मरूधरा में फिर महकेगा गूगल!
जैसलमेर। मरूधरा पर गूगल अपनी महक बिखरने को बेताब है। तीन दशक पूर्व अत्यधिक दोहन से नष्ट हुए गूगल के पौधों को इस बार महकाने का जिम्मा वन विभाग ने लिया है। वन विभाग की धनुवा रेंज में इन दिनों पांच हजार गूगल के पौधों की श्ृंखला तैयार हो रही है। ये पौधे अभी बाल्यवस्था में है और तीन साल बाद ये युवा अवस्था में पहुंच जाएंगे। पथरीली व बंजर जमीन पर खिलने वाली गूगल की पौध को साल में केवल 45 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। ये पौधे एक बार उग जाने के बाद उचित देखभाल पर जीवनपर्यन्त गूगल देता है। एक पौधा एक बार में दो से तीन किलो गूगल देता है।
अतिदोहन से हुए नष्ट
पूर्व में जैसलमेर की बंजर जमीन पर गूगल बहुतायात में पाया जाता था। यहां प्राकृतिक रूप से ही गूगल की पौध उग आती थी। लोगों को इसकी उपयोगिता की जानकारी होने पर उन्होंने इसका अतिदोहन किया। इससे इसकी सारी पौध नष्ट हो गई थी। इसके बाद वन विभाग ने स्थानीय प्रतिनिधियों के कहने पर गूगल की पौध श्ृंखला को दुबारा से तैयार करने का बीड़ा उठाया।
ऎसे किया तैयार
वन विभाग की धेनुआ रेंज में गूगल के पांच हजार पौधों की पहली श्ृंखला को तैयार करने के लिए 2010 में कार्य शुरू किया गया। पहले इसे प्राकृतिक पौधों की सूखी हुई जड़ व शाखाओं से नर्सरी में रूट एंड शूट पद्धति से पनपाया गया। इसके बाद इसे पथरीली व बंजर जमीन पर रोपा गया और तीन साल बाद अब इन पौधों की श्ृंखला अब निखरने लगी है।
आयुर्वेदिक औषधि में उपयोगी
गूगल से पूर्व में अगरबती व धूपबती बनाने में उपयोग होता था, लेकिन इसकी उपयोगिता आयुर्वेदिक औष्ाधियों में होने से देश व विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ी है। अब यहां भी दुबारा से गूगल की पौध श्ृंखला तैयार हो जाने से एक बार फिर मुरधरा गूगल का उत्पादन कर सकेगी।
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