रविवार, 28 अप्रैल 2013

"सरबजीत के बचने की उम्मीद कम"


"सरबजीत के बचने की उम्मीद कम" 


इस्लामाबाद। पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का लाहौर के अस्पताल में उपचार कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि उनकी हालत गम्भीर है और उनके बचने के आसार बहुत कम हैं। लाहौर के कोट लखपत जेल में बंद सरबजीत पर कैदियों ने शुक्रवार को ईट व प्लेट से हमला कर दिया था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी।

पाकिस्तानी समाचार पत्र "डान" के अनुसार, सरबजीत का उपचार कर रहे एक चिकित्सक ने कहा कि सरबजीत की हालत अभी गंभीर है। चिकित्सक ने बताया कि उनका इलाज चिकित्सकों के लिए चुनौती बन गई है।

सरबजीत 1990 से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। उन्हें लाहौर और मुल्तान में हुए बम विस्फोटों के लिए पाकिस्तान की अदालतों ने मौत की सजा सुनाई है। सरबजीत के परिवार का दावा है कि वह निर्दोष हैं तथा अगस्त 1990 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

इस बीच, सरबजीत की पत्नी सुखबीर कौर, बहन दलबीर कौर और दो बेटियां पाकिस्तान सरकार से वीजा मिलने के बाद रविवार को लाहौर पहुंचीं। परिवार का एक सदस्य 24 घंटे सरबजीत के साथ अस्पताल में रह सकेगा। जिन्ना अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि सरबजीत गहन चिकित्सा कक्ष आईसीयू में है और उसके परिजनों को आईसीयू में शीशे के बाहर से ही उसे देखने की इजाजत दी गई। उन्होंने बताया कि उसकी स्थिति अत्यंत नाजुक है और परिवार के सदस्यों को अंदर जाकर उससे मिलने देने की अनुमति नहीं दी जा सकती थी।

सरबजीत का इलाज कर रहे चिकित्सकों के दल में परास्नातक चिकित्सा संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ न्यूरोसर्जन अंजुम हबीब वोहरा, जिन्ना अस्पताल के न्यूरो विभाग के अध्यक्ष जफर चौधरी तथा किंग एडवर्ड चिकित्सा विश्वविद्यालय के न्यूरो चिकित्सक नईम कसूरी शामिल हैं।

सरबजीत का शनिवार को दो बार जांच करने के बाद चिकित्सकों ने उनका ऑपरेशन करने की आवश्यकता नहीं बताई थी।
पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के पहले सचिव सी. एस. दास सरबजीत को देखने अस्पताल गए थे।

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