मंगलवार, 7 मई 2013

पहले पानी की बेचारगी, अब पानी बेचारा

पहले पानी की बेचारगी, अब पानी बेचारा

- जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने किया निरक्षण


- काटे जा सकते हे कई कनेक्सन

बाड़मेर , पानी की एक एक बूंद को तरसने वाले बाड़मेर में पानी की बेचारगी बरसो तक रही लेकिन सरकार द्वारा हिमालय का मीठा पानी पहुचाक्ने के बाद बाड़मेर के कई इलाको में इस पानी की कद्र तक लोग भूल गये है और यही वजह है की आज हर रोज पानी खुद को बेचारा महसूस कर रहा है . शहर में बढ़ रही पानी की बेकद्री से परेशां होने के बाद जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने मंगलवार सुबह शहर के कई इलाजो में निरक्षण किया और पानी को व्यर्थ बहा रहे लोगो को इस बात के लिए समझाया की पानी आज भी कीमती है . जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिक्षण अभियंता ओ पी व्यास ने बताया की बाड़मेर में पानी हमेसा से लोगो के लिए चुनोती रहा है लेकिन सरकार द्वारा बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना के प्रथम चरण के पूरा होने के बाद शहर में शुरू किये गए नहरी पानी के वितरण के बाद कई जगहों पर लोगो ने इस पानी को व्यर्थ बहाना शुरू कर दिया है जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को इस बात की जानकारी मिलने के बाद बाड़मेर शहर के लिए वरिष्ठ अभियंता महेश कुमार शर्मा , कनिस्थ अभियंता आरती परिहार और सीसीडीयू के आई इ सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित के नेत्रत्व में एक दल का गठन कर मंगलवार से कई मोहल्लो में ओचक निरक्षण करवाया गया . मंगलवार को खगाल मोहल्ला , जीनगर मोहल्ला , नियो का वास , अग्रवाल मोह्हला , महेश्वरी भवन की गली में करवाए गये इस निरक्षण में कई जगहों पर लोगो द्वारा घरेलू कनेक्सनो के पानी को बेवजह बहाने की चोकने वाली स्थिति देखने को मिली . इन इलाको के अस्सी फीसदी उपभोक्ताओ ने अपने कनेक्सनो के नल तक नही लगा रखे है . और यह पर हर रोज हजारो लीटर पानी को बर्बाद किया जा सकता है जिसे बेहद आसानी से बचाया जा सकता है .
मीठा पानी गाड़ी से गटर तक - खारे पानी से अपना हलक बरसो तक टार करने वाले बाड़मेर के कई इलाको के बाशिंदे इन दिनों हिमालय के मीठे पानी से अपने गाड़िया धो रहे है इतना ही नहीं कई घरो के रहवासी इस पानी की सप्लाई शुरू होते ही पिप गटर में दाल कर उसे व्यर्थ भ रहे है . मंगलवार को जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग विभाग के निरक्षण में यह बाद सामने आई की लोगो अपने घरो में टांके भरे होने के बावजूद पानी को व्यर्थ बहा रहे है .कई जगहों पर लोगो को इस पानी से मकान की तराई करते तो कुछ जगहों पर अपने आम रास्ते झाड़ू के बजाये पानी साफ़ करते हुए पाया गया .
काटे जाएँगे कई कनेक्सन -राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तर्ज पर बाड़मेर में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग भी पानी बचने के नारे को बुलन्द कर रहा है और इस बात के खिलाफ चल रहे कई उपभोगताओ के नल कनेक्सन काटे जा सकते . जानकरी के मुताबित जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इन ओचक निराक्षणो के दोरान पहले लोगो को सो -सो रुपये के जुर्माने भरवाए जैंगे और पानी को सबसे ज्यादा बेकद्री का शिकार बना रहे उपभोगताओ के कनेक्सन हमेशा हमेसा के लिए काटे भी जा सकते है . इस कार्यवाही के पीछे पानी के महत्व को बरकरार रखने के साथ साथ उसकी दुनिया में सिमित उपलबध्ता बताया जा रहा है .
जारी रहेगा यह अभियान - जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा मंगलवार को शुरू किया गया पानी बचाओ का अभियान ओचक निरक्षण के रूप में आने वाले कई दिनों तक जरी रहेगा . इसी अभियान के दोरान पानी को व्यर्थ बहाने वाले लोगो की सूचि बनाने का काम मंगलवार से ही शुरू कर दिया है और इनम लोगो को इसी सप्ताह के अंदर -अंदर नोटिस जारी किया जाएँगे . साथ ही जिन मोहल्लो का निरक्षण कर दिया गया है वह पर भी किसी भी दिन निरक्षण फिर से किया जा सकता है .
सो रूपये के नल के पीछे हजारों की बर्बादी - बाड़मेर के कई वार्डों और इलाको में लोग पानी को व्यर्थ महज इस लिए बहा रहे है क्युकी वे लोगो सो रुपये का नल खरीदना नही चाहते . जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओचक निरक्षण के दोरान अस्सी फीसदी उपभोक्ताओ के नल नही लगे हुए थे और यही कारन था की उन्होंने अपने कनेक्सन के पाइप को नाली , सड़क और अपने स्नान घर में लगा रखा था जिससे हर रोज हजरों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है .
दी जल बचत की जानकारी - जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इस अभियान के दोरान सीसीडीयू के आईई सी अनुभाग द्वारा लोगो को जल बचत की जानकारी भी प्रदान की गयी . लोगो को पानी की कीमत को समझाने के लिए उनसे विचार विमर्श भी किया गया . लोगो को इस बात पर तफसील से जानकारी पर्दान की गई हिमालय के इस पानी ने बाड़मेर तक जितना लम्बा सफ़र तय किया है उतना की पानी के लिए यह के बाशिंदे तरसे है . इसे में पानी के थार की धरा पर पहुचने के बाद पानी की इसे बेकद्री बाड़मेर के बाशिंदों के लिए ही आने वाले कल में चुनोती बन सकता है .

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