शुक्रवार, 31 मई 2013

जेल में आए दिन अपराध?

जेल में आए दिन अपराध?
बाड़मेर। जिला कारागृह में आए दिन अपराध हो रहा है। जेल में नए बंदी के पहुंचते ही उससे मारपीट होती है। इसके बाद जेल के भीतर से बाहर वसूली का खेल होता है। वसूली के काम में मोबाइल फोन इस्तेमाल होते हैं। क्षमता से दुगुने बंदी होने से बंदियों में आपस में मारपीट आम है। ऎसे में जेल प्रशासन के लिए व्यवस्था संभालना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

जिला कारागृह में तीन बैरक व चार कोठरी हैं। इसमें 85 बंदी रखने की क्षमता है। पिछले कुछ समय से बाड़मेर जेल में बंदियों की संख्या 130 के आस-पास चल रही है। बंदियों से ओवरलोड जेल के भीतर का माहौल भी हिन्दी फिल्मों में दिखाई जानी वाली कहानियों जैसा हो गया है। यहां मंगलवार को मदनलाल नाम का एक बंदी पहुंचा तो उसके जेल पहुंचते ही चार-पांच बंदियों ने मिलकर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। जेल में मौजूद सुरक्षा गार्डाें ने उसे बमुश्किल छुड़ाया। माहौल इतना बिगड़ गया कि जेल में मौजूद बंदियो के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। पिछले कुछ समय से जेल में मारपीट की घटनाएं हो रही है, जो जेल की चारदीवारी में दफन हो रही है।


मोबाइल के जरिए वसूली
जेल में मोबाइल के जरिए रूपयों की वसूली का खेल चल रहा है। जेल में अपना सिक्का जमाए बैठे कुछ बंदियों के पास मोबाइल फोन हैं। छोटे-मोटे अपराधों में जेल पहुंचने बंदियों के साथ मारपीट कर उन्हें प्रताडित किया जाता है। फिर जेल से ही उन्हें अपने परिजनों को फोन करने के लिए मजबूर किया जाता है। प्रताड़ना से बचने के लिए बंदी अपने परिजन को जेल के बाहर किसी व्यक्ति को रूपए पहुंचाने के लिए कहता है। रूपए पहुंचने के बाद जेल में सिक्का जमाए बैठे उन्हें प्रताडित करना बंद करते हैं। इस काम में मोबाइल फोन लाइफलाइन का काम करता है।

तलाशी ली, कुछ नहीं मिला
जेल में गुरूवार को बंदियों को तलाशी ली गई, लेकिन कुछ नहीं मिला। मंगलवार को मारपीट जैसी कोई घटना नहीं हुई।
सुधीर स्वामी
प्रभारी जिला कारागृह बाड़मेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें