रविवार, 5 मई 2013

कर्नाटक:दो प्रत्याशियों के समर्थक भिड़े

कर्नाटक:दो प्रत्याशियों के समर्थक भिड़े

बेंगलूरू। राज्य विधानसभा की 223 सीटों के लिए मतदान चल रहा है। इस बीच चुनावों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कोलार में निर्दलीय विधायक वारथुर प्रकाश और कांग्रेस उम्मीदवार वी.शंकर के समर्थक एक दूसरे पर हमला करने के लिए बढ़ रहे थे कि इसी दौरान पुलिस ने समय पर आकर इन लोगों को अलग किया।

शाम छह बजे तक मतदान

मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक होगा। मतदान में 4.34 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार कर उपयोग करेंगे। इनमें 2.12 करोड़ महिला मतदाता हैं। विधानसभा की कुल 224 सीटों में से 223 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। मैसूर जिले की पेरियापाटन सीट पर मतदान को भाजपा उम्मीदवार की मौत के बाद 28 मई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने करीब 1 लाख 35 हजार सुरक्षाकर्मियों सहित 2.5 लाख चुनावकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया है।

दोपहर तक 20 से 25 प्रतिशत मतदान

चुनावों के लिए दोपहर तक 20 से 25 प्रतिशत मतदान होने की सूचना है। बीजापुर में सुबह 10 बजे तक 22 प्रतिशत मतदान हुआ और सबसे कम मतदान दावणगेरे में सात प्रतिशत हुआ है। गडग में 20 प्रतिशत, कोलार में 20 प्रतिशत मतदान होने की सूचना है। बेंगलूर में दोपहर तक 10 से 15 प्रतिशत मतदान हुआ है।

मुकाबला कांग्रेस,बीजेपी व जेडीएस में

चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस,सत्तारूढ भाजपा और जनता दल सेक्युलर के बीच है। हालांकि भाजपा छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येडि्डयुरप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक जनता पक्ष की भी इन चुनावों में मुख्य भूमिका मानी जा रही है। तेज गर्मी के मद्देनजर इस बार राज्य में पहली बार मतदान 11 घंटे तक चलेगा। मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक चलेगा।

बीजेपी व कांग्रेस में जोर आजमाइश

पांच साल पहले खिला कमल इस बार मुरझाता दिख रहा है तो कमजोर पड़ा पंजा मतदाताओं के समर्थन से खोया जनाधार वापस पाने की ओर अग्रसर लग रहा है। विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले की उभरी राजनीतिक तस्वीर का निष्कर्ष कहता है कि यदि यह वोटों में बदल गई तो सत्ता की कमान कांग्रेस के साथ जा सकती है। राज्य के मतदाताओं से बातचीत का आधार हो या राजनीतिक पंडितों का आकलन, कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ती नजर आ रही है।

बीजेपी को भारी पड़ रही आपसी जंग

कमल के मुरझाने का कारण है पार्टी की आपसी लड़ाई और सरकारी खजाने की लूट। पांच साल पहले स्वच्छ और ईमानदार सरकार देने के वादे पर खरा उतरना तो दूर भाजपा उसके नजदीक भी नहीं पहुंच पाई। चुनाव प्रचार के दौरान देखने में यही आया कि भ्रष्टाचार को लेकर मतदाताओं की नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ रही है। हालांकि गूंज संप्रग सरकार के घोटालों की भी है। फिर भी इस मुद्दे पर भाजपा आक्रामक होने की जगह बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है। पांच साल में तीन मुख्यमंत्रियों को बदलने की भाजपा की मजबूरियों को मतदाता पचा नहीं पा रहा है।

बीएस येदियुरप्पा फैक्टर

पांच साल पहले भाजपा को सत्ता में लाने के नायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पार्टी को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अपनी पार्टी को चुनाव मैदान में उतार चुके येदियुरप्पा इस बार भले ही न किंग बन पाएं न किं गमेकर लेकिन भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के अपने सपनों को पूरा करते जरूर नजर आ रहे हैं।

जद (डी) होगा मजबूत : सत्ता की लड़ाई को तीसरा कोण देने में जुटे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का जनता दल(डी) के मजबूत होने के आसार हैं। लिंगायत और वोकालिगा जातियों को लुभाने में येदियुरप्पा भी पीछे नहीं रहे।

धन-बल का बोलबाला
चुनाव प्रचार के दौरान भले ही सभी दल भ्रष्टाचार की बात कर रहे हों लेकिन अपनेे-अपने क्षेत्र में धनबल का उपयोग कर मतदाताओं को रिझाने में कोई भी पीछे नहीं है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने सप्ताहभर में करोड़ों रूपए नगदी और साडियां जब्त की हैं। ये चुनाव को प्रभावित करने के काम ली जानी थी।

फैक्ट फाइल
1.35 लाख पुलिसकर्मी तैनात होंगे, भाजपा को बहुमत से तीन कम सीटें मिली थी और निर्दलियों की मदद से सरकार बनाई थी।
कुल सीटें :- 225 ( एक नामांकित)
मतदान : 223 (एक नामांकित और भाजपा के एक प्रत्याशी की मृत्यु के कारण एक सीट पर मतदान 28 मई को होगा )
2008 के चुनाव में दलगत स्थिति
भाजपा - 110
कांग्रेस - 80
जद एस - 28

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