बुधवार, 24 अप्रैल 2013

राजधानी में गफूर अहमद और शमा खान ने दिया उद्बोधन

समाज के हर आदमी का जुडाव हो पंचायती राज से - अययर

-राजधानी में गफूर अहमद और शमा खान ने दिया उद्बोधन

" आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिये । हर एक गांव में जम‍हूरी सल्‍तनत या पंचायत का राज होगा उसके पास पूरी सत्‍ता और ताकत होगी । इसका मतलब यह है क‍ि हर एक गांव को अपने पांव पर खडा़ होना होगा – अपनी जरूरतें खुद पुरी लेनी होगी, ताक‍ि वह अपना कारोबार चला सके । य‍हां तक क‍ि वह सारी दुनिया के खिलाफ अपनी रक्षा खुद कर सके। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के ये शब्द बदलते वक्त के साथ भी आज गाव की जरूरत है यह कहना है पूर्व केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अययर का . उन्होंने यह बात विज्ञानं भवन नै दिल्ली में आयोजित पंचायती राज के पुरष्कार समारोह के बाद देश भर से पंचायती राज से जुड़े जनप्रतिनिधियों के से ग्रुप मंत्रणा के दोरान कही . बाड़मेर के कार्यवाहक जिला प्रमुख गफूरअहमद ने ग्राम सभा की शक्तियो और पंचायती राज संस्थाओ में उनका किरदार विषय पर देश भर से आये जनप्रतिनिधियों के सामने अपने विचार रखे उन्होंने कहा की लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण’ में पंचायती राज संस्थाओं की अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पंचायतों की परिकल्पना अपने देश में कोई नवीन नहीं, अपितु यह प्राचीन काल से ही मानव समाज के ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा रही है। पंचायती राज संस्थाएँ भारत के ग्रामीण विकास में जो सहयोग प्रदान कर रही हैं वह किसी भी प्रकार कम नहीं है। पंचायती राज संस्थाओं का महत्त्व इस तथ्य से स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि अभी हाल में ही भारत सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के वर्तमान स्वरूप में एकरूपता लाने, उनको सुसंगठित एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में संशोधन करके पंचायती राज अधिनियम 1993 को क्रियान्वित किया। वही चोहटन प्रधान शम्मा खान को केंद्र सर्कार द्वारा प्रायोजित स्कीम में पंचायते विषय पर अपने विचार रखे . उन्होंने कहा की पाँच व्यक्तियों की सभा एवं पंचायत हमारा बहुत प्राचीन और सुन्दर शब्द है, जिसके साथ प्राचीनता की मिठास जुड़ी हुई हैं। ‘‘पाँच बोले परमेश्वर’–पाँचों पंच जब एक साथ से कोई निर्णय देते थे तो वह परमेश्वर की आवाज मानी जाती थी। प्राचीन काल से ही भारत में पंचायतों को असीमित स्वतन्त्रता प्राप्त थी। ग्रामों की पंचायतें व संस्थायें ‘भारत में सर्वप्रथम प्रारम्भ हुई और संसार के सभी देशों के मुकाबले यहाँ ही सबसे अधिक दिनों तक स्थापित रहीं।’ पाँच पंच ग्राम की जनता द्वारा निर्वाचित होते थे, जिसके द्वारा भारत के असंख्य ग्राम लोकराज्यों का शासन चलता था। भारतीय समाज में ‘पंच परमेश्वर’ न केवल कुछ प्रशासकीय कार्य ही करते थे वरन् आपसी विवादों को हल करने एवं विकास सम्बन्धी कार्यों को करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। और एस आज भी जरी है जो की सुकह्द है इससे पहले देश भर में पंचायती राज के माध्यम से बेहतर कार्य करने वाले राज्यों , जिलो और पंचायतो को इनामो से नवाजा गया . बाड़मेर से कार्यवाहक जिला पर्मुख गफूर अहमद , शम्मा खान के अल्वा नवोद बेर के सरपंच रोशन अली ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की

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