बुधवार, 29 मई 2013

मधुमेह रोगियों के लिए चने का सत्तू"रामबाण"


चिकित्सा विज्ञान की कई खोज से यह साबित हो गया है कि पेट की बीमारियों तथा मधुमेह के रोगियों के लिए चने का सत्तू रामबाण है। बहुब्रांड शीतल पेय पीने से शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण कई बीमारियां हो सकती हैं लेकिन चने के सत्तू का सेवन खासकर गर्मी के मौसम में पेट की बीमारियों तथा शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। खासकर यह मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण है।
मधुमेह रोगियों के लिए चने का सत्तू"रामबाण"


चने के सत्तू का सेवन हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं लेकिन जोड़ों के दर्द के रोगी को इसके सेवन से बचना चाहिए। जहां एक तरफ बहुब्राण्ड शीतल पेय कम्पनियां भीषण गर्मी में अपने ग्राहकों को रिझाने तथा अपनी ब्राण्ड का प्रचार करने के लिए समाचार पत्रों, टीवी के माध्यम से प्रचार करके लोगों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं उसी के बीच अपनी गुणवत्ता तथा स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण सत्तू बिना किसी प्रचार के पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर और बनारस सहित पूरे बिहार में लोगों की खास पसन्द बन गया है।

आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार चने का सत्तू गर्मी के मौसम में तापमान को नियंत्रित करने के साथ साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है। जानकारों का कहना है कि सत्तू के सेवन से खासकर गर्मी के मौसम में पेट की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। चने से बनने वाले सत्तू के गुणकारी परिणाम से आज यह आम वर्ग के साथ साथ सुविधा सम्पन्न लोगों की पहली पसन्द बनता जा रहा है।

बाजार में बिकने वाले शीतल पेय पदार्थ लोगों को आकर्षित तो कर सकते हैं लेकिन गर्मी के मौसम में संतुष्ट नहीं कर सकते जबकि चने से बना सत्तू गर्मी से निजात दिलाने के साथ साथ शरीर के लिए काफी लाभदायक है और इसी का परिणाम है कि आज सत्तू पीने वालों में सभी वर्गो के लोग आते हैं और सत्तू का सेवन करते हैं। चने के सत्तू का बाजार कितना बड़ा है इसका कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है लेकिन इसकी खपत से माना जा रहा है कि यह रोजाना करोड़ों रूपए में है।

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