गुरुवार, 28 मार्च 2013

BJP बताये 60 साल में वह कांग्रेस का विकल्प क्यों नहीं बन पाई


बातचीत अविकल रूप में
जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आज एक श्रृद्धांजलि कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि मैं भाजपा से यह सवाल करना चाहूंगा कि 60 साल में वह कांग्रेस का विकल्प क्यों नहीं बन पाई ? मुख्यमंत्री ने कहा कि 60 साल का अरसा कोई कम नहीं होता। भाजपा की नीतियों में, कार्यक्रमों में, इनके विचारों में कहीं न कहीं खोट है, जो इस देश को स्वीकार्य नहीं है। खाली धर्म के नाम पर या लोगों की भावनाओं को भड़काकर ये एक बार सत्ता में आये वो भी अकेले नहीं बल्कि गठबंधन की सरकार चलाई। इतने अर्से के बाद भी देश में इनकी दुर्गती है और इनको कोई पूछता नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का अपना एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। 65 साल की लम्बी गाथा है। इस संदेश यात्रा में हम नई पीढ़ी को इसकी जानकारी देंगे और साथ में हमारे जो फ्लेगशिप प्रोग्राम चाहे राज्य सरकार के हो अथवा यूपीए सरकार के हो, उसकी जानकारी देंगे और उपलब्धियां बतायेंगे ताकि आम जनता हमारा सहयोग करें। इसके साथ ही एनजीओ, स्वयंसेवी संस्थाएं और नौजवान आगे आये। हमारा यह संदेश इस यात्रा में रहेगा। मुख्यमंत्री की मीडिया कर्मियों से बातचीत अविकल रूप में इस प्रकार से है ः- प्रश्नकर्ता ः कांग्रेस संदेश यात्रा की क्या-क्या तैयारियां हैं ? यह कांग्रेस संदेश यात्रा, आपको याद होगा 1998 के अंदर भी पूरे प्रदेश के अंदर निकली थी और पूरे प्रदेश के अंदर इसको बहुत लोगों ने एप्रीशियेट किया कि संदेश यात्रा के माध्यम से जो कांग्रेस की नीतियां रही हैं देश के लिये, आजादी के पहले भी और बाद में भी, उसके सिद्धान्त प्रतिपादित किये थे महात्मा गांधी के जमाने में, पंडित नेहरू और मौलाना आजाद के जमाने में, वहां से चलते चलते एक लम्बा सफर तय किया और देश के लिये कार्यक्रम ऎसे बनाये जिसकी बदौलत जो कुछ भी आज इस मुल्क में दिख रहा है 65 साल के अंदर, 65 साल के पहले का इतिहास जिसको मालूम है, उनको मालूम है कि ना सड़कें थीं, जहां आज सड़कें दिख रही हैं, वहां जंगल थे, दिल्ली के अंदर जहां एम्स बना हुआ है, वह जगह जंगल थी। आज ना पानी, ना बिजली, ना शिक्षा, ना स्वास्थ्य, ना सड़कें थीं, 65 साल का सफर तय करते-करते यहां तक पहुंचे हैं तो एक अवसर होता है कि मान लीजिये आप पब्लिक के अंदर जाते हैं और उनको कांग्रेस संदेश यात्रा के माध्यम से, कांग्रेस शासन में क्या उपलब्धियां रही हैं, क्योंकि यह जो भारतीय जनता पार्टी वाले हैं ये जनता को गुमराह करने के लिये जुमला बोलते हैं। 65 साल में क्या किया, क्या किया, बोलते रहते हैं। इनको पूछो कि आपकी उम्र अभी 60 साल की है, जनसंघ और बीजेपी बने हुए 60 साल हुए हैं। 60 साल में वास्तव में यह लोग अगर अपनी नीतियां बनाते ढंग से, कांग्रेस की तरह सिद्धान्त प्रतिपादित करते, कार्यक्रम ऎसे देते तो पूरे देश की जनता समझती कि वास्तव में कांग्रेस का विकल्प बीजेपी भी हो सकती है। 60 साल का अर्सा कोई कम नहीं होता है। पर आपने देखा कि 60-65 साल के बाद में भी देश के अंदर इनकी वो दुर्गति है, आज साऊथ में इनका कोई नाम लेने वाला नहीं है। नोर्थ ईस्ट में इनको कोई पूछता नहीं है। साऊथ में कर्नाटक में एक बार सत्ता में आये तो आपने देखा कि कैसे इनकी स्थिति खराब हुई। वहां के मुख्य मंत्री को खुद को ही जेल जाना पड़ा। करप्शन के चार्जेज लगे जो अभी तक धुल नहीं पा रहे हैं और अभी कर्नाटका के गांवों के अंदर हवा चल रही है चुनाव जीतने की, इनकी वहां यह स्थिति है। साऊथ और नोर्थ ईस्ट में इनको कोई पूछता नहीं है। 