महिला को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना अपराध
भोपाल। फेसबुक पर महिला को लगातार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना भी अपराध है। इस शिकायत को पुलिस नजरअंदाज नहीं कर सकती। यदि करती है, तो उसे भी जिम्मेदार मानते हुए सह आरोपी बनाया जा सकता है। यह जानकारी सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों ने पुलिस अफसरों को दी। कानून में हुए नए संशोधन की बारीकियां समझाने के लिए शनिवार को पुलिस नियंत्रण कक्ष में अफसरों की क्लास लगाई गई थी।
इस दौरान कई संशोधनों से अफसर वाकिफ नहीं थे। कई अफसरों को नई जानकारी मिली तो वे सवाल-जवाब करते नजर आए। बैठक में पुलिस अधीक्षक, एएसपी, सीएसपी के अलावा थाना प्रभारी मौजूद थे। कानून के संशोधनों की जानकारी देने के लिए सहायक लोक अभियोजन अधिकारी उदयभान सिंह रघुवंशी और लोकेन्द्र द्विवेदी पहुंचे थे। सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों ने कानून के नए संशोधनों की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें समाज को भी जोड़ा गया है। कई मामलों में आया है कि व्यक्ति घटना देखने के बाद मूकदर्शक बना रहता है।
अब ऎसा नहीं होगा। संशोधनों में ऎसे व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने के संबंध में कानून बनाया गया है। बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में यदि कोई व्यक्ति जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचना नहीं देता है, तो वह धारा 21 के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा। यदि कोई सूचना देता है और उसे पुलिस दर्ज नहीं करती है, तो वह भी उसी श्रेणी का मामला माना जाएगा।
क्यों दिया गया प्रशिक्षण
दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद बालकों और महिलाओं से संबंधित अपराध कानूनों की समीक्षा की गई। इस समीक्षा के बाद कोर्ट स्तर पर होने वाली कार्रवाई में फेरबदल किया गया। आईपीसी और सीआरपीसी से जुड़े आपराधिक कानून में करीब एक दर्जन से अधिक फेरबदल हुए हैं। इनकी जानकारी अफसरों को तो थी, लेकिन वे इनकी बारीकियों से वाकिफ नहीं थे।
कौन-कौन सी दी गई जानकारी
महिला पर तेजाब फेंकने पर धारा 326 लगाई जाती थी। अब पुलिस अफसरों को धारा 326 ए लगाना होगी।
यौन शोषण के मामले में इलाज करने से मना करता है, तो उसके खिलाफ 166 बी के तहत कार्रवाई होगी।
यौन शोषण के मामले में पुलिस अधिकारी या कर्मचारी एफआईआर दर्ज करने से इनकार करता है, तो वह 166 ए की श्रेणी में आएगा।
महिला से जुड़े मामलों के बयान अब थाने की बजाय घर पर पुलिस अधिकारी या कर्मचारी दर्ज करेंगे।
महिला का कोई पीछा करे या फिर महिला को फेसबुक या अन्य कोई सोशल साइट पर लगातार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है, तो वह धारा 354 डी के तहत दर्ज किया जाएगा।
किस विषय पर सर्वाधिक पूछे गए सवाल
सहायक अभियोजन अधिकारियों ने कानून के नए संशोधनों की जानकारी दी। इसके बाद हुए सवाल-जवाब में कुछ प्रश्न ऎसे थे, जिसके संबंध में बार-बार पुलिस अधिकारियों ने जवाब मांगे।
महिला के लगातार पीछा करने वाले मामले पर।
चिकित्सक और पुलिस अफसरों के कार्रवाई नहीं किए जाने के मामले पर।
भोपाल। फेसबुक पर महिला को लगातार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना भी अपराध है। इस शिकायत को पुलिस नजरअंदाज नहीं कर सकती। यदि करती है, तो उसे भी जिम्मेदार मानते हुए सह आरोपी बनाया जा सकता है। यह जानकारी सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों ने पुलिस अफसरों को दी। कानून में हुए नए संशोधन की बारीकियां समझाने के लिए शनिवार को पुलिस नियंत्रण कक्ष में अफसरों की क्लास लगाई गई थी।
इस दौरान कई संशोधनों से अफसर वाकिफ नहीं थे। कई अफसरों को नई जानकारी मिली तो वे सवाल-जवाब करते नजर आए। बैठक में पुलिस अधीक्षक, एएसपी, सीएसपी के अलावा थाना प्रभारी मौजूद थे। कानून के संशोधनों की जानकारी देने के लिए सहायक लोक अभियोजन अधिकारी उदयभान सिंह रघुवंशी और लोकेन्द्र द्विवेदी पहुंचे थे। सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों ने कानून के नए संशोधनों की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें समाज को भी जोड़ा गया है। कई मामलों में आया है कि व्यक्ति घटना देखने के बाद मूकदर्शक बना रहता है।
अब ऎसा नहीं होगा। संशोधनों में ऎसे व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने के संबंध में कानून बनाया गया है। बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में यदि कोई व्यक्ति जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचना नहीं देता है, तो वह धारा 21 के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा। यदि कोई सूचना देता है और उसे पुलिस दर्ज नहीं करती है, तो वह भी उसी श्रेणी का मामला माना जाएगा।
क्यों दिया गया प्रशिक्षण
दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद बालकों और महिलाओं से संबंधित अपराध कानूनों की समीक्षा की गई। इस समीक्षा के बाद कोर्ट स्तर पर होने वाली कार्रवाई में फेरबदल किया गया। आईपीसी और सीआरपीसी से जुड़े आपराधिक कानून में करीब एक दर्जन से अधिक फेरबदल हुए हैं। इनकी जानकारी अफसरों को तो थी, लेकिन वे इनकी बारीकियों से वाकिफ नहीं थे।
कौन-कौन सी दी गई जानकारी
महिला पर तेजाब फेंकने पर धारा 326 लगाई जाती थी। अब पुलिस अफसरों को धारा 326 ए लगाना होगी।
यौन शोषण के मामले में इलाज करने से मना करता है, तो उसके खिलाफ 166 बी के तहत कार्रवाई होगी।
यौन शोषण के मामले में पुलिस अधिकारी या कर्मचारी एफआईआर दर्ज करने से इनकार करता है, तो वह 166 ए की श्रेणी में आएगा।
महिला से जुड़े मामलों के बयान अब थाने की बजाय घर पर पुलिस अधिकारी या कर्मचारी दर्ज करेंगे।
महिला का कोई पीछा करे या फिर महिला को फेसबुक या अन्य कोई सोशल साइट पर लगातार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है, तो वह धारा 354 डी के तहत दर्ज किया जाएगा।
किस विषय पर सर्वाधिक पूछे गए सवाल
सहायक अभियोजन अधिकारियों ने कानून के नए संशोधनों की जानकारी दी। इसके बाद हुए सवाल-जवाब में कुछ प्रश्न ऎसे थे, जिसके संबंध में बार-बार पुलिस अधिकारियों ने जवाब मांगे।
महिला के लगातार पीछा करने वाले मामले पर।
चिकित्सक और पुलिस अफसरों के कार्रवाई नहीं किए जाने के मामले पर।
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