दम तोड़ती स्वजलधारा
शिव। जमीन में पानी की उपलब्धता वाले गांवों में टयूबवेल खुदवा घरों व ढाणियों तक पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाने की करोड़ो रूपए की स्वजलधारा योजना दम तोड़ रही है। पांच वर्ष पूर्व क्रियान्वित हुई योजना के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले की आशंका के बीच विभागीय उच्चाधिकारी कार्य की प्रगति के नाम पर मौन धारण किए हुए हैं। दूसरी तरफ इस योजना से जुड़े दर्जनों गांवों के वाशिन्दे भीषण गर्मी में पानी की उपलब्धता के बावजूद पेयजल के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
यह है स्वजलधारा
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अन्तर्गत इस महत्वाकांक्षी योजना पर बड़ा बजट खर्च करने का प्रावधान रखा गया। वर्ष 2002 में आरंभ इस योजना के तहत पेयजल आपूर्ति की लघु योजनाएं, बोरवेल, टयूबवेल और हैण्डपम्प लगाने जैसे कायोंü को इसके दायरे में रखा गया। 85 हजार लीटर क्षमता वाले बड़े जीएलआर के निर्माण के साथ बड़े बजट वाली इस योजना में नब्बे फीसदी राशि केन्द्र सरकार ओर दस फीसदी राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत की ओर से गठित समिति को वहन करनी थी।
अब तक की स्थिति
जिला परिषद बाड़मेर ने 5 जून 2008 को सत्रह स्वजलधारा योजनाओं के लिए 1658.21 लाख रूपए स्वीकृत किए। इनमें ग्राम भीयाड़ के अन्तर्गत भीयाड़, माताजी की भाखरी, अमरसिंह की ढाणी, रतनुओं की ढाणी ग्राम पंचायत चोचरा में पाबुसर, धोलिया, मोगेराई, कल्याणपुरा ग्राम पंचायत धारवी के अन्तर्गत धारवी, नेतड़ों की ढाणी, स्वरूपनगर एवं गूंगा, खलीफे की बावड़ी, हरसाणी एवं बालासर में कार्य की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। इसके बाद आनन फानन में ठेकेदारों ने कार्य शुरू किए। बड़े स्तर के कार्य के बाद कई खामियां उजागर हुई लेकिन निम्न गुणवता के बावजूद विभाग ने अधिकतम भुगतान कर दिया। पांच वर्षों से यह योजना ठण्डे बस्ते में है एवं इन गांवों के वाशिन्दे इतना बड़ा सरकारी खर्च होने के बावजूद पेयजल को मोहताज हैं।
बड़े खर्च पर मंडराता खतरा
क्षेत्र मे बेन्टोनाइट की मात्रा की अधिकता के कारण योजना के तहत बने बड़े जीएलआर में कभी भी दरारें आ सकती हैं। इतने बड़े जीएलआर को पानी रहित रखने से वह क्षतिग्रस्त हो सकता है। इससे जुड़ी पाइप लाइन भी रख रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रही हैं। कई वर्षों से योजना के अधरझूल में रहने से उस स्थान पर जमीन में पानी की उपलब्धता की भी अनिश्चित होने से जीएलआर नकारा साबित हो सकते हैं।
गम्भीर प्रयासों की जरूरत
दूर दराज के गांवों में ग्रामीणों को पेयजल सुविधा के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद पानी की व्यवस्था नहीं हुई है। सरकार व जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से प्रयास कर इसका समाधन करवाना चाहिए।
मुरारदान चारण सरपंच गूंगा
जानकारी नहीं है
स्वजलधारा का मामला ग्राम पंचायतों का है मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। रामजीलाल मीणा, अधिशासी अभियन्ता जलदाय विभाग बाड़मेर
हाथीसिंह गांव में पेयजल संकट
शिव. ग्राम पंचायत हाथीसिंह का गांव में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। रावत का गांव, मतुजा, भैसका, तेजरावों की ढाणी एवं मेगे का गांव में पेयजल आपूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस सम्बंध में युवा देरावरसिंह एवं नेपालसिंह ने गुरूवार को उपखण्ड अधिकारी को दिए ज्ञापन में क्षतिग्रस्त पाइप लाईन को दुरस्त कर पेयजल आपूर्ति सुचारू करवाने की मांग की है।
