गुरुवार, 7 मार्च 2013

विकास नहीं, वोट बैंक पर ध्यान

विकास नहीं, वोट बैंक पर ध्यान

जयपुर।बजट के आंकड़ों पर जरा बारीकी से निगाह डालें तो दो चीजें साफ नजर आती हैं। पहली ये कि 2012-13 में सरकार की आय बढ़ गई है। दूसरी ये कि इस बढ़ी हुई आय का काफी बड़ा हिस्सा सरकार ने लोक लुभावन घोषणाओं पर खर्च किया है। अशोक गहलोत के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट चुनाव की तैयारी सा नजर आता है।

बाड़मेर में निकल रहे तेल की कमाई का एक बड़ा हिस्सा गरीबों को साडियां, कम्बल बांटने, एक रूपए किलो में अनाज देने, कर्मचारियों को खुश करने और सामाजिक सुरक्षा की पेंशन का दायरा बढ़ाने की घोषणाओं में खर्च होगा। हालांकि हर माह पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से त्रस्त प्रदेश के मध्यम वर्ग पेट्रोल पर वैट की दरों में कमी, यूजर चार्ज हटने और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में राहत नहीं मिली। सिर्फ भूमि कर की समाप्ति की घोषणा से ही उन्हें थोड़ा फायदा मिलेगा।


हर वर्ग को कुछ न कुछदेने की कोशिश

करीब 2 घंटे 50 मिनट के मैराथन भाषण में मुख्यमंत्री ने हर वर्ग को कुछ न कुछ देने की कोशिश की है। डेढ़ लाख से ज्यादा नौकरियों के अवसर, हर वर्ग को मिल रही पेंशन में बढ़ोतरी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद में बोनस, स्कूली बच्चों के लिए टेबलेट पीसी, बुजुर्गो को निशुल्क तीर्थयात्रा, अल्पसंख्यक समुदाय की बçच्चयों को स्कूटी जैसी ढेरों घोषणाएं बजट में हैं, लेकिन विकास के लिए जरूरी बिजली, पानी, सड़क, कानून-व्यवस्था आदि के लिए वे रूटीन घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं दे पाए। सरकार ने टैक्स से 310 करोड़ की आय बताई है, जबकि करों में राहत 400 करोड़ की दी है।


बिजली को आवंटन ज्यादा, मगर अनुदान में होगा खर्च


बिजली के लिए साढ़े 13 हजार करोड़ रूपए की राशि रखी तो गई है, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा घाटे में चल रही विद्युत कम्पनियों को सहायता के रूप में ही है। इसी तरह सड़कों के लिए भी उन्होंने कोई बड़ी घोषणाएं नही की हैं। जिलास्तर पर 21 बीओटी सड़कों के बारे में कहा गया है, लेकिन इसका भार भी अंत में जनता पर ही पड़ेगा, क्योंकि ये सड़कें बीओटी पर बन रही हैं और टोल वसूली जनता से ही होगी।

कर्मचारी असमंजस में


मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उनकी पुरानी मांग पूरी करते हुए एक जनवरी 2006 से छठे वेतनमान आयोग का लाभ तो दे दिया, लेकिन इस घोषणा से कर्मचारियों को नकद लाभ एक वेतन वृद्धि के बराबर ही मिलेगा। वह भी सभी कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। दरअसल कर्मचारी उन्हें मिली सौगात को ले कर असमंजस में हैं। गहलोत ने कृष्णा भटनागर समिति की रिपोर्ट लागू करने की बात कही है और कर्मचारियों को वास्तव में कितना फायदा हुआ, यह रिपोर्ट लागू होने के बाद ही पता चलेगा। बजट में कर्मचारियों के लिए 2500 करोड़ रूपए रखे गए हैं।


घोषणाओं का अम्बार, 7 माह में पूरी करना चुनौती

एक महत्वपूर्ण बात यह है कि 113 पेज के इस बजट भाषण मे घोषणाओं का अम्बार है, लेकिन सरकार का मौजूदा कार्यकाल सात माह का ही बचा है। ऎसे में इन घोषणाओं को समय पर
पूरा करना गहलोत सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगा।

ताकि जागे सुरक्षा का अहसास


जनता में सुरक्षा की भावना बढ़ाने के लिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों में एक ग्राम रक्षक तैनाती और पंचायत समितियों के एक उ.मा. विद्यालय में स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना लागू करने की घोषणा की। दिल्ली गैंगरेप के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर चिंतित सरकार ने टोल फ्री महिला हेल्पलाइन व छात्राओं को आत्मरक्षा की टे्रेनिंग की भी घोषणा की है।

दवाओं के बाद जांच भी मुफ्त


इस बजट में नि:शुल्क दवा योजना के तहत मुफ्त मिल रही योजनाओं की संख्या 400 से 600 कर दी गई है, साथ ही नि:शुल्क जांच योजना की भी घोषणा की गई। 7 जुलाई, 2013 से शुरू हो रही योजना को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। 15 अगस्त, 2013 से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच मुफ्त होगी।

अंतर-जातीय विवाह पर 5 लाख


सरकार ने इस बजट में अस्पृश्यता उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए एक खास कदम उठाया है। सामान्य जाति के युवक या युवती से विवाह करने पर अनुसूचित जाति के युवक या युवती को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि 50 हजार से बढ़ाकर 5 लाख रूपए कर दी गई है। इससे अंतर-जातीय विवाहों को बढ़ावा मिल पाएगा।

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