरकारी जमीन पर पांच पट्टे जारी करने की तैयारी की जा रही है। एक ही परिवार के जिन पांच सदस्यों के नाम पट्टे जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, वे इस बेशकीमती जमीन पर अपना स्वामित्व न्यायालय में साबित नहीं कर पाए। ऎसे में हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में ही नगरपरिषद को निर्देश दिए कि वे इस जमीन से उन्हें विधिपूर्वक बेदखल करें,लेकिन परिषद की ओर से इन्हें बेदखल करने की बजाय पट्टे जारी करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
राजस्व रेकर्ड में नगरपरिषद के नाम दर्ज खसरा संख्या 1431 में छह वर्ष पहले परिषद ने चौदह पट्टे जारी किए थे, जिसे बाद में जिला कलक्टर के निर्देश पर खारिज करना पड़ा और शहर कोतवाली थाने में सोलह जनों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। इसी खसरे में मुख्य सड़क पर पारसमल व सोहनलाल पुत्र शंकरलाल निवासी बाड़मेर ने स्वयं की जमीन होने का दावा किया। जमीन के स्वामित्व को लेकर पारसमल, सोहनलाल ने नगर परिषद के विरूद्ध वर्ष 2003 में अपर सिविल न्यायालय (व ख) बाड़मेर में वाद दायर किया।
न्यायालय ने 27 अप्रेल 2004 को दिए निर्णय में बताया कि पारसमल व सोहनलाल के पास ऎसे कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे इनका स्वामित्व सिद्ध होता हो। लिहाजा नगरपरिषद इन्हें विधिपूर्वक हटाएं। यहां से यह मामला अपील में अपर जिला न्यायालय के पास चला गया। एडीजे ने भी निर्णय यथावत रखा। इसके बाद परिवादी पारसमल व सोहनलाल ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में इनकी अपील खारिज की और निर्णय यथावत रखा।
बोर्ड ने नीलामी का प्रस्ताव पारित किया
महावीर सर्किल के ठीक पास गडरारोड जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित 400 फीट (मैन रोड पर) गुणा 120 फीट जमीन के मामले में 11 सितम्बर 2009 को नगरपालिका बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि पालिका इस जमीन पर भूखण्ड काटकर नीलामी करे। हैरत की बात यह है कि बोर्ड के निर्णय की पालना आज दिन तक नहीं की गई।
अतिक्रमी ही काबिज रहा
इस बेशकीमती जमीन पर वर्तमान में चीणों की पियों से दीवार बनी हुई है, जिस पर एक जैसलमेर जिले की एक ग्राम पंचायत के सरपंच का नाम लिखा हुआ है। नगरपरिषद की ओर से अतिक्रमण नहीं हटाने का नतीजा यह है कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में इस जमीन के पट्टे हासिल करने के लिए पांच फाइलें लगाई गई। यह फाइलें सुआ पत्नी शंकरलाल, सोहनलाल, मनोज, रतनलाल, पारसमल पुत्र शंकरलाल के नाम से लगी। फाइलें जमा होने संबंधी रसीदें इस वर्ष 26 फरवरी को रसीद क्रमांक 6719, 20, 21, 22, 23 से काटी गई। जबकि यह फाइले दाखिल योग्य नहीं थी।
ठण्डे बस्ते से बाहर आई फाइलें
अभियान में रसीदे काटने के बाद इन फाइलों को योजनाबद्ध तरीके से ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। महीनों तक फाइलें ठण्डे बस्ते में रहने के बाद हाल ही में इन्हें बाहर निकाला गया। फाइलों से संबंधित मौका रिपोर्ट पूरी कर ली गई है। इन फाइलों पर पट्टे जारी करने संबंधी प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। नगरपरिषद की बेशकीमती जमीन से अतिक्रमण हटाने का दायित्व जिन अधिकारियों के जिम्मे है, उन्होंने अतिक्रमण को लेकर कोई टिप्पणी इन फाइलों में नहीं की है।
मामला मेरे ध्यान में नहीं है
खसरा संख्या 1431 की इन फाइलों का मामला मेरे ध्यान में नहीं है। फाइलें मेरे पास नहीं आई। इस संबंध में पता करवाता हूं। आलोक श्रीवास्तव, आयुक्त, नगरपरिषद बाड़मेर
