सुबह 9.40 बजे राज्य सरकार और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड(एचपीसीएल) के अधिकारियों ने समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
जयपुर। राजस्थान के बाड़मेर जिले में रिफाइनरी व पेट्रोकेमिकल कॉम्पलेक्स की स्थापना पर गुरूवार को मुहर लग गई। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली,राज्यमंत्री पी लक्ष्मी व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में सुबह 9.40 बजे राज्य सरकार और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड(एचपीसीएल) के अधिकारियों ने समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
राज्य के पेट्रोलियम सचिव सुधांश पंत और एचपीसीएल के सीएमडी एस रॉय चौधरी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मौके पर मोइली को लकी बताते हुए उनका आभार व्यक्त किया।
क्या है एमओयू में?
एमओयू में राज्य सरकार की ओर से एचपीसीएल को 15 साल के लिए 3736 करोड़ रूपए का लोन देने का उल्लेख है। यह लोन ब्याज मुक्त होगा। इसके साथ ही राज्य सरकार का पैकेज 56040 करोड़ रूपए का हो गया है। लोन की यह राशि 5 साल बाद में देनी शुरू की जाएगी।
गहलोत ने दिया रात्रि भोज
एमओयू पर हस्ताक्षर से पहले बुधवार को ही पेट्रोलियम विभाग और एचपीसीएल के अधिकारियों ने एमओयू के दस्तावेज को अंतिम रूप दे दिया था। मुख्यमंत्री की ओर से पेट्र्रोलियम मंत्रियों,मंत्रिमंडल के सदस्यों,विधायकों और पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारियों को अपने निवास पर रात्रि भोज दिया।
तेल उत्पादन में राजस्थान अव्वल
राज्य में तेल के अथाह भण्डारों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राजस्थान को अब तृतीय श्रेणी से निकालकर प्रथम श्रेणी में रख दिया है। ऎसे में राज्य अब मुम्बई हाई, असम एवं गुजरात के समकक्ष आ गया है।
मंगला ऑयल फील्ड गत दो दशकों में देश में सबसे बड़ी तेल खोज मानी गई है। केयर्न इण्डिया ने नवीनतम आकलन में बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 900 मिलियन टन (7.3 बिलियन बैरल्स) तेल भण्डार होने का दावा किया है।
इस बेसिन में केयर्न अब तक 25 तेल एवं गैस क्षेत्रों की खोज कर चुका है। इनमें मंगला, भाग्यम, सरस्वती, रागेश्वरी, एश्वर्या प्रमुख हैं। मंगला तेल क्षेत्र में अब तक 134 मिलियन बैरल से अधिक तेल का उत्पादन किया जा चुका है। राज्य में सबसे पहले तेल क्षेत्र की खोज बाड़मेर जिले के गुढ़ामलानी में हुई।
15 जिलों में भण्डार
प्रदेश के 15 जिलों में 1.50 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में तेल भण्डार फैले हुए हैं। इनमें बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जालौर, जोधपुर, कोटा, झालावाड़, बांरा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों को चार बेसिन में विभाजित किया गया है। राज्य के पेट्रोलियम निदेशालय को वर्ष 1996-97 में सालाना 25 लाख रूपए की आय होती थी। यह आय अब 15 साल में बढ़कर करीब 5 हजार करोड़ पर पहुंच गई है।
फैक्ट फाइल
साढ़े 9 हजार बीघा में लगेगी रिफाइनरी व पेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स
4 साल में रिफाइनरी का काम होगा पूरा
37 हजार करोड़ रूपए से अधिक रिफाइनरी पर आएगी लागत
56040 करोड़ का राज्य सरकार ने वायबिलिटी गैप पूरा करने के लिए
दिया पैकेज
रिफाइनरी में एचपीसीएल, ओएनजीसी, ईआईएल व राज्य सरकार होंगी शामिल
वर्ष 2005 से राज्य में रिफाइनरी लगाने को लेकर चल
रही थी कवायद
25 तेल क्षेत्रों को अब तक खोजा जा चुका
300 लगभग तेल कुओं की खुदाई
15 जिलों में 4 तेल क्षेत्र (बेसिन) चिन्हित किए
1.75 लाख बैरल क्रूड ऑयल उत्पादन रोजाना
हाइड्रोकार्बन उत्पादन व राजस्व
(वर्ष 2012-13)
खनिज तेल 1.75 लाख बैरल
प्रतिदिन उत्पादन
प्राकृतिक गैस 9 लाख घन मीटर
रॉयल्टी तेल 20 फीसदी, सीएसटी - 2 फीसदी
रॉयल्टी गैस 10 फीसदी, वेट - 5 फीसदी
आय 4900 करोड़ लगभग
वर्ष 2013-14 (अनुमानित)
खनिज तेल 1.75 लाख बैरल
प्रतिदिन उत्पादन
प्राकृतिक गैस 9 से 16 लाख घन मीटर
रॉयल्टी तेल 20 फीसदी, सीएसटी - 2 फीसदी
रॉयल्टी गैस 10 फीसदी, वेट - 5 फीसदी
आय 5000 करोड़ संभावित
राज्य के पेट्रोलियम सचिव सुधांश पंत और एचपीसीएल के सीएमडी एस रॉय चौधरी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मौके पर मोइली को लकी बताते हुए उनका आभार व्यक्त किया।
क्या है एमओयू में?