शिव। जमीन में पानी की उपलब्धता वाले गांवों में टयूबवेल खुदवा घरों व ढाणियों तक पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाने की करोड़ो रूपए की स्वजलधारा योजना दम तोड़ रही है। पांच वर्ष पूर्व क्रियान्वित हुई योजना के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले की आशंका के बीच विभागीय उच्चाधिकारी कार्य की प्रगति के नाम पर मौन धारण किए हुए हैं। दूसरी तरफ इस योजना से जुड़े दर्जनों गांवों के वाशिन्दे भीषण गर्मी में पानी की उपलब्धता के बावजूद पेयजल के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
यह है स्वजलधारा
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अन्तर्गत इस महत्वाकांक्षी योजना पर बड़ा बजट खर्च करने का प्रावधान रखा गया। वर्ष 2002 में आरंभ इस योजना के तहत पेयजल आपूर्ति की लघु योजनाएं, बोरवेल, टयूबवेल और हैण्डपम्प लगाने जैसे कायोंü को इसके दायरे में रखा गया। 85 हजार लीटर क्षमता वाले बड़े जीएलआर के निर्माण के साथ बड़े बजट वाली इस योजना में नब्बे फीसदी राशि केन्द्र सरकार ओर दस फीसदी राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत की ओर से गठित समिति को वहन करनी थी।
अब तक की स्थिति
जिला परिषद बाड़मेर ने 5 जून 2008 को सत्रह स्वजलधारा योजनाओं के लिए 1658.21 लाख रूपए स्वीकृत किए। इनमें ग्राम भीयाड़ के अन्तर्गत भीयाड़, माताजी की भाखरी, अमरसिंह की ढाणी, रतनुओं की ढाणी ग्राम पंचायत चोचरा में पाबुसर, धोलिया, मोगेराई, कल्याणपुरा ग्राम पंचायत धारवी के अन्तर्गत धारवी, नेतड़ों की ढाणी, स्वरूपनगर एवं गूंगा, खलीफे की बावड़ी, हरसाणी एवं बालासर में कार्य की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। इसके बाद आनन फानन में ठेकेदारों ने कार्य शुरू किए। बड़े स्तर के कार्य के बाद कई खामियां उजागर हुई लेकिन निम्न गुणवता के बावजूद विभाग ने अधिकतम भुगतान कर दिया। पांच वर्षों से यह योजना ठण्डे बस्ते में है एवं इन गांवों के वाशिन्दे इतना बड़ा सरकारी खर्च होने के बावजूद पेयजल को मोहताज हैं।
बड़े खर्च पर मंडराता खतरा
क्षेत्र मे बेन्टोनाइट की मात्रा की अधिकता के कारण योजना के तहत बने बड़े जीएलआर में कभी भी दरारें आ सकती हैं। इतने बड़े जीएलआर को पानी रहित रखने से वह क्षतिग्रस्त हो सकता है। इससे जुड़ी पाइप लाइन भी रख रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रही हैं। कई वर्षों से योजना के अधरझूल में रहने से उस स्थान पर जमीन में पानी की उपलब्धता की भी अनिश्चित होने से जीएलआर नकारा साबित हो सकते हैं।
गम्भीर प्रयासों की जरूरत
दूर दराज के गांवों में ग्रामीणों को पेयजल सुविधा के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद पानी की व्यवस्था नहीं हुई है। सरकार व जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से प्रयास कर इसका समाधन करवाना चाहिए।
मुरारदान चारण सरपंच गूंगा
जानकारी नहीं है
स्वजलधारा का मामला ग्राम पंचायतों का है मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। रामजीलाल मीणा, अधिशासी अभियन्ता जलदाय विभाग बाड़मेर
हाथीसिंह गांव में पेयजल संकट
शिव. ग्राम पंचायत हाथीसिंह का गांव में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। रावत का गांव, मतुजा, भैसका, तेजरावों की ढाणी एवं मेगे का गांव में पेयजल आपूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस सम्बंध में युवा देरावरसिंह एवं नेपालसिंह ने गुरूवार को उपखण्ड अधिकारी को दिए ज्ञापन में क्षतिग्रस्त पाइप लाईन को दुरस्त कर पेयजल आपूर्ति सुचारू करवाने की मांग की है।
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