भोपाल। पिछले साढ़े 4 साल से सुर्खियों में रहे वसुंधरा हत्याकांड में आरोपी पूर्व विधायक और मध्यप्रदेश के बाहुबली नेताओं में शुमार अशोक वीर विक्रम सिंह उर्फ भैया राजा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में तीन अन्य आरोपियों पंकज शुक्ला, भैया राजा के नौकर अभिमन्यु और ड्राइवर हल्के उर्फ भूपेंद्र को भी उम्र कैद की सजा सुनाईगई है। कोर्ट ने भैया राजा की भतीजी रमती बाई और नेहा को बाल संरक्षण गृह भेजने के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है 11 दिसंबर 2009 को मिसरोद इलाके के गुडारी घाट में फैशन डिजाइनिंग की छात्रा वसुंधरा की लाशमिली थी। पुलिस ने इस मामले में 18 मार्च 2010 को जिला अदालत में चालान पेश किया था। वसुंधरा की मां भारती ने कोर्ट को बताया था कि उनकी बेटी पर भैया राजा की बुरी नजर थी। इसे देखते हुए उन्होंने वसुंधरा को भोपाल पढ़ने भेजा था। भैया राजा पर आरोप था कि उन्होंने वसुंधरा के साथ जबर्दस्ती संबंध बनाए और इंदौर में उसका गर्भपात भी कराया।
एडीजे संजीव कालगांवकर की कोर्ट ने सुबह 11.30 बजे ये सजा सुनाई। रिंपी उर्फ रोहिणी को साक्ष्यों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया। बहुचर्चित वसुंधरा हत्याकांड में कोर्ट के फैसले के मद्देनजर गुरुवार सुबह से ही कोर्ट परिसर को छावनी बना दिया गया था। यहां हर आने जाने वाले की तलाशी ली जा रही थी। जिस कोर्ट में फैसला सुनाया जा रहा था, वहां पूरे गलियारे में किसी को नहीं जाने दिया जा रहा था। जैसे ही मजिस्ट्रेट ने भैया राजा व अन्य अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, भैया राजा मायूस हो गए। कोर्ट रूम के बाहर बैठे उनके परिजन भी निराश हो गए। वे देर तक रोते रहे।
हालांकि जब भैया राजा कोर्ट रूम से बाहर आए तो उनके चेहरे पर शिकन नहीं दिखी। वे हाथ उठाकर अपने समर्थकों का इस्तकबाल करते देखे गए। फैसले के तुरंत बाद भैया राजा की पत्नी व भाजपा विधायक आशारानी सिंह भी कोर्ट से बाहर निकल गई। उन्होंने इस दौरान मीडिया से भी बातचीत करने से इंकार कर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें