न्यायिक लिपिकों की भर्ती में पर्ची का खेल
अजमेर/ जयपुर। कोर्ट में लिपिक भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों को पास कराने के नाम पर पैसा वसूलने के बड़े मामले का मंगलवार को यहां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भंडाफोड़ किया है। ब्यूरो ने इस मामले में कथित रूप से लिप्त दो अधिवक्ताओं और दो कोर्ट लिपिक सहित पांच जनों के घर और कार्यालय पर छापामार कार्रवाई की।
नसीराबाद कोर्ट के लिपिक राजेश शर्मा, अजमेर कोर्ट में कार्यरत उसके भाई हितेष शर्मा, केकड़ी के अधिवक्ता हेमराज कानावत और सरवाड़ निवासी अब्दुल रज्जाक को हिरासत में लिया गया है। जबकि अजमेर निवासी वकील भगवान सिंह चौहान एसीबी के हाथ नहीं आया। छापों में एसीबी ने अब तक करीब साढ़े 17 लाख रूपए एवं भर्ती से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
इस बीच राजस्थान उच्च न्यायालय प्रशासन ने लिपिक भर्ती परीक्षा के प्रभारी अधिकारी अजमेर के जिला न्यायाधीश अजय कुमार शारदा को एपीओ कर दिया है। सीकर डीजे उमेश शर्मा का अजमेर तबादला किया है। बताया जा रहा है कि शारदा को बांसवाड़ा में पारिवारिक न्यायालय में लगाया जा रहा है। उधर, हाईकोर्ट द्वारा मामले की विजिलेंस जांच शुरू करने की जानकारी मिली है।
2 से 3 लाख तक लिए!
थानों में बंधी प्रकरण की तरह कनिष लिपिक परीक्षा में पर्चियों से भ्रष्टाचार का खेल किया गया है। एसीबी को लिपिक राजेश शर्मा एवं एडवोकेट हेमराज के आवास की तलाशी में अभ्यार्थियों के नाम एवं रोल नंबर लिखी पर्चियां मिली हैं। इन पर सही व क्रॉस के निशान थे। एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि संभवत: अभ्यार्थियों से दो से तीन लाख रूपए तक वसूले गए हैं।
और क्या मिला
अजमेर में वकील चौहान के सिविल लाइंस स्थित घर और कार्यालय से 80 हजार रूपए और कागजात।
हेमराज के केकड़ी स्थित घर से 1,80,000 और रज्जाक के सरवाड़ स्थित घर से 87,600 रूपए।
लिपिक राजेश शर्मा व उसके भाई हितेष शर्मा के सिविल लाइंस स्थित घर से 14 लाख रूपए बरामद किए गए हैं।
एसीबी ने ऎसे कसा शिकंजा
एसीबी को करीब दो माह पहले कुछ लोगों द्वारा रिश्वत लेकर कनिष्ठ लिपिक प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण करवाकर नौकरी लगवाने की सूचना मिली।
एसीबी ने संदिग्धों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवाए। मोबाइल रिकॉर्डिग में नौकरी लगवाने की बात सामने आई।
सूचना की पुष्टि होने के बाद जयपुर एवं भीलवाड़ा के अधिकारियों की स्पेशल टीम गठित की गई। अजमेर एसीबी टीम को भी कार्रवाई की भनक नहीं लगने दी गई।
यह टीम कई दिनों से राजेश, रितेश, भगवान सिंह व हेमराज पर नजर रख रही थी। पड़ताल में इनकी अभ्यर्थियों से मुलाकात की बात सामने आई।
डीआईजी गोविन्द नारायण पुरोहित के नेतृत्व में गठित
स्पेशल टीम ने मंगलवार को सूत्र की पुख्ता सूचना के आधार पर छापा मारा।
अब प्रक्रिया हाईकोर्ट के अधीन
अजमेर न्याय क्षेत्र में एलडीसी के 47, अंग्रेजी के 1 व हिन्दी आशुलिपिक के 7 पदों के लिए विज्ञप्ति जनवरी में जारी की गई थी और लिखित परीक्षा 24 फरवरी को हुई। कंप्यूटर टेस्ट 14 अप्रेल को हुआ।
यह परीक्षा जिला एवं सत्र न्यायालय की ओर से आयोजित करवाई गई थी। भर्ती में विवाद के बाद पूरी प्रक्रिया यहीं रोक दी गई है। अब भर्ती प्रक्रिया उच्च न्यायालय के अधीन निष्पादित की जाएगी।
पिछले दिनों शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ लोग लिपिक भर्ती परीक्षा में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से राशि एकत्र कर रहे हैं और भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, महानिरीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो
अजमेर के प्रकरण से साफ हो गया है कि जिला अदालतों में मंत्रालयिक कर्मचारियों की भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतें सही आ रही हैं, इसी को देखते हुए बार कौंसिल इन भर्तियों को हाईकोर्ट के जरिए कराने की मांग उठा रही है। -संजय शर्मा, चेयरमैन, राजस्थान बार कौंसिल
खुल सकते हैं कई बड़े नाम
लिपिक भर्ती घोटाले का खुलासा होने के बाद पूछताछ में कई और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है। प्रारम्भिक जांच में पांच जनों को सीधे तौर पर एसीबी ने प्रकरण में लिप्त माना है। छापों में बरामद रकम किसको पहुंचाई जानी थी, एसीबी इस दिशा में पूछताछ में जुटी है।
अजमेर/ जयपुर। कोर्ट में लिपिक भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों को पास कराने के नाम पर पैसा वसूलने के बड़े मामले का मंगलवार को यहां भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भंडाफोड़ किया है। ब्यूरो ने इस मामले में कथित रूप से लिप्त दो अधिवक्ताओं और दो कोर्ट लिपिक सहित पांच जनों के घर और कार्यालय पर छापामार कार्रवाई की।
नसीराबाद कोर्ट के लिपिक राजेश शर्मा, अजमेर कोर्ट में कार्यरत उसके भाई हितेष शर्मा, केकड़ी के अधिवक्ता हेमराज कानावत और सरवाड़ निवासी अब्दुल रज्जाक को हिरासत में लिया गया है। जबकि अजमेर निवासी वकील भगवान सिंह चौहान एसीबी के हाथ नहीं आया। छापों में एसीबी ने अब तक करीब साढ़े 17 लाख रूपए एवं भर्ती से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
इस बीच राजस्थान उच्च न्यायालय प्रशासन ने लिपिक भर्ती परीक्षा के प्रभारी अधिकारी अजमेर के जिला न्यायाधीश अजय कुमार शारदा को एपीओ कर दिया है। सीकर डीजे उमेश शर्मा का अजमेर तबादला किया है। बताया जा रहा है कि शारदा को बांसवाड़ा में पारिवारिक न्यायालय में लगाया जा रहा है। उधर, हाईकोर्ट द्वारा मामले की विजिलेंस जांच शुरू करने की जानकारी मिली है।
2 से 3 लाख तक लिए!
थानों में बंधी प्रकरण की तरह कनिष लिपिक परीक्षा में पर्चियों से भ्रष्टाचार का खेल किया गया है। एसीबी को लिपिक राजेश शर्मा एवं एडवोकेट हेमराज के आवास की तलाशी में अभ्यार्थियों के नाम एवं रोल नंबर लिखी पर्चियां मिली हैं। इन पर सही व क्रॉस के निशान थे। एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि संभवत: अभ्यार्थियों से दो से तीन लाख रूपए तक वसूले गए हैं।
और क्या मिला
अजमेर में वकील चौहान के सिविल लाइंस स्थित घर और कार्यालय से 80 हजार रूपए और कागजात।
हेमराज के केकड़ी स्थित घर से 1,80,000 और रज्जाक के सरवाड़ स्थित घर से 87,600 रूपए।
लिपिक राजेश शर्मा व उसके भाई हितेष शर्मा के सिविल लाइंस स्थित घर से 14 लाख रूपए बरामद किए गए हैं।
एसीबी ने ऎसे कसा शिकंजा
एसीबी को करीब दो माह पहले कुछ लोगों द्वारा रिश्वत लेकर कनिष्ठ लिपिक प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण करवाकर नौकरी लगवाने की सूचना मिली।
एसीबी ने संदिग्धों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवाए। मोबाइल रिकॉर्डिग में नौकरी लगवाने की बात सामने आई।
सूचना की पुष्टि होने के बाद जयपुर एवं भीलवाड़ा के अधिकारियों की स्पेशल टीम गठित की गई। अजमेर एसीबी टीम को भी कार्रवाई की भनक नहीं लगने दी गई।
यह टीम कई दिनों से राजेश, रितेश, भगवान सिंह व हेमराज पर नजर रख रही थी। पड़ताल में इनकी अभ्यर्थियों से मुलाकात की बात सामने आई।
डीआईजी गोविन्द नारायण पुरोहित के नेतृत्व में गठित
स्पेशल टीम ने मंगलवार को सूत्र की पुख्ता सूचना के आधार पर छापा मारा।
अब प्रक्रिया हाईकोर्ट के अधीन
अजमेर न्याय क्षेत्र में एलडीसी के 47, अंग्रेजी के 1 व हिन्दी आशुलिपिक के 7 पदों के लिए विज्ञप्ति जनवरी में जारी की गई थी और लिखित परीक्षा 24 फरवरी को हुई। कंप्यूटर टेस्ट 14 अप्रेल को हुआ।
यह परीक्षा जिला एवं सत्र न्यायालय की ओर से आयोजित करवाई गई थी। भर्ती में विवाद के बाद पूरी प्रक्रिया यहीं रोक दी गई है। अब भर्ती प्रक्रिया उच्च न्यायालय के अधीन निष्पादित की जाएगी।
पिछले दिनों शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ लोग लिपिक भर्ती परीक्षा में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से राशि एकत्र कर रहे हैं और भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, महानिरीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो
अजमेर के प्रकरण से साफ हो गया है कि जिला अदालतों में मंत्रालयिक कर्मचारियों की भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतें सही आ रही हैं, इसी को देखते हुए बार कौंसिल इन भर्तियों को हाईकोर्ट के जरिए कराने की मांग उठा रही है। -संजय शर्मा, चेयरमैन, राजस्थान बार कौंसिल
खुल सकते हैं कई बड़े नाम
लिपिक भर्ती घोटाले का खुलासा होने के बाद पूछताछ में कई और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है। प्रारम्भिक जांच में पांच जनों को सीधे तौर पर एसीबी ने प्रकरण में लिप्त माना है। छापों में बरामद रकम किसको पहुंचाई जानी थी, एसीबी इस दिशा में पूछताछ में जुटी है।
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