रविवार, 28 जुलाई 2013

सांसदों का पत्र असली और प्रामाणिक

सांसदों का पत्र असली और प्रामाणिक
नई दिल्ली/वाशिंगटन। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को वीजा नहीं देने के लिए भारतीय सांसदों द्वारा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लिखे पत्रो से उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। कैलिफोर्निया स्थित फोरेंसिक जांचकर्ता ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि सांसदों के हस्ताक्षर असली और प्रामाणिक हैं। सासंदों ने कहा था कि पत्रों पर उनके जो हस्ताक्षर किए गए हैं,वे फर्जी हैं।

फॉरेंसिक जांचकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पत्रों पर जिन सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं,वे असली हैं और उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों द्वारा ओबामा को लिखे पत्रो की जांच फोरेंसिक विशेषज्ञ नैनेट बार्तो ने की।

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ये पत्र पहले 26 नवंबर और पांच दिसंबर को पिछले साल लिखे गए थे। इन पत्रों को इस साल 21 जुलाई को पुन: फैक्स करके भेजा गया था। पत्रों की जांच मोदी के खिलाफ अभियान छेड़े हुए संगठन कोएलेशन अगेंस्ट जिनोसाइड (सीएजी) के आग्रह पर किया गया था। भारतीय मूल के 40 अमरीकी सदस्यों के संगठन सीएजी ने मोदी को वीजा नहीं देने के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है।

गौरतलब है कि सीताराम येचुरी,अच्युतन और के पी रामालिंगन ने पत्र को लेकर उठे विवाद के बाद कहा था कि पत्रों पर जो हस्ताक्षर जो हैं,वे उनके नहीं हैं। जब अच्युतन से जब पूछा गया कि फोरेंसिक जांच में पत्र पर उनका हस्ताक्षर सही पाया गया है तो उनका जवाब था कि उन्हें याद नहीं की उन्होंने कभी ऎसे पत्र पर हस्ताक्षर किया हो।

अच्युतन ने कहा कि उन्हें सिर्फ इतना याद है कि देश के विभिन्न हिस्सो में निर्दोष मुस्लिम युवकों को आतंकी बताकर हिरास्त में लिए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए एक पत्र लिखा था।

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