"शादी के इरादे से सहमति से सैक्स रेप नहीं"
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर किसी पुरूष का शादी का इरादा है और वह महिला की सहमति से उसके साथ सैक्स करता है तो इसे रेप नहीं माना जा सकता भले ही किसी कारणवश शादी न हो पाई हो।
शीर्ष कोर्ट ने रेप के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही। इस मामले में लड़की ने पुरूष पर शादी नहीं करने पर रेप का मामला दर्ज करवाया था। उसने लड़की से शादी का वादा किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,रेप व सहमति से सैक्स में स्पष्ट अंतर है। इस मामले में कोर्ट को सावधानीपूर्वक देखना चाहिए कि क्या अभियुक्त वाकई पीडिता से विवाह करना चाहता था या उसने किसी बुरे इरादे के साथ ऎसा किया,या उसने अपनी कामुकता को पूरा करने के लिए झूठा वादा किया। वादा पूरा नहीं होने व वादा पूरा नहीं करने में अंतर है।
रेप व सहमति से सैक्स में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा - रेप बेहद निंदनीय कृत्य है क्योंकि यह पीडिता के शरीर,दिमाग व निजता पर हमला है। जहां एक हत्यारा शारीरिक ढांचे को क्षतिग्रस्त कर देता है वहीं एक बलात्कारी असहाय स्त्री की आत्मा को मैला कर देता है।
रेप एक महिला को पशु बना देता है क्योंकि यह उसके जीवन को भीतर तक हिला कर रख देता है। किसी भी दृष्टि से रेप पीडिता को सह अपराधी नहीं माना जा सकता। रेप पीडिता के जीवन पर स्थायी दाग छोड़ देता है। रेप पूरे समाज के खिलाफ अपराध है तथा पीडिता के मानवाधिकारों पर चोट है।
क्या था मामला -
हरियाणा में एक निचली अदालत ने अभियुक्ता को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी जिसे पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने बहाल रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को बरी कर दिया। तब तक वह सात में से तीन साल की सजा काट चुका था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना के समय लड़की 19 साल की थी और उसे शारीकि संबंध बनाने से हाने वाले असर की पूरी जानकारी थी। उसे यह भी मालूम था कि जातीय व विभिन्न कारणों को देखते हुए उसकी शादी होना मुश्किल है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के साथ शरीरिक संबंध बनाने में उसकी सहमति न रही हो।
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