सोमवार, 1 अप्रैल 2013

बाड़मेर एडवांस लेकर खा गए सिवाना सरपंच:

एडवांस लेकर खा गए सिवाना सरपंच:


बाड़मेर राजस्थान में कई सरपंचों ने ग्राम पंचायतों से 1.16 करोड़ रुपए की राशि एडवांस ले ली, लेकिन उसे चुकाया नहीं। पिछले 5 साल में तमाम प्रयास करने के बावजूद सरकार भी सरपंचों से इस राशि को वसूली नहीं कर पाई है। कई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के कर्मचारियों के वेतन से भी पेंशन, पीएफ और बीमा के नाम पर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा काट लिए गए, लेकिन यह राशि जमा ही नहीं करवाई गई।बाड़मेर जिले के सिवान ग्राम पंचायत के सरपंच ने भी पैसा एडवांस लेकर कोई हिसाब किताब नहीं दिया

पंचायतीराज संस्थाओं में कुप्रबंधन के हालात इस कदर हैं कि 20 जिला परिषदों और 228 पंचायत समितियों के पास तो अपनी अचल संपत्तियों का ही लेखा-जोखा नहीं है। ज्यादातर पंचायतों ने शिक्षा उपकर की वसूली ही नहीं की तो जिन कुछ पंचायतों ने शिक्षा उपकर वसूला, उसकी राशि जमा ही नहीं करवाई। स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग की ओर से की गई ऑडिट और विशेष जांच में पंचायतीराज संस्थाओं में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं।

इन ग्राम पंचायतों से एडवांस लेकर खा गए सरपंच:

बहरावंडा कलां, सिंगोर कलां(खंडार), घाट का बराना, बलवन (के.पाटन), डोला, हेमड़ा(पिड़ावा), पोलाई कलां (सुलतानपुर), सिवाना (सिवाना), पापल्या खुर्द, लुहारिया(डग), सांकरवाड़ा (टोडा़भीम), मनोहरपुर(शाहपुरा), ताला (जमवारामगढ़), खाचरियावास, मूंडियावास(दातारामगढ़), कायमसर(फतेहपुर), रेवत, बाकरारोड़, दीगांव (जालौर), फतेह सागर (फलौदी)।

ग्राम पंचायतों को नहीं दिया 71.87 करोड़ रुपए का अनुदान:

पंचायतों के माध्यम से कई विकास योजनाएं भी राजनीति का शिकार हो गईं। इसकी वजह यह रही कि जिला परिषदों और पंचायत समितियों ने अपने-अपने क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को 71.87 करोड़ रुपए का अनुदान हस्तांतरित ही नहीं किया।ग्यारहवें वित्त आयोग, बारहवें वित्त आयोग और राज्य के तृतीय वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत यह पैसा ग्राम पंचायतों को जिला परिषद और पंचायत समितियों के माध्यम से अनुदान के रूप में दिया जाता है।

ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2007 से 2010 तक की स्थिति के अनुसार जिला परिषद और पंचायत समितियों में 190.08 लाख रुपए ग्यारहवें वित्त आयोग, 781.73 लाख रुपए बारहवें वित्त आयोग और 6215.18 लाख रुपए तृतीय राज्य वित्त आयोग के तहत अनुदान का अवितरित ही पड़ा था।

जमा नहीं कराया 58 लाख का एज्यूकेशन सैस:

राज्य में 15 ग्राम पंचायतों ने वर्ष 2008 से 2010 के दौरान 64.37 लाख रुपए का शिक्षा उपकर (एज्यूकेशन सैस) वसूल किया। यह पैसा नियमानुसार पंचायत समितियों में जमा होना था, लेकिन इसमें से मात्र 6.57 लाख रुपए ही जमा करवाए गए। इस तरह 58 लाख रुपए तो पंचायत समितियों में जमा ही नहीं हुए।

खुद के कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा:

पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के अफसर अपने ही कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी करने से भी नहीं चूके। वर्ष 2006 से मई, 2011 तक उनके वेतन में से पीएफ, पेंशन, बीमा के नाम पर 205 लाख रुपए की कटौतियां की गईं। यह राशि उनके खाते में जमा ही नहीं करवाई गई।

391.57 लाख दिए, फिर भी निर्माण पूरे नहीं:

प्रदेश में जिला परिषदों और पंचायत समितियों ने वर्ष 2008 से 2010 के दौरान 391.57 लाख रुपए निर्माण और ऐसे कामों पर खर्च कर दिए, जिनका किसी को कोई फायदा नहीं मिला। ये ज्यादातर काम बीच में ही अधूरे छोड़ दिए गए अथवा उन कामों को आगे के लिए बंद ही कर दिया गया।--

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