रविवार, 17 मार्च 2013

के.सी. मालू राजस्थानी लोक संगीत एवं संस्कृति को बढ़़ावा देने के लिये सम्मानित

नई दिल्ली । दिल्ली में प्रवासी राजस्थानियों की प्रमुख संस्था राजस्थान अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा, साहित्य, