राजस्थानी सिनेमा को मोहब्बत चाहिए : शर्मा
पाली हॉलीवुड, बॉलीवुड सहित कई राजस्थानी फिल्मों में अभिनय कर चुके मरू श्री सत्येंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि राजस्थानी सिनेमा को बचाने के लिए सिनेमाघर के मालिकों और दर्शकों को भी सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी संस्कृति भी एक मिसाल है, लेकिन संस्कृति नहीं बची तो संस्कार भी नहीं रहेंगे। पाली के फिल्मकार संदीप वैष्णव की राजस्थानी फिल्म 'ब्याह करने झक मारी' की शूटिंग के सिलसिले में पाली आए सत्येंद्र ने ' विशेष बातचीत में कहा कि दक्षिण भारतीय सिनेमा की तर्ज पर हमें भी अपने क्षेत्रीय सिनेमा से लगाव रखना चाहिए। वे बताते हैं कि हमारी संस्कृति और राजस्थान की मनमोहक लोकेशन का दुनियाभर के फिल्मकार जमकर उपयोग कर रहे हैं। देश-दुनिया में यहां का बैक ग्राउंड भी काफी पसंद किया जा रहा है। खासकर इन दिनों के प्राइम टाइम टीवी सीरियल में राजस्थान की संस्कृति को पूरे कला-कौशल से दिखाया जा रहा है, ऐसे में राजस्थानी सिनेमा को राजस्थान में तो दर्शकों की ओर से भरपूर मोहब्बत मिलनी ही चाहिए। अपनी लहराती दाढ़ी-मूंछों को सहलाते हुए सत्येंद्र बताते हैं कि व्यक्तित्व में राजस्थानी अंदाज के समावेश का अपना सुख है। मशहूर ड्रेस डिजाइन रितू बेरी के फैशन शो में भी रैम्प पर राजस्थानी गेटअप में जलवे बिखेर चुके शर्मा कहते हैं कि अपने यहां दाढ़ी व मूंछ को ऊध्र्वगामी (ऊपर की ओर) रखा जाता है, जो वैचारिकता को सकारात्मक तौर पर ऊंचा रखने का प्रतीक है। ऐसा ही भाव राजस्थानी सिनेमा के प्रति भी अपने दर्शकों का होना चाहिए।
चार बार जीता मरू श्री का खिताब
सत्येंद्र ने वर्ष 1996, 1998, 2008 व 2001 में विश्व प्रसिद्ध मरू मेले में मरू श्री का खिताब जीत चुके हैं। साथ ही इन्होंने हॉलीवुड की फिल्म 'टू ब्लेम द स्टार' में गांव के मुखिया का किरदार निभाया। इसके अलावा कल्पना लाजमी की 'रुदाली', एबीसीएल की 'सात रंग के सपने' तथा आमीर खान के साथ 'सरफरोश' में भी काम कर चुके शर्मा ने राजस्थानी फिल्म 'माता राणी भटियाणी', 'जय श्री आई माता' व 'मेहर करो भैरूनाथ' में प्रभावी अभिनय किया है। इसके अलावा सत्येंद्र कई ब्रांड के उत्पादों के लिए मॉडलिंग भी कर चुके हैं।
पाली हॉलीवुड, बॉलीवुड सहित कई राजस्थानी फिल्मों में अभिनय कर चुके मरू श्री सत्येंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि राजस्थानी सिनेमा को बचाने के लिए सिनेमाघर के मालिकों और दर्शकों को भी सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि राजस्थानी संस्कृति भी एक मिसाल है, लेकिन संस्कृति नहीं बची तो संस्कार भी नहीं रहेंगे। पाली के फिल्मकार संदीप वैष्णव की राजस्थानी फिल्म 'ब्याह करने झक मारी' की शूटिंग के सिलसिले में पाली आए सत्येंद्र ने ' विशेष बातचीत में कहा कि दक्षिण भारतीय सिनेमा की तर्ज पर हमें भी अपने क्षेत्रीय सिनेमा से लगाव रखना चाहिए। वे बताते हैं कि हमारी संस्कृति और राजस्थान की मनमोहक लोकेशन का दुनियाभर के फिल्मकार जमकर उपयोग कर रहे हैं। देश-दुनिया में यहां का बैक ग्राउंड भी काफी पसंद किया जा रहा है। खासकर इन दिनों के प्राइम टाइम टीवी सीरियल में राजस्थान की संस्कृति को पूरे कला-कौशल से दिखाया जा रहा है, ऐसे में राजस्थानी सिनेमा को राजस्थान में तो दर्शकों की ओर से भरपूर मोहब्बत मिलनी ही चाहिए। अपनी लहराती दाढ़ी-मूंछों को सहलाते हुए सत्येंद्र बताते हैं कि व्यक्तित्व में राजस्थानी अंदाज के समावेश का अपना सुख है। मशहूर ड्रेस डिजाइन रितू बेरी के फैशन शो में भी रैम्प पर राजस्थानी गेटअप में जलवे बिखेर चुके शर्मा कहते हैं कि अपने यहां दाढ़ी व मूंछ को ऊध्र्वगामी (ऊपर की ओर) रखा जाता है, जो वैचारिकता को सकारात्मक तौर पर ऊंचा रखने का प्रतीक है। ऐसा ही भाव राजस्थानी सिनेमा के प्रति भी अपने दर्शकों का होना चाहिए।
चार बार जीता मरू श्री का खिताब
सत्येंद्र ने वर्ष 1996, 1998, 2008 व 2001 में विश्व प्रसिद्ध मरू मेले में मरू श्री का खिताब जीत चुके हैं। साथ ही इन्होंने हॉलीवुड की फिल्म 'टू ब्लेम द स्टार' में गांव के मुखिया का किरदार निभाया। इसके अलावा कल्पना लाजमी की 'रुदाली', एबीसीएल की 'सात रंग के सपने' तथा आमीर खान के साथ 'सरफरोश' में भी काम कर चुके शर्मा ने राजस्थानी फिल्म 'माता राणी भटियाणी', 'जय श्री आई माता' व 'मेहर करो भैरूनाथ' में प्रभावी अभिनय किया है। इसके अलावा सत्येंद्र कई ब्रांड के उत्पादों के लिए मॉडलिंग भी कर चुके हैं।
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