पति ने मंगलसूत्र गिरवी रखा तो तलाक
मुंबई। मंबई की एक नर्स ने पति से इसलिए पति से तलाक ले लिया क्योंकि उसने मंगलसूत्र गिरवी रख लिया था। शराबी पति कर्ज में डूब गया था इसलिए उसने पत्नी का मंगलसूत्र गिरवी रखा था।
बांद्रा की फैमिली कोर्ट ने नर्स को तलाक लेने की अनुमति देते हुए कहा कि भारतीय महिला के लिए मंगलसूत्र सबसे कीमती गहना है। अगर कोई व्यक्ति पत्नी के मंगलसूत्र को गिरवी रखता है तो इससे साफ है कि वह जिम्मेदार पति नहीं है। मेधा रायकर की 4 अप्रेल 2004 को हरेश से शादी हुई थी। शादी परिवार की रजामंदी से हुई थी। शादी में दोनों परिवारों ने बराबर खर्चा किया था। शादी के बाद मेधा और हरेश के दो बच्चे हुए। एक चार साल का और दूसरा 6 साल का है।
हरेश उग्र स्वभाव का था। मेधा को उम्मीद थी कि शादी के बाद हरेश का उग्र स्वभाव शांत हो जाएगा लेकिन वह नहीं सुधरा और लगातार जुल्म करता रहा। 15 अक्टूबर 2009 को हरेश ने मेधा की लकड़ी से पिटाई की। मेघा ने पुलिस थाने में हरेश के खिलाफ शिकायत की। हालांकि बाद में दोनों के रिश्ते सुधर गए। एक दिन एक महिला मेधा के घर पहुंची और खुद को हरीश की प्रेमिका बताया।
महिला ने दावा किया कि उसके गर्भ में हरेश का बच्चा पल रहा है। मेधा की ओर से दायर याचिका में बताया गया है कि उसके पति ने कई लोगों से उधार ले रखा था। पति की प्रताड़ना से तंग आकर 22 मार्च 2011 को मेधा ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी। मेधा की ओर से दाखिल याचिका में बताया गया कि उसके बेरोजगार पति ने कई लोगों से उधार ले रखा था। वह खूब शराब पीता है।
हर रोज देर से घर लौटता है। जब वह इसकी वजह पूछती है तो पति उग्र हो जाता और उसकी पिटाई करने लगता है। जब हरेश पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया तो उसने अक्टूबर 2004 को मेधा का मंगलसूत्र गिरवी रख दिया। न्यायाधीश रूकमे ने कहा कि किसी भी भारतीय महिला के लिए मंगलसूत्र बहुत कीमती गहना होता है। प्रतिवादी ने इतने कीमती गहने को बेच दिया। इस तरह के बर्ताव से साफ है कि वह अपनी जिम्मेदारी उठाने में विफल रहा है।
कोर्ट ने प्रतिवादी को खुद पर लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए कई बार बुलाया लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुआ। महिला के पास दोहरी जिम्मेदारियां थी। उसे अपने बच्चों का भरण पोषण भी करना था और सास-ससुर की देखभाल भी करनी थी। जो सबूत पेश किए गए उससे साफ है कि प्रतिवादी लविंग और केयरिंग पति के रूप में बर्ताव नहीं कर रहा था। शराब की आदत के कारण वह पत्नी को पीटता था।
इस तरह का बर्ताव यह साबित करने के लिए काफी है कि वह शारीरिक और मानसिक क्रूरता कर रहा था। इसलिए अदालत प्रतिवादी को अपने दोनों बच्चों को हजार-हजार रूपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश सुनाती है।
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