गांव-गांव, ढाणी-ढाणी आमजन मांगे पाणी
बालोतरा। उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में गर्मी की दस्तक के साथ ही पेयजल संकट से हाहाकार की स्थिति पैदा होती जा रही है। गांवों में जलापूर्ति सुचारू नहीं होने से महंगे दाम चुकाकर टैंकरों से पानी का जुगाड़ किया जा रहा है। विकट पेयजल संकट की स्थिति के बावजूद सरकारी स्तर पर इसे फिलवक्त फौरी तौर पर ही लिया जा रहा है। न तो अभावग्रस्त घोषित कमीशन्ड गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति शुरू हो पाई है और न ही नॉन कमीशन्ड गांवों में टैंकर पहुंच पाए है।
तय से कम आपूर्ति
उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में लोगों को मीठा पानी तो दूर समय पर खारा पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। जलदाय विभाग की ओर से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन सात लीटर आपूर्ति तय की गई है, लेकिन फिलवक्त स्थितियों में आधे से भी कम पानी मिल रहा है। वह भी काफी खारा है। पचपदरा सब डिवीजन से जुड़े गांवों में जलदाय विभाग की ओर से एकांतरे जलापूर्ति का दावा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही है।
टैंकरों का बेसब्री से इंतजार
अभावग्रस्त घोषित कमीशन्ड व नॉन कमीशन्ड गांवों में सरकारी टैंकरों से जलापूर्ति का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। पचपदरा सब डिवीजन में तकरीबन एक सौ बीस से ज्यादा कमीशन्ड गंाव बताए जा रहे है। जबकि नॉन कमीशन्ड की संख्या करीब नब्बे है। अभावग्रस्त घोषित कमीशन्ड गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति के लिए टेण्डर हो चुके है।
अन्तिम छोर के गांवों में तकलीफ
जलप्रदाय योजनाओं के अंतिम छोर पर स्थित गांवों में पानी नहीं के बराबर पहुंच रहा है। जलदाय विभाग की तमाम कोशिशें यहां नाकारा साबित हुई है। लापून्दड़ा, रूपजी राजा बेरी, गोल स्टेशन, भीमरलाई, दूदवा, सिमालिया, डोली, अराबा आदि गांवो में इस स्थिति के चलते ग्रामीणों का सुख चैन दूभर है। तिलवाड़ा, बोरावास आदि इलाकों में पिछले तीन वर्षो से जलापूर्ति ठप है।
पानी या जहर
जलदाय विभाग की ओर से आपूर्त किए जा रहे पानी में टीडीएस की मात्रा बेहद ज्यादा है। जो स्वास्थ्य मानकों के लिहाज से कतई अनुकूल नहीं है, लेकिन लोगों की मजबूरी है कि उन्हें घातक अवयवों युक्त पेयजल का उपभोग करना पड़ रहा है। बड़नावा जागीर गांव के सरकारी ओपनवेल में पानी इस कदर खारा व भारी है कि पशु भी मुंह नहीं लगाते।
घरेलू नलों की दरकार
उपखंड क्षेत्र के बड़े कस्बों में शुमार कल्याणपुर कस्बे में आज भी लोग घरेलू नलों को तरस रहे है। नेशनल हाइवे पर स्थित इस कस्बे की आबादी करीब 15 हजार है।
हैण्डपंपों से राहत
जलदाय विभाग की ओर से लगवाए हैण्डपंपों ने परेशान हाल ग्रामीणों को काफी राहत दी है। विभाग ने गंावों में साढे तीन सौ हैण्डपंप खुदवाए है।
विभाग की मजबूरी
जलदाय विभाग संसाधनों और मैन पॉवर की कमी से जूझ रहा है। योजनाओं की संख्या में गुणात्मक बढ़ोतरी हो गई है, लेकिन कर्मचारियों की नई नियुक्ति नहीं की जा रही। बारह सौ कर्मचारियों के मुकाबले तीन सौ कर्मचारी काम चला रहे है। वाहनों का भी टोटा होने से मॉनिटरिंग में दिक्कत आ रही है।
मिले नल कनेक्शनों की सुविधा
घरेलू नल कनेक्शन नहीं दिए जा रहे हंै। कई बार मांग भी की गई, लेकिन अमल नहीं हो रहा। दौलाराम कुआ, सरपंच, कल्याणपुर
बुरे हाल ग्राम पंचायत गोपड़ी व वेदरलाई में पेयजल का विकट संकट है। वर्षों से सूखी पड़ी वेदरलाई गंाव की हौदी किसी भी वक्त ढह सकती है। जलदाय विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। गुमानसिंह वेदरलाई
कैसे चलाएं काम
तिलवाड़ा सहित आस-पास के गंावों में तीन वर्षो से पानी की आपूर्ति ठप पड़ी है। टैंकरों से भी जलापूर्ति नहीं की जा रही है। जबरसिंह तिलवाड़ा
नहीं हो रही सुनवाई
पेयजल की समस्या लगातार गहराती जा रही है। पंचायत समिति की बैठकों में हर बार आवाज उठाई गई। लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारी जैसे चिकने घड़े बन गए है। लक्ष्मणसिंह राजपुरोहित,
सरपंच, गोल स्टेशन
मिले मीठा पानी
नागाणा-पचपदरा-बालोतरा नहरी पानी योजना लड़खड़ाई हालत में होने से पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं हो रही है।
अमितसिंह राठौड़ अध्यक्ष, भाजयुमो पचपदरा
संतोषप्रद है हालात
अभावग्रस्त घोषित कमीशन्ड गांवों में जल्द ही टैंकरों से जलापूर्ति शुरू की जाएगी। टेण्डर किए जा चुके है। रिमोट एरिया में हैण्डपंप खुदने के बाद काफी राहत मिली है। इससे अंतिम छोर पर स्थित गांवों में भी पेयजल संकट से निजात मिली है। ग्रामीण इलाकों में 36 से 72 घंटे के अंतराल में जलापूर्ति की जा रही है।
धर्मेन्द्रसिंह परिहार, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग,बालोतरा
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