बुधवार, 6 मार्च 2013

जयपुर में विधानसभा के सामने लाठीचार्ज

जयपुर में विधानसभा के सामने लाठीचार्ज
जयपुर। राजधानी में विधानसभा के सामने जनपथ पर बुधवार को वकीलों के उग्र प्रदर्शन पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। वकीलों और पुलिस के बीच इस लाठी-भाटा जंग के बाद रैली में भगदड़ मच गई। जयपुर पुलिस के डीसीपी (साउथ) डीके जॉन सहित कई पुलिस अधिकारी और आधा दर्जन वकील भी जख्मी हो गए। फिलहाल,जनपथ पर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है और पथराव का दौर जारी है।

ज्ञात हो कि विधानसभा के बाहर जब वकीलों पर लाठीयां भांजी जा रही थी,सदन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट भाषण दे रहे थे।


लाठीचार्ज के बाद पथराव,आंसू गैस

जनपथ पर पुलिस के बल प्रयोग से वकीलों में भगदड़ मच गई और वे अमरूदों का बाग की तरफ भागने लगे। वकीलों ने यहां ईट और पत्थर उठाए और पुलिस पर फैंकना शुरू कर दिया। पुलिस ने भी इस पथराव पर जवाबी कार्रवाई करते हुए आंसू गैस के गोले बरसाए।


वकीलों ने लांघी सीमा

विधानसभा तक पहुंचने के लिए वकीलों ने जनपथ पर लगाए गए सुरक्षा बैरिकेट्स की परवाह नहीं की ओर उन्हें तोड़ते आगे बढ़ते गए। रैली जब वित्त भवन पहुंची तो वहां पुलिस की मौजूदगी में बैरिकेट को तोड़ते हुए वकील आगे बढ़ गए। इसके बाद रैली के रूप में जब वकील हाई कोर्ट तक पहुंचे तो पुलिस ने यहां भी उन्हें रोकनेक ी कोशिश की। लेकिन वकील उग्र हो गए और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करते हुए बैरिकेटिंग तोड़ दी। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर वकीलों को वहां से खदेड़ना शुरू कर दिया।

जयपुर कमिश्नर ने संभाली कमान

हजारों की संख्या में वकीलों की भीड़ जब जनपथ पर बेकाबू होती दिखी तो जयपुर पुलिस कमिश्नर बीएल सोनी ने वकीलों पर कार्रवाई की कमान खुद संभाली। हाथ में डंडा लिए कमिश्नर वकीलों को खदेड़ते नजर आए। करीब तीन-साढ़े तीन हजार वकीलों की अनियंत्रित भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस का भारी मशक्कत करनी पड़ी।

हजारों वकील सड़कों पर,रास्ते जाम

बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के आह्वान पर अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर हजारों वकील बुधवार सुबह राजधानी की सड़कों पर उतरे। अपनी मांगे मनवाने के लिए कवकीलों का यह हुजूम बनीपार्क सेशनकोर्ट पर एकजुट हुआ और प्रदर्शन रैली के रूप में विधानसभा के लिए रवाना हुआ। इस दौरान शहर के मुख्य रास्तों पर यातायात बाधित रहा।


यह है वकीलों की मांग

- न्यूनतम दरों पर आवास के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाए।
- पांच वर्ष से कम अनुभव वाले अधिवक्ताओं को प्रतिमाह 2 हजार रूपए भत्ता मिले।
- राजस्थान अधिवक्ता कल्याण कोष में 10 करोड़ का अनुदान।
- अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम बने।
- राजस्व बोर्ड में अधिवक्ताओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाए।
- उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष पदों में से 50 प्रतिशत अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित किए जाएं।
(इन प्रमुख मांगों सहित वकिलों ने 14 मांगे रखी हैं।)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें