मंगलवार, 28 मई 2013

पूरे वेतन पर पीएफ लाभ देने की तैयारी!

पूरे वेतन पर पीएफ लाभ देने की तैयारी!

नई दिल्ली। कामगारों के लिए खुशखबरी है। अगर सब ठीक रहा तो आपको मूल वेतक की बजाए पूरे वेतन पर पीएफ लाभ मिलेगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इस पर काम कर रहा है। हालांकि उद्योग जगत इसकी खिलाफत कर रहा है। वर्तमान में नियोक्ता मूल वेतन और महंगाई भत्ते पर 12 प्रतिशत देकर इतीश्री कर लेते हैं,जबकि कई कंपनियां तो यह भी नहीं देती।

इसके चलते,हजारों कर्मचारियों का मूल वेतन तो वही रहता है,जबकि भत्तों में बढ़ोतरी कर कंपनियां उनका वेतन बढ़ा देती हैं। कई मामलों में वेतम वृद्धि के कारण कर्मचारी टैक्स के फेर में फंस जाते हैं और कंपनियां वेतन से संबंधित खर्चो पर कर जमा का फायदा उठाते हैं।

ईपीएफओ ने पिछले साल इस बदलाव को लेकर सभी कंपनयिो को एक सर्कुलर भेजा था,लेकिन कंपनियों के भारी विरोध के चलते और इस सोच के चलते की कामगार जो वेतन घर ले जाएगा,उसमें कमी आएगी,इस सर्कुलर को वापस ले लिया गया था।

उद्योग जगत इसका अब भी विरोध कर रहा है,लेकिन केन्द्रीय श्रम मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद ईपीएफओ इसे लागू करने की तैयारी में है। रिपोर्ट अभी श्रम मंत्रालय के पास पड़ी है,लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार इसे लागू करने की तैयारी में है। इसे लागू करने के बाद कोई कानूनी अड़चन नहीं आए,ईपीएफओ बोर्ड इस पर चर्चा कर अपनी भी मुहर लगा देगा।

सूत्रों की माने तो उद्योग जगह सरकार के इस फैसले पर शांत नहीं बैठने वाला है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (सीआईआई) ने श्रम मंत्री मलिक अजुर्न खर्गे को चार पन्नों का पत्र लिखकर इस योजना को लागू नहीं करने की अपील की है। वहीं,दूसरे उद्योग जगत भी इसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

सीआईआई का कहना है कि विभिन्न हाई कोर्टो के आदेशों के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सीआईआई के एक प्रबंधक ने कहा कि इस योजना के लागू होने पर कामगारों के पास निवेश करने के विकल्प कम हो जाएंगे।

प्रबंधक ने कहा कि भत्तों मे बढ़ोतरी से कर्मचारी खुश रहते हैं,अगर यह योजना लागू होती है तो हाथ में आने वाले वेतन में कमी आ जाएगी। कंपनी क्षेत्र का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि छोटे और मध्यम उद्यमों पर अत्यधिक आर्थिक भार बढ़ जाएगा।

हालांकि सरकार ने उद्योग जगत के विरोध का जवाब देते हुए कहना कि ईपीएफओ सदस्यता उन कर्मचारियों के लिए जरूरी है जो 6 हजार 500 रूपए महीना कमाते हैं। इससे ऊपर वेतन लेने वाले कर्मचारी चाहें तो इस योजना से अपने आप को अलग कर सकते हैं।

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