रविवार, 19 मई 2013

सेहत का दुश्मन है रिटायरमेंट

हर व्यक्ति रिटायर होने के बाद खुद को एक कुर्सी पर बैठ, हाथों में अखबार लेकर आराम से चाय की चुस्की लेते देखना चाहता है, लेकिन रिटायरमेंट इतना भी सुखद नहीं होता।Image Loading

रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर लोग चैन की सांस लेने के ख्याल से ही खुश हो जाते हैं और सोचते हैं कि घर पर रहकर वे आराम से स्वास्थ्य लाभ उठाएंगे, लेकिन दुर्भाग्य से उनका शरीर और दिमाग उन्हें इस खुशनुमा पल से मरहूम कर देता है।

ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर एंव एज इंडीवर ने वर्क लांगर लीव हेल्दियर नाम के शोध में बताया है कि रिटायरमेंट के बाद थोड़े दिनों के लिए लोगों का स्वास्थ्य अच्छा तो हो जाता है, लेकिन बाद में समय के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है।

सेवानिवृत्त के बाद लगभग 40 प्रतिशत लोग अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं और 60 प्रतिशत लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य स्तर में गिरावट आती है जिसकी वजह से रिटायर हुए लोग हीन भावनाओं से ग्रसित हो जाते हैं।

रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि सरकार को रिटायरमेंट की उम्र में वृद्धि कर देनी चाहिए ताकि लोग ज्यादा उम्र तक काम करें और उनका शारीरिक, मानिसक तथा आर्थिक संतुलन बना रहे।

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