बुधवार, 8 मई 2013

मुझे मारने के लिए सुपारी दी गई : अन्ना

मुझे मारने के लिए सुपारी दी गई : अन्ना

नागौर। बीकानेर से नागौर के रास्ते जोधपुर जाते समय सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार दोपहर सर्किट हाउस में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश से जनतंत्र नेस्तनाबूद हो गया है। हमें देश की इस भ्रष्टाचारयुक्त व्यवस्था को बदलना है। आप और हम इकट्ठा हो गए तो यह व्यवस्था बदल सकते हैं। इसके लिए चाहे जेल जाना पड़े, चाहे डंडे खाना पड़े, सब करेंगे लेकिन यह लड़ाई हमें जीतनी है।

अन्ना ने कहा, मुझे मारने के लिए केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने दो बार 30-30 लाख की सुपारी दी, लेकिन सुपारी लेने वालों ने मुझे मारने से मना कर दिया। लोग हार्टअटेक से मरते हैं। मैं अगर देश के लिए लड़ते-लड़ते मर गया तो मेरा सौभाग्य होगा। अन्ना ने कहा कि इस जीवन में कुछ नहीं रखा है, जब तक जीना है देश और समाज के लिए जीना है। उन्होंने अपने समर्थकों को जगाते हुए कहा कि एक-एक मतदाता के हाथ में बदलने की शक्ति है। जनता सोच ले तो गद्दारों को सत्ता से हटा सकती है, लेकिन लोग पैसा लेकर वोट देते हैं। ऎसे में कैसे हमारा देश बदलेगा। हमें जागरूक होकर लोकपाल बिल की लड़ाई लड़नी है। इस दौरान अन्ना ने भारत माता एवं वंदे मातरम् के नारे भी लगवाए।

कृष्ण गोपाल गो सेवा समिति में मंगलवार को अन्ना हजारे ने गोभक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि वे लोगों को देश की वर्तमान स्थिति के बारे में अवगत कराने व भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए भारत यात्रा कर रहे हैं।अन्ना ने कहा कि इस देश को भ्रष्टाचार मुक्त करना है और भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए जनता को आगे आना होगा।

सर्किट हाउस में किया भोजन
बीकानेर से नागौर पहुंचे अन्ना हजारे ने सर्किटहाउस में करीब आधे घंटे से ज्यादा देर तक रूक कर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तथा उसके बाद भोजन भी किया। भोजन करने के बाद अन्ना हजारे रथ में बैठकर जोधपुर के लिए रवाना हो गए।

समर्थक हुए निराश
नागौर सर्किट हाउस में अन्ना हजारे से मिलने एवं उनका स्वागत करने के लिए काफी समर्थक उपस्थित हुए, लेकिन अन्ना के साथ आए कुछ लोगों ने समर्थकों को नजदीक नहीं आने दिया। इससे कुछ कार्यकर्ता निराश होकर लौट गए, जबकि कुछ जिद भी करने लगे। खैराज सांगवा ने सर्किट हाउस में ठहरे अन्ना हजारे को माला पहनाने के लिए काफी देर जिद की, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। इसके बाद वे निराश होकर लौट गए। इसी प्रकार अन्ना के जाने के बाद भी सर्किट हाउस में चर्चा चलती रही कि आम आदमी की बात करने वाले अन्ना आम आदमियों से मिले बिना ही लौट गए।

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