बाड़मेर। शहर के महावीर सर्किल के ठीक पास स्थित करीब दस करोड़ रूपए के बाजार मूल्य की सरकारी जमीन पर पांच पट्टे जारी करने की तैयारी की जा रही है। एक ही परिवार के जिन पांच सदस्यों के नाम पट्टे जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, वे इस बेशकीमती जमीन पर अपना स्वामित्व न्यायालय में साबित नहीं कर पाए। ऎसे में हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में ही नगरपरिषद को निर्देश दिए कि वे इस जमीन से उन्हें विधिपूर्वक बेदखल करें,लेकिन परिषद की ओर से इन्हें बेदखल करने की बजाय पट्टे जारी करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
राजस्व रेकर्ड में नगरपरिषद के नाम दर्ज खसरा संख्या 1431 में छह वर्ष पहले परिषद ने चौदह पट्टे जारी किए थे, जिसे बाद में जिला कलक्टर के निर्देश पर खारिज करना पड़ा और शहर कोतवाली थाने में सोलह जनों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। इसी खसरे में मुख्य सड़क पर पारसमल व सोहनलाल पुत्र शंकरलाल निवासी बाड़मेर ने स्वयं की जमीन होने का दावा किया। जमीन के स्वामित्व को लेकर पारसमल, सोहनलाल ने नगर परिषद के विरूद्ध वर्ष 2003 में अपर सिविल न्यायालय (व ख) बाड़मेर में वाद दायर किया।
न्यायालय ने 27 अप्रेल 2004 को दिए निर्णय में बताया कि पारसमल व सोहनलाल के पास ऎसे कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे इनका स्वामित्व सिद्ध होता हो। लिहाजा नगरपरिषद इन्हें विधिपूर्वक हटाएं। यहां से यह मामला अपील में अपर जिला न्यायालय के पास चला गया। एडीजे ने भी निर्णय यथावत रखा। इसके बाद परिवादी पारसमल व सोहनलाल ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में इनकी अपील खारिज की और निर्णय यथावत रखा।
बोर्ड ने नीलामी का प्रस्ताव पारित किया
महावीर सर्किल के ठीक पास गडरारोड जाने वाली मुख्य सड़क पर स्थित 400 फीट (मैन रोड पर) गुणा 120 फीट जमीन के मामले में 11 सितम्बर 2009 को नगरपालिका बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि पालिका इस जमीन पर भूखण्ड काटकर नीलामी करे। हैरत की बात यह है कि बोर्ड के निर्णय की पालना आज दिन तक नहीं की गई।
अतिक्रमी ही काबिज रहा
इस बेशकीमती जमीन पर वर्तमान में चीणों की पियों से दीवार बनी हुई है, जिस पर एक जैसलमेर जिले की एक ग्राम पंचायत के सरपंच का नाम लिखा हुआ है। नगरपरिषद की ओर से अतिक्रमण नहीं हटाने का नतीजा यह है कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में इस जमीन के पट्टे हासिल करने के लिए पांच फाइलें लगाई गई। यह फाइलें सुआ पत्नी शंकरलाल, सोहनलाल, मनोज, रतनलाल, पारसमल पुत्र शंकरलाल के नाम से लगी। फाइलें जमा होने संबंधी रसीदें इस वर्ष 26 फरवरी को रसीद क्रमांक 6719, 20, 21, 22, 23 से काटी गई। जबकि यह फाइले दाखिल योग्य नहीं थी।
ठण्डे बस्ते से बाहर आई फाइलें
अभियान में रसीदे काटने के बाद इन फाइलों को योजनाबद्ध तरीके से ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। महीनों तक फाइलें ठण्डे बस्ते में रहने के बाद हाल ही में इन्हें बाहर निकाला गया। फाइलों से संबंधित मौका रिपोर्ट पूरी कर ली गई है। इन फाइलों पर पट्टे जारी करने संबंधी प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। नगरपरिषद की बेशकीमती जमीन से अतिक्रमण हटाने का दायित्व जिन अधिकारियों के जिम्मे है, उन्होंने अतिक्रमण को लेकर कोई टिप्पणी इन फाइलों में नहीं की है।
मामला मेरे ध्यान में नहीं है
खसरा संख्या 1431 की इन फाइलों का मामला मेरे ध्यान में नहीं है। फाइलें मेरे पास नहीं आई। इस संबंध में पता करवाता हूं। आलोक श्रीवास्तव, आयुक्त, नगरपरिषद बाड़मेर
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