60 साल का अर्सा कम होता है क्या? इसका मतलब इनकी नीतियों में, इनके कार्यक्रमों में, इनके विचारों में कहीं न कहीं खोट है, जो इस देश को स्वीकार नहीं है। इन देशवासियों को इनकी नीतियां, इनके कार्यक्रम, इनके सिद्धान्त स्वीकार नहीं हैं। अब खाली आप धर्म के नाम पर, बाबरी मस्जिद, राम मंदिर बनायेंगे, कॉमन सिविल कोड लायेंगे, धारा 370 हटायेंगे, इस तरह से भड़काकर आपने 8 साल तक गठबन्धन की सरकार चलाई। वह भी अकेले नहीं, गठबन्धन की सरकार चलाकर एक बार आपने सत्ता का सुख भोग लिया, पर इनको पूछो कि 60 साल में आप विकल्प क्यों नहीं बन पाये ? मैं इनसे सवाल करना चाहता हूं। अब यात्राएं राजस्थान में निकालो, चाहे केन्द्र में निकालो, आडवाणी साहब भी यात्रा निकालते-निकालते दुःखी हो गये, थक गये हैं वह भी। उनकी यात्राओं का परिणाम आपने देखा होगा कि कितनी जगह दंगे भड़के थे बाद में। बाबरी मस्जिद गिराई, उस वक्त क्या क्या नहीं हुआ। उसके पहले भी, उसके बाद में भी। कितने निर्दोष लोग मारे गये। उसमें हिन्दू भी थे, मुस्लिम भी थे, कोई सोच नहीं सकता। इन्होंने देश के अंदर हमेशा आग लगाई है। यात्रा निकालकर लोगों को भड़काने का काम किया है और कांग्रेस के लोगों ने आग को बुझाने का काम किया कि देश में प्रेम, मोहब्बत, सद्भाव, भाईचारा कायम रहे जिससे मुल्क तरक्की करे। मेरा मानना है कि चाहे परिवार हो, चाहे गांव हो, चाहे जिला हो, चाहे प्रदेश हो, देश हो, जहां शांति होगी, सद्भाव होगा, भाईचारा होगा, प्रेम-मोहब्बत की भावना होगी, वहीं विकास होगा। बाकी कहीं विकास नहीं होगा। इनकी फितरत में हमेशा आग लगाना ही रहा है। अब यह जो नाटक कर रहे हैं चार साल के बाद में, तो चार साल में तो कांग्रेस की सरकार ने जिस प्रकार फैसले किये हैं, वह फैसले आज प्रदेशवासियों के जेहन में बैठे हुए हैं। बल्कि प्रदेशवासियों के ही नहीं, देशवासियों के जेहन में बैठ गये हैं। राजस्थान सरकार ने जो फैसले किये हैं, जिस रूप में फैसले किये हैं, उसका आज सब जगह स्वागत कर रहे हैं लोग। पूरे मुल्क के लोग आकर यहां की स्कीमों को देख रहे हैं। चाहे शिक्षा की हो, चाहे स्वास्थ्य सेवाओं की हो, सारी स्कीमों की यहां आकर स्टडी कर रहे हैं कि यहां पर क्या क्या फैसले हुए हैं। तो आज यह चाहे यात्रा निकाल लें, पिछली बार यात्रा निकालकर एक बार सरकार बना ली कुछ कारणों से, कारण दूसरे थे, पर इनको भ्रम हो गया कि हमारी यात्रा से सब कुछ हो जायेगा, वह भ्रम इस बार पब्लिक खुद ही तोड़ देगी, यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं। पब्लिक जानती है कि राजस्थान में जो कुछ गरीबों के लिये आम आदमी के लिये, जैसे सोनिया गांधीजी ने कहा कि कांगे्रस का हाथ आम आदमी के साथ। उसी अनुरूप कांग्रेस राजस्थान में काम कर रही है, उसी अनुरूप फैसले कर रही हैं, उसी अनुरूप सोशल सिक्योरिटी के फैसले किये गये हैं, उसी अनुरूप पानी की स्कीमें हो, बिजली का तंत्र मजबूत करना हो, हर क्षेत्र में हम प्रगति कर रहे हैं। ऊपर से रिफाइनरी का जो फैसला हुआ है, यह तो मजाक उड़ा रहे थे रिफाइनरी की, रिफाइनरी ले ली आपने ? केन्द्रीय बजट आया तब इनमें बड़ा उत्साह आ गया, मतलब बड़ी खुशी हुई कि रिफाइनरी नहीं मिली। मतलब इनकी सोच देखो, मैं कंडम करना चाहता हूं इनकी सोच को, कि रिफाइनरी नहीं आयी तो यह नहीं कहा कि हम सबको मिलकर वापस प्रयास करना चाहिये। क्यों नहीं आई? उसकी बजाय उसकी मजाक उड़ाने लगे कि मुख्य मंत्री बार-बार दिल्ली जाते थे, मंत्रियों से मिलते थे, चार चार दिन रूकते थे और केन्द्रीय बजट आ गया, अब रिफाइनरी लेकर आ गये, यह इन्होंने ताने कसे थे यहां पर। कहने का मतलब इनकी सोच नकारात्मक रही। अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं यह कहता कि कोई बात नहीं अभी प्रयास जारी रखो, विपक्ष आपका साथ देगा। पर क्योंकि यह चाहते थे कि रिफाइनरी नहीं आयेगी तो कम से कम जनता में जाकर कहेंगे कि रिफाइनरी लेकर भी नहीं आ पाये। यह नहीं समझते कि रिफाइनरी के साथ में पूरे प्रदेश का और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य जुड़ गया है। साथ में ऊपर से गैस निकल गयी है, तो राजस्थान में अब तेल निकलना, तेल भी कोई कम मात्रा में नहीं निकला है। आज 20-25 पर्सेण्ट तो तेल निकल चुका कंट्री के उत्पादन का राजस्थान में, यह आने वाले वक्त में और ज्यादा बढ़ेगा। यहां गैस के भण्डार भरे पड़े हैं, उसकी भी खोज हो चुकी है। जैसलमेर के बाद में, बाड़मेर के अंदर, जिसकी लांचिंग अभी हम 23 मार्च को करके आये हैं। तो गैस जब निकली है तो गैस बेस पॉवर प्लांट लगेंगे। हमने मंत्रीजी को कहा है कि यह गैस गुजरात नहीं जानी चाहिये। इसका पूरा पूरा उपयोग राजस्थान के लिये होना चाहिये। मतलब खाद के कारखाने गैस बेस, बिजली का उत्पादन गैस बेस, उसी बिजली के उत्पादन से हो सकता है कि रिफाइनरी में जब बिजली की जरूरत होगी बड़ी मात्रा में, वही काम आ जायेगी। उसी गैस से घरों में जो कनेक्शन होते हैं, सूरत में है या बम्बई में है, कई राज्यों में हैं, तो गैस कनेक्शन आज एल पी जी की जगह पाइप लाइन में बिछेगी। तो राजस्थान में गैस निकल चुकी है, राजस्थान में तेल निकल चुका है, पवन ऊर्जा, हवा से जो ऊर्जा पैदा हो रही है ढाई हजार मेगावाट के करीब हम पहुंच चुके है। किसे कहते हैं ढाई हजार मेगावाट का उत्पादन आज पवन ऊर्जा से होने लग गया है। वही बाड़मेर में, जैसलमेर में, चित्तौैड़ में, फलौदी के अंदर, सब जगह पर और लिग्नाइट निकल चुका है। 1,250 मेगावाट का तो कारखाना बाड़मेर के अंदर लग चुका है। गवर्नमेंट सैक्टर के अंदर गिराल अलग लगा हुआ है। नागौर में और बीकानेर में लिग्नाइट के भंडार भरे पड़े हैं। लाइनस्टोन की कमी नहीं है। यहां पर आपके 15-20 कारखाने और आ सकते हैं सीमेंट के। पोटाश पूरे देश में कहीं नहीं है, जब निकलेगा तो सिर्फ राजस्थान में ही निकलेगा। उसकी जांच हो चुकी है। हर मिनरल्स एण्ड माइन्स चाहे आपके मार्बल हो, चाहे वह लाइमस्टोन हो, यहां पर आइरन और निकल गया है करौली के अंदर और भीलवाड़ा के अंदर, उसके लिये प्रोसेस अलग से चल रहा है, तो आने वाले वक्त में राजस्थान का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। कैसे हम वैज्ञानिक तरीके से उसकी माइनिंग करें, दोहन करें, वेस्ट नहीं जाये और राजस्थान की जनता में इसका आने वाले वक्त में इम्पेक्ट रहेगा, क्योंकि इसी से जब आपके कल-कारखाने लगेंगे तो रायल्टी भी मिलेगी, रेवेन्यू भी बढ़ेगी और वह रेवेन्यू जनता के कल्याण में काम आयेगी। हमारी सोच तो यह है। इनकी सोच तो खाली