गुरुवार, 14 मार्च 2013
प्रशासन ने मानी किसानों की स्थानीय मांगें, धरना समाप्त
प्रशासन ने मानी किसानों की स्थानीय मांगें, धरना समाप्त
अपनी मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में आयोजित महापड़ाव के दूसरे दिन बुधवार को भी कलेक्ट्रेट के बाहर किसानों का पड़ाव जारी रहा। शाम को प्रशासनिक-अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में किसानों की स्थानीय मांगे माने जाने के बाद किसानों ने उठाया धरना, यदि मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो 20 अप्रैल के बाद फिर से करेंगे आंदोलन
जालोर भारतीय किसान संघ के बैनर तले माही बांध व नर्मदा का पानी दिलवाने समेत अन्य मांगों को लेकर आयोजित महापड़ाव बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। जिले भर से आए किसानों ने कलेक्ट्रेट के बाहर पड़ाव जारी रखा। शाम को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चली करीब तीन घंटे की वार्ता में किसानों की प्रमुख पांच स्थानीय मांगों के साथ अधिकतर मांगों पर सहमति जताने के बाद किसानों ने महापड़ाव हटा लिया । इससे पूर्व दिनभर कलेक्ट्रेट के बाहर किसानों ने अपना पड़ाव जारी रखा । शाम को करीब चार बजे किसानों के प्रतिनिधि मंडल व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कार्यवाहक कलेक्टर पीआर पंडत की मौजूदगी में वार्ता आयोजित की गई। वार्ता के दौरान किसानों की स्थानीय मांगों के समाधान करने के लिए अधिकारियों ने सहमति दी तथा उच्च स्तरीय मांगों का प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजा गया। किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो 20 अप्रैल के बाद फिर से आंदोलन किया जाएगा। गौरतलब है कि माही बांध का पानी दिलवाने की योजना शुरू करने व नर्मदा नहर का पानी जिले के लोगों को शीघ्र उपलब्ध करवाने समेत 41 सूत्रीय मांगों को लेकर मंगलवार को रावण चबूतरा मैदान में किसानों ने महासभा की थी, उसके बाद कलेक्ट्रेट के बाहर महापड़ाव डाला था। मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वार्ता विफल रहने के बाद किसानों ने कलेट्रेट के बाहर ही अपना पड़ाव डाल दिया था। बुधवार को भी दिन में धरना जारी रहा। शाम को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बार फिर हुई वार्ता में अधिकारियों की ओर से स्थानीय मांगों पर सहमति तथा उच्च स्तरीय मांगों के समाधान के लिए प्रस्ताव बनाकर भिजवाने के बाद किसानों ने शाम साढ़े छह बजे बाद अपना पड़ाव उठा लिया। किसान नेता रतनसिंह व प्रताप आंजणा ने बताया कि प्रशासन की ओर से स्थानीय मांगों को कुछ दिनों में हल करवाने का आश्वासन दिया है तथा उच्च स्तरीय मांगों को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं। यदि इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आंदोलन वापस किया जाएगा।
किसानों के चेहरों पर खुशी
वार्ता में जब प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों की अधिकतर स्थानीय मांगे मानने पर सहमति जताई तो किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई। किसानों ने बाहर आकर किसान एकता जिंदा बाद के नारे लगाए।
इन मांगों पर हुई सहमति
-माही के पानी के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया।
-नर्मदा के पानी से सिंचाई से वंचित गांवों का सर्वेज के लिए भी राज्य सरकार को भेजा गया।
-जवाई नदी के बहाव के लिए जालोर सिरोही पाली के तीनों जिलों के कलेक्टरों की बैठक संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी।
-भैंसवाड़ा नदी में अतिक्रमण हटाने के लिए शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी।
-विद्युत अधिकारियों की ओर से जांच के दौरान प्रति वीसीआर भरते समय स्वीकृत भार को दो भागों में विभाजित कर एचपी 2000 हजार कंपोजिट राशि चोरी का मामला बनाकर वसूली जाती थी, अब इसे चोरी नहीं माना जाएगा।
-भंवरानी गांव में पीने के पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा।
-बागोड़ा चितलवाना क्षेत्र में खुदे पुराने कुओं को खराब होने पर फिर से खुदवाने की परमिशन के बारे में भी प्रस्ताव रखा गया। इसके अलावा अन्य स्थानीय मांगों को प्रशासन ने मान लिया है। बैठक में कार्यवाहक कलेक्टर पीआर पंडत, एडीएम चुन्नीलाल समेत, विद्युत, जलदाय, कृषि समेत कई विभागों के अधिकारी तथा किसान संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे।
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