रविवार, 28 अप्रैल 2013

"मिलना है तो शेरवानी पहन कर आओ"

"मिलना है तो शेरवानी पहन कर आओ"
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों को अगर वाइस चांसलर से मिलना है तो उन्हें शेरवानी पहनकर जाना होगा। लड़कियों को यूनिवर्सिटी की परंपरा के मुताबिक ड्रेस पहननी होगी।

वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल(रिटायर्ड) जमीर उद्दीन शाह ने छात्रों को खुला पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि जो भी छात्र उनसे मिलना चाहते हैं उन्हें शेरवानी पहनकर आना होगा।

अगर आपके पास शेरवानी नहीं है और शेरवानी की सिलाई नहीं करवा पाए है तो अपने मित्रों से उधार ले लो। अगर छात्र हर शुक्रवार और यूनिवर्सिटी के कार्यक्रमों में शेरवानी पहनकर आते हैं तो उन्हें खुशी होगी। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता राहत अबरार ने कहा कि शेरबानी यूनिवर्सिटी की पारंपरिक पोशाक है।

शेरवानी के लिए यूनिवर्सिटी कपड़ा मुहैया कराती है। एडमिशन के वक्त इसके लिए फिक्स राशि ली जाती है। छात्रों के लिए शेरवानी बनाने वाले दर्जी भी फिक्स हैं। लड़कियों के लिए कोई फिक्स ड्रेस कोड नहीं है लेकिन उन्हें परंपरा और रीति रिवाज के मुताबिक पोशाक पहननी चाहिए।

एक अन्य फैसले में 12 अगस्त से शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र से छात्रों के हॉस्टल में मोटर साइकिल रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हाल ही में आईआईटी रूड़की की छात्रा के साथ दो युवकों ने यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस में छेड़खानी की थी। दोनों युवक मोटरसाइकिल से फरार हो गए थे। इस घटना को देखते हुए अलीगढ़ यूनिवर्सिटी ने छात्रों के हॉस्टल में मोइर साइकिल रखने पर प्रतिबंध लगाया है।

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