डालमिया बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष
चेन्नई। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन पद भले ही ना छोड़ा हो पर वे साइडलाइन कर दिए गए हैं। उनकी जगह जगमोहन डालमिया अंतरिम अध्यक्ष तथा वर्किंग ग्रुप के हेड भी होंगे। अरूण जेटली और अनुराग ठाकुर ने डालमिया के नाम का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों के अनुसार अंतरिम अध्यक्ष सितम्बर में बोर्ड के चुनाव होने तक बीसीसीआई की बागडोर संभालेंगे। आईपीएल फिक्सिंग और सट्टेबाजी की जांच पूरी होने तक श्रीनिवासन के पास कोई अधिकार नहीं रहेंगे।
अंतरिम अध्यक्ष के लिए जगमोहन डालमिया नाम सबसे आगे चल रहा था। शशांक मनोहर, अरूण जेटली, निरंजन शाह को भी इस पद के लिए ऑफर था लेकिन बाद में डालमिया के नाम पर सहमति बन गई। श्रीनिवासन उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाना चाह रहे थे।
वर्किंग कमेटी ने हाल ही में बोर्ड से इस्तीफा दे चुके बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के और सचिव संजय जगदाले से बीसीसीआई में वापसी करने की अपील की लेकिन शिर्के ने यह कहते हुए वापसी का प्रस्ताव ठुकरा दिया कि वे बीसीसीआई में तब वापस लौटेंगे जब श्रीनिवासन पूरी तरह बीसीसीआई से बाहर हो जाएं। एमसीए प्रेसिडेंड ने मिटिंग को अवैध बताया है।
श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन के सट्टेबाजी में लिप्त होने के खुलासे और फिर उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही बोर्ड अध्यक्ष सवालों के घेरे में आ गए थे।
वर्किंग कमेटी की गर्मागरम मिटिंग में विरोध और दबाव के बीच आखिरकार श्रीनिवासन बिना शर्त अपनी पावर छोड़ने को राजी हो गए। लेकिन राजीव शुक्ला समेत कुछ श्रीनिवासन के इस्तीफे तथा जनरल बॉडी मिटिंग बुलाए जाने की मांग पर अड़े रहे।
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के आईएस बिंद्र ने श्रीनिवासन के खिलाफ हमला बोलते हुए जोरदार ढंग से उनका इस्तीफा मांगा। उनका कहना था कि इस इस्तीफे के साथ किसी तरह की शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए। मगर श्रीनिवासन खेमा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। श्रीनिवासन विरोधी खेमे ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी भी दे दी।
मिटिंग के दौरान एक समिति बनाए जाने की बात उठी ताकि भविष्य में बीसीसीआई का जो भी अध्यक्ष बने उसकी पावर को नियंत्रित किया जा सके साथ ही पावर का विकेन्द्रीकरण हो जाए। इस बैठक में लिए गए निर्णयों पर अमल के लिए एजीएम मिटिंग बुलाई जाएगी।
बोर्ड ने खारिज की श्रीनिवासन की शर्ते
वर्किंग कमेटी की मिटिंग से पहले बोर्ड अध्यक्ष ने अपने विरोधियों के सामने तीन शर्तें रखी थी। श्रीनिवासन की पहली शर्त यह कि जांच के बाद यदि वह बेदाग साबित होते हैं तो वह फिर अध्यक्ष बन जाएंगे और उन्हें आईसीसी बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए।
दूसरी शर्त कि सचिव संजय जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के को नए पैनल में नहीं रखा जाए क्योंकि उन्होंने उनके साथ धोखा किया है।
श्रीनिवासन की तीसरी मांग यह थी कि बोर्ड के बाहर के व्यक्ति (शशांक मनोहर) को नया अध्यक्ष नहीं बनाया जाए और वह अपना कोषाध्यक्ष तथा सचिव नियुक्त करना चाहेंगे।
जब उनकी ये शर्तें नहीं मानी गई तो उन्होंने आखिरी दांव चलते हुए बोर्ड के सामने एक और फार्मूला दिया जिसमें इस्तीफा न देने और बीसीसीआई का एक वकिंüग ग्रुप बनाने की बात कही गई। लेकिन बोर्ड के अधिकतर सदस्यों ने इस बात पर भी सहमति नहीं दी।
गौरतलब है कि राजीव शुक्ला के इस्तीफा देने से पहले बीसीसीआई के दो अधिकारियों- संजय जगदाले और अजय शिर्के शुक्रवार को त्यागपत्र दे चुके हैं। शुक्ला के इस्तीफे के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन पर दबाव और बढ़ गया।
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