एक लाइन बोलनी पड़ती है कि राजस्थान पिछड़ गया है। जिनकी जैसी दृष्टि होती है, उनके दिमाग में वैसी ही बातें आती हैं। जैसी जिनकी सोच होती है मन के अंदर, नकारात्मक हो, हिंसात्मक हो। हिंसा वही कर सकता है, जिनके मन में हिंसा की भावना हो। नकारात्मक भाषा वही बोल सकता है जिसके दिल में नकारात्मक भावना भरी पड़ी हो। अब इनको पूछो खाली जुमला बोल रहे हो प्लानिंग कमीशन तो सर्टिफिकेट दे रहा है कि राजस्थान पिछड़ा राज्य रहा ही नहीं है और यह बोले जा रहे हैं, बोले जा रहे हैं। मतलब आप खुद सोचियेगा कि मैंने पांच बजट पेश किये हैं। विपक्ष की मैंने ऎसी स्थिति कभी नहीं देखी। मैं पार्लियामेंट में रहा हूं पांच बार, कम से कम आप कोई न कोई कमी तो निकालो कि आपकी यह कमी रह गयी है। यह विपक्ष का धर्म भी होता है। आप नीचे मुंह करके मीडिया से मिलो ही नहीं और घर चले जाओ और फिर बीजेपी के दफ्तर से शाम को चार लाइन का प्रेस नोट जारी होवे। बजट की प्रतिक्रिया दे रहे हो। इससे बुरी गत किसी की हो सकती है ? यह इनकी गत बनी हुई है आज तक। इस बार भी क्या हुआ, खाली आपने फोरमेलिटी की है और प्राइवेटली सब कहते हैं कि ऎसा बजट हमने जिन्दगी में कभी ना सुना, ना कभी पढ़ा है, ना कभी हमने कल्पना की थी। ऎसा शानदार बजट पेश किया गया है। अब कहते हैं बजट तो बहुत शानदार आ गया, अब यह लागू हो पायेगा क्या? यह चिन्ता उनको सता रही है कि लागू नहीं हो तो कितना अच्छा रहे। जिनकी सोच यह हो कि लागू ही नहीं हो तो हम ऎसा माहौल बनाये कि ब्यूरोक्रेसी लागू करे ही नहीं। टाइम पास हो जाये फिर इलेक्शन कमीशन बैन लगा देगा। तो इनके सपने वह है कि जितना जल्दी टाइम पास हो, जितना जल्दी आचार संहिता लागू हो जाये और जो बजट पेश किया गया, वह लागू नहीं हो फिर हम इलेक्शन में कहें देखिये खाली आपको झांसे दिये गये। सरकार ने कुछ भी नहीं किया। यह इनकी सोच है। इसलिये मैं चाहता हूं कि उनकी सोच उनको मुबारक हो। प्रदेश कांगे्रस कमेटी के माध्यम से हमारी जो यात्रा निकल रही है, वह खाली हम जनता को एजूकेट करने के लिये, जो कांग्रेस का संदेश तो है ही है नई पीढ़ी के लिये भी है, आने वाली पीढ़ियां भी मैं समझता हूं कि जो कांग्रेस के त्याग, बलिदान की लम्बी कहानी है, उसको याद रखें जिससे कि देश में आने वाली पीढ़ियां भी तैयार रहें, सुप्रीम सेक्रिफाइस करना पड़े तो करेंगे, पर मुल्क को एक रखेंगे अखण्ड रखेंगे। महात्मा गांधी की हत्या, इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव गांधी की हत्या, सरदार बेअंत सिंहजी की हत्या हुई हो आंतकवाद से लड़ते-लड़ते, परन्तु मुल्क को एक रखा है, अखण्ड रखा है। हम बार-बार कहते हैं कि हम जिन पदों पर बैठे हुए हैं, हमारे दिल में यही जज्बा है कि हमारी जान चली जाये, परवाह नहीं करेंगे पर देश को एक रखेंगे, अखण्ड रखेंगे। यही भावना कांग्रेस की खुद की रही है, यही भावना कांग्रेस के तिरंगे झण्डे की रही है, जिसके त्याग-बलिदान की कहानी आजादी के पहले से है। आजादी के बाद के 65 साल की लम्बी गाथा है। यह नई पीढ़ी को हम बतायेंगे और साथ में जो फ्लैगशिप प्रोग्राम है, चाहे स्टेट गवर्नमेंट के हो, चाहे यूपीए गवर्नमेंट के हो, वह बतायेंगे कि हमारी क्या-क्या उपलब्धियां हैं, क्या-क्या हमारे कार्यक्रम हैं। वह बताने के मायने यह है कि उनको लागू करवाने में आम जनता सहयोग करे

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