जर्जर हो रही छतरियां
फतेहगढ़। उपखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कई सालों पुरानी प्राचीन छतरियां खंडहर में तब्दील हो रही है। ऎतिहासिक छतरियों के संरक्षण व मरम्मत को लेकर संबंधित विभाग की ओर से कोई रूचि नहीं ली जा रही है। जिससे प्राचीन छतरियां दिनोंदिन जर्जर हो रही है। गौरवशाली अतीत की गवाह इन प्राचीन छतरियों को सरकारी नजरें इनायत की दरकार है। कई छतरियां दिनोंदिन जमींदोज हो रही है। सरकारी अनदेखी के साथ जन उपेक्षा ने उनके अस्तित्व के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कई सौ साल पुरानी यह विरासत कलात्मकत सुंदरता के कारण देशी व विदेशी पर्यटकों को यहां खींच ले आती है।
छतरियों को सरकारी संरक्षण नहीं मिलने से ये छतरियां जर्जर अवस्था में तब्दील होने के साथ-साथ देखरेख के अभाव में चारों ओर से कंटीली बबूल की झाडियों से भी घिरती जा रही है। बुजुर्गो के अनुसार कई दशक पुरानी इन छतरियों पर पालीवालों के समय में यहां चौपालें लगती थी। उपखंड क्षेत्र के फतेहगढ़ सहित कोडियासर, सांडा, डांगरी, रीवड़ी, मंडाई, भीयांसर, रामा, देवीकोट सहित कई गांवों में संबंधित विभाग की उदासीनता के कारण प्राचीन छतरियों की मरम्मत नहीं हो रही है।
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