शनिवार, 4 मई 2013

"वयस्क" एक साल से किशोर गृह में!

"वयस्क" एक साल से किशोर गृह में!

बाड़मेर। हथियार तस्करी के संगीन मामले में पकड़ा गया एक बाल अपचारी संप्रेषण एवं किशोर गृह में रहते-रहते बालिग हो गया। नियमानुसार उसे केन्द्रीय कारागृह मे भेजना था, लेकिन विभाग को यह ध्यान ही नहीं रहा। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उप निदेशक बाल कल्याण विभाग ने भी यह आदेश दे रखे हैं कि बाल अपचारी की उम्र 18 पार होते ही उसे कारागृह मे स्थानांतरित किया जाए।

जिले के मारूड़ी गांव के निकट वर्ष 2009 में हथियारों का जखीरा पकड़ा गया था। इसमें चार अन्य आरोपितों के साथ एक बाल अपचारी भी था। अन्य को जेल हो गई, लेकिन इसे 1 अगस्त 2011 को जिला मुख्यालय स्थित संप्रेषण एवं किशोर सुधार गृह में रखा गया। तब उसकी उम्र 17 वर्ष दर्ज है। अगले साल वर्ष 2012 में ही यह अपचारी 18 वर्ष का हो गया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 2 जून 2004 को ही विभाग ने परिपत्र के जरिए निर्देशित कर दिया था कि 18 वर्ष का होते ही बाल अपचारी को केन्द्रीय कारागृह में स्थानांतरित करने की व्यवस्था करें लेकिन सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय विभाग के यह ध्यान में नहीं रहा। विभाग ने इसके लिए दुबारा मार्गदर्शन मांगा तो 14 फरवरी 2013 के अन्य स्मरण परिपत्र का हवाला देते हुए फिर यही निर्देश दिया गया कि 18 वर्ष का होते ही बाल अपचारी को केन्द्रीय कारागृह में स्थानांतरित किया जाए लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्रवाई नहीं हुई है।

मासूम बच्चे भी यहीं
इसी किशोर संप्रेषण गृह में बाल सुधार गृह भी संचालित हो रहा है। जिसमे बाल अपचारियों के अलावा ऎसे बच्चे भी हैं जो गुमशुदा है या कोई सहारा नहीं होने से इधर उधर घूम रहे हैं। उनको सुधार के लिए यहां दाखिल किया गया है। इन बच्चों के साथ ही वयस्क हो चुका बाल अपचारी रह रहा है।

अन्य पर असर
जो बच्चे सामान्य अपराध और गुमशुदगी के कारण बाल सुधार गृह में रह रहे हैं, उन पर इसका असर होगा। वयस्क हो चुके बाल अपचारी को तत्काल यहां से स्थानांतरित किया जाए। महेश पनपालिया, सामाजिक कार्यकर्ता

किशोर न्याय बोर्ड को लिखा
यह बाल अपचारी पिछले साल ही 18 वर्ष का हो गया था। हमारे पास परिपत्र नहीं था। परिपत्र आने के बाद कार्रवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को पत्र भेजा गया है। रेवंतसिंह, सहायक निदेशक, सामाजिक अधिकारिता एवं न्याय विभाग

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