राजस्थानी सिनेमा के विकास को लेकर विोशाघिकारी से की मुलाकात
मृत प्रायः पड़े राजस्थानी सिनेमा में जान फूंकने का प्रयास
जयपुर ॔॔राजस्थानी फिल्मों के माध्यम से ही राजस्थान की कला संस्कृति एवं भाशा जिंदा है उसे कायम रखने के लिए राजस्थानी फिल्मों के उत्थान एवं विकास के लिए राजस्थान सरकार की तरफ से हर सम्भव प्रयास किए जायेंगे और सरकार ने मातृभाशा व कला तथा संस्कृति को ब़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हुए भी है’’ उक्त बात राजस्थानी सिनेमा के विकास की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गए प्रतिनिधी मंडल को मुख्यमंत्री के विोशाघिकारी पुखराज पारार ने कहीं।
पारार ने कहा की सरकार ने राजस्थानी फिल्मों को हर सम्भव ब़ाने का प्रयास किया जो किसी भी सरकार ने नहीं किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने सरकार के गठन के तुरन्त बाद फिल्मों को टेक्स फ्री किया फिर राजस्थान से समस्त मनोरंजन कर को हटाया और राजस्थानी फिल्मों को अनुदान राि के रूप में पांच लाख देने के आदो दो साल पहले ही दे दिए थे।
़ाई दाक से मृत प्राय पड़े राजस्थानी सिनेमा में जान फूंकने को लेकर किए जा रहे प्रयासों में विधानसभा भाुरू होने के दौरान मुख्यमंत्री के विोशाधिकारी पुखराज पारार से राजस्थानी सिनेमा में अपना सारा जीवन खपा चुके लेखक निर्माता निर्दोक एवं अभिनेता िरीश कुमार और निर्माता व अभिनेता राज जांगिड के नेतृत्व में िश्ट मंडल ने मुलाकात कर राजस्थानी फिल्मों की दयनीय स्तिथि से अवगत कराया।
इस अवसर पर िरीश कुमार ने बताया की यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि किसी भी राज्य का विकास उसकी समृद्ध मातृभाशा, कला एवं संस्कृति व उससे जुड़ें लोगों के स्तर से मापा जाता है। उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार ने अनुदान देने की घोषणा तो की लेकिन दो वशर से अधिक समय बित जाने के बाद भी आज तक एक भी फिल्म को अनुदान प्राप्त नहीं हो सका है।
इस दौरान दर्जनों हिन्दी व राजस्थानी फिल्मों तथा धारावाहिकों में अभिनय कर चुके राज जांगिड ने पाराशर को कहा कि राजस्थानी सिनेमा जिसे उद्योग भी कहा जाता है, के लिए राजस्थानी भाषा और राजस्थानी फिल्म उद्योग को ब़ावा देने के लिए सरकार को चाहिए कि वह राजस्थान फिल्म डवलपमेंट कॉर्पोरेशन बोर्ड का गठन करे। राजस्थानी फिल्मों को ब़ावा देने के लिए पांच लाख रूपए तक के अनुदान की जो घोषणा सरकार ने की है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इस अनुदान राशि को ब़ाकर कम से कम 15 लाख रूपए किया जाना चाहिए ताकि राजस्थानी फिल्में बनाने की होड़ सी लग जाए और 15 लाख रूपए की सहायता लेने के लिए फिल्म निर्मातानिर्देशक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए गुणवतापूर्ण राजस्थानी फिल्में बनाएंगे। जिससे समाज विकास के साथ साथ इनके माध्यम से राजस्थानी कला, संस्कृति को पूरी दुनिया में पहचान मिलेगी तथा आने वाली नई पिी भी भाषा से अवगत हो सके।
इस अवसर पर भीलवाडा से गये फिल्म निर्माता लेखराज सोनी अभिनेता अभिनव शर्मा सुरेश खांडल मुकेश सोनी आदि शिश्ट मण्डल में साथ थे।
इस अवसर पर िरीश कुमार ने बताया की यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि किसी भी राज्य का विकास उसकी समृद्ध मातृभाशा, कला एवं संस्कृति व उससे जुड़ें लोगों के स्तर से मापा जाता है। उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार ने अनुदान देने की घोषणा तो की लेकिन दो वशर से अधिक समय बित जाने के बाद भी आज तक एक भी फिल्म को अनुदान प्राप्त नहीं हो सका है।
इस दौरान दर्जनों हिन्दी व राजस्थानी फिल्मों तथा धारावाहिकों में अभिनय कर चुके राज जांगिड ने पाराशर को कहा कि राजस्थानी सिनेमा जिसे उद्योग भी कहा जाता है, के लिए राजस्थानी भाषा और राजस्थानी फिल्म उद्योग को ब़ावा देने के लिए सरकार को चाहिए कि वह राजस्थान फिल्म डवलपमेंट कॉर्पोरेशन बोर्ड का गठन करे। राजस्थानी फिल्मों को ब़ावा देने के लिए पांच लाख रूपए तक के अनुदान की जो घोषणा सरकार ने की है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इस अनुदान राशि को ब़ाकर कम से कम 15 लाख रूपए किया जाना चाहिए ताकि राजस्थानी फिल्में बनाने की होड़ सी लग जाए और 15 लाख रूपए की सहायता लेने के लिए फिल्म निर्मातानिर्देशक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए गुणवतापूर्ण राजस्थानी फिल्में बनाएंगे। जिससे समाज विकास के साथ साथ इनके माध्यम से राजस्थानी कला, संस्कृति को पूरी दुनिया में पहचान मिलेगी तथा आने वाली नई पिी भी भाषा से अवगत हो सके।
इस अवसर पर भीलवाडा से गये फिल्म निर्माता लेखराज सोनी अभिनेता अभिनव शर्मा सुरेश खांडल मुकेश सोनी आदि शिश्ट मण्डल में साथ थे।
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