मंगलवार, 5 मार्च 2013

गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण जारी रहेगा


गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण जारी रहेगा


हाई कोर्ट का आदेश- ५० फीसदी सीमा से ऊपर चार प्रतिशत आरक्षण पर रहेगी रोक 




 जयपुर  हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एसबीसी (विशेष पिछड़ा वर्ग) में गुर्जर सहित गाडिया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को मिल रहे एक प्रतिशत आरक्षण को जारी रखने का आदेश दिया है। ५० सीमा से ऊपर चार प्रतिशत आरक्षण पर रोक रहेगी।

हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 30 नवंबर 2012 की अधिसूचना से एसबीसी को पांच प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने का 29 जनवरी 2013 का आदेश सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी व एम नागराज केस में दिए निर्णय के पालन में दिया गया था। राज्य सरकार द्वारा 30 नवंबर 2012 की अधिसूचना से एसबीसी को पांच प्रतिशत आरक्षण देने से वह पचास प्रतिशत से ज्यादा हो गया, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में तय की गई पचास प्रतिशत आरक्षण सीमा से ज्यादा है। ऐसे में हाईकोर्ट को 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर रोक लगाने वाले 29 जनवरी 2013 के आदेश में कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। शेष त्न पेज ४



न्यायाधीश एनके जैन व जेके रांका की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश मुकेश सोलंकी की जनहित याचिका पर राज्य सरकार के उस प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिया जिसमें 29 जनवरी 2013 के आदेश को स्पष्ट व संशोधित करने की गुहार की थी। जबकि प्रार्थी ने एसबीसी को एक प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध किया। अदालत दोनों पक्षों को सुनकर एक प्रतिशत आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करते हुए मामले की अंतिम सुनवाई 12 मार्च तय की।

यह कहा था सरकार ने

राज्य सरकार ने प्रार्थना पत्र में 29 जनवरी 2013 के आदेश को स्पष्ट और संशोधित करने की गुहार करते हुए कहा कि एसबीसी को एक प्रतिशत आरक्षण 6 मई 2010 व 7 अगस्त 2012 के आदेश से दिया। सरकार ने इन दोनों आदेशों का विलय कर 30 नवंबर 2012 की अधिसूचना से एसबीसी को पहले के एक प्रतिशत आरक्षण सहित कुल पांच प्रतिशत आरक्षण दिया। अदालत ने 29 जनवरी के आदेश से 30 नवंबर की अधिसूचना की क्रियान्वयन पर रोक लगाई, ऐसे में पहले से एसबीसी को मिल रहे एक प्रतिशत आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट की जाए।

बैंसला के खिलाफ याचिका खारिज

सुनवाई के दौरान अदालत ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की गुहार करने वाले प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। प्रार्थना पत्र में बैंसला द्वारा 28 फरवरी को की गई टिप्पणी पर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन अदालत ने कहा कि यह अवमानना का मामला नहीं है। अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने के लिए रावत व बड़वा समाज को हस्तक्षेपकर्ता बनाने का निर्देश दिया।

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