एमओयू में राज्य सरकार की ओर से एचपीसीएल को 15 साल के लिए 3736 करोड़ रूपए का लोन देने का उल्लेख है। यह लोन ब्याज मुक्त होगा। इसके साथ ही राज्य सरकार का पैकेज 56040 करोड़ रूपए का हो गया है। लोन की यह राशि 5 साल बाद में देनी शुरू की जाएगी।
गहलोत ने दिया रात्रि भोज
एमओयू पर हस्ताक्षर से पहले बुधवार को ही पेट्रोलियम विभाग और एचपीसीएल के अधिकारियों ने एमओयू के दस्तावेज को अंतिम रूप दे दिया था। मुख्यमंत्री की ओर से पेट्र्रोलियम मंत्रियों,मंत्रिमंडल के सदस्यों,विधायकों और पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारियों को अपने निवास पर रात्रि भोज दिया।
तेल उत्पादन में राजस्थान अव्वल
राज्य में तेल के अथाह भण्डारों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राजस्थान को अब तृतीय श्रेणी से निकालकर प्रथम श्रेणी में रख दिया है। ऎसे में राज्य अब मुम्बई हाई, असम एवं गुजरात के समकक्ष आ गया है।
मंगला ऑयल फील्ड गत दो दशकों में देश में सबसे बड़ी तेल खोज मानी गई है। केयर्न इण्डिया ने नवीनतम आकलन में बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 900 मिलियन टन (7.3 बिलियन बैरल्स) तेल भण्डार होने का दावा किया है।
इस बेसिन में केयर्न अब तक 25 तेल एवं गैस क्षेत्रों की खोज कर चुका है। इनमें मंगला, भाग्यम, सरस्वती, रागेश्वरी, एश्वर्या प्रमुख हैं। मंगला तेल क्षेत्र में अब तक 134 मिलियन बैरल से अधिक तेल का उत्पादन किया जा चुका है। राज्य में सबसे पहले तेल क्षेत्र की खोज बाड़मेर जिले के गुढ़ामलानी में हुई।
15 जिलों में भण्डार
प्रदेश के 15 जिलों में 1.50 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में तेल भण्डार फैले हुए हैं। इनमें बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जालौर, जोधपुर, कोटा, झालावाड़, बांरा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों को चार बेसिन में विभाजित किया गया है। राज्य के पेट्रोलियम निदेशालय को वर्ष 1996-97 में सालाना 25 लाख रूपए की आय होती थी। यह आय अब 15 साल में बढ़कर करीब 5 हजार करोड़ पर पहुंच गई है।
फैक्ट फाइल
साढ़े 9 हजार बीघा में लगेगी रिफाइनरी व पेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स
4 साल में रिफाइनरी का काम होगा पूरा
37 हजार करोड़ रूपए से अधिक रिफाइनरी पर आएगी लागत
56040 करोड़ का राज्य सरकार ने वायबिलिटी गैप पूरा करने के लिए
दिया पैकेज
रिफाइनरी में एचपीसीएल, ओएनजीसी, ईआईएल व राज्य सरकार होंगी शामिल
वर्ष 2005 से राज्य में रिफाइनरी लगाने को लेकर चल
रही थी कवायद
25 तेल क्षेत्रों को अब तक खोजा जा चुका
300 लगभग तेल कुओं की खुदाई
15 जिलों में 4 तेल क्षेत्र (बेसिन) चिन्हित किए
1.75 लाख बैरल क्रूड ऑयल उत्पादन रोजाना
हाइड्रोकार्बन उत्पादन व राजस्व
(वर्ष 2012-13)
खनिज तेल 1.75 लाख बैरल
प्रतिदिन उत्पादन
प्राकृतिक गैस 9 लाख घन मीटर
रॉयल्टी तेल 20 फीसदी, सीएसटी - 2 फीसदी
रॉयल्टी गैस 10 फीसदी, वेट - 5 फीसदी
आय 4900 करोड़ लगभग
वर्ष 2013-14 (अनुमानित)
खनिज तेल 1.75 लाख बैरल
प्रतिदिन उत्पादन
प्राकृतिक गैस 9 से 16 लाख घन मीटर
रॉयल्टी तेल 20 फीसदी, सीएसटी - 2 फीसदी
रॉयल्टी गैस 10 फीसदी, वेट - 5 फीसदी
आय 5000 करोड़ संभावित
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