कई स्कुलो में होगा मां भारती का जलगान
- सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग की नई पहल
- पानी बचने का सन्देश देगा यह कार्यकर्म
बाड़मेर , राज्य भर में पानी बचने और जल के अपव्यय को रकने के लिए काम कर रहा सीसीडीयू का आईईसी अनुभाग रेतीले बाड़मेर से एक ख़ास पहल की शुरुवात करने जा रहा है . बाड़मेर के कई विधालय सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग के इस ख़ास कार्यकर्म से रूबरू होते नजर आएँगे . सीसीडीयू के आईईसी कंसलटेंट अशोक सिंह ने बताया की अगले महीने बाड़मेर जिले के कई विधालयो में माँ भारती का जलगाँन कार्यकर्म आयोजित किया जायेगा . माँ भारती के जलगान में पानी के उस पुरे चक्र को शामिल किया गया है जिसमे की पानी भाप बनकर किस तरह पर्वतों पर बदल का रूप लेने के बाद बरसात के रूप में फिर धरा पर पहुचता है . इसी पानी के चलते नदी ,बांध ,पोखर , नाले, तालाब,खेत और पनघट पर हँसी आबाद है .जल से सारी सभ्यतायें ,जल एक ही है, पर अनेक है आधार की बात को सार्थक करने वाले इस कार्यकर्म में बच्चो के साथ साथ बड़ो को भी जोड़ा जायेगा . इस नविन पहल का मकसद स्कुल में पढने वाले बच्चो को पानी के पुरे चक्र को सरलता से न केवल समझाना है बल्कि वर्तमान हालातो में पानी को लेकर लापरवाह हो चुकी सोच को भी बदलना है . एक तरफ बच्चे जहा हर तरह के सकारात्मक सन्देश को बहुत जल्दी ग्रहण कर लेते है वही दूसरी तरफ बच्चो से बात बड़ो तक भी सहजता से पहुचती है . आने वाली गर्मियों की छुट्टियों से पहले इस नविन पहल को धरा पर उतरने के पीछे एक मकसद यह भी है की बच्चे इन गर्मियों की छुट्टियों में पानी बचाने की बात करे . सिंह ने बताया की माँ भारती के जलगान कार्यकर्म में स्कुलो के बाद कोलेजो और जिला मुख्यालय के साथ साथ ग्रामीण इलाके में मोजूद आवाशीय मदरसों में भी यह कार्यकर्म आयोजित किये जाएँगे .
यह है माँ भारती का जलगान
जयति जय जय जल की जय हो
जल ही जीवन प्राण है।
यह देश भारत....
सागर से उठा तो मेघ घना
हिमनद से चला नदि प्रवाह।
फिर बूंद झरी, हर पात भरी
सब संजो रहे मोती - मोती।।
है लगे हजारों हाथ,
यह देश भारत.....
कहीं नौळा है, कहीं धौरा है
कहीं जाबो कूळम आपतानी।
कहीं बंधा पोखर पाइन है
कहीं ताल, पाल औ झाल सजे।।
कहीं ताल-तलैया ता ता थैया,
यह देश भारत....
यहां पनघट पर हंसी- ठिठोली है
नदी तट पर लगती रोली है।
जल मेला है, जल ठेला है
जल अंतिम दिन का रेला है।।
जल पंचतत्व, जल पदप्रधान
यह देश भारत....
जल वरुणदेव, नदियां माता
जल ही वजु-पूजा-संस्कार।
जल से सारी सभ्यतायें
जल एक ही है, पर नेक आधार।
मां भारती का जलगान है यह
यह देश भारत.....
यह है माँ भारती का जलगान
जयति जय जय जल की जय हो
जल ही जीवन प्राण है।
यह देश भारत....
सागर से उठा तो मेघ घना
हिमनद से चला नदि प्रवाह।
फिर बूंद झरी, हर पात भरी
सब संजो रहे मोती - मोती।।
है लगे हजारों हाथ,
यह देश भारत.....
कहीं नौळा है, कहीं धौरा है
कहीं जाबो कूळम आपतानी।
कहीं बंधा पोखर पाइन है
कहीं ताल, पाल औ झाल सजे।।
कहीं ताल-तलैया ता ता थैया,
यह देश भारत....
यहां पनघट पर हंसी- ठिठोली है
नदी तट पर लगती रोली है।
जल मेला है, जल ठेला है
जल अंतिम दिन का रेला है।।
जल पंचतत्व, जल पदप्रधान
यह देश भारत....
जल वरुणदेव, नदियां माता
जल ही वजु-पूजा-संस्कार।
जल से सारी सभ्यतायें
जल एक ही है, पर नेक आधार।
मां भारती का जलगान है यह
यह देश भारत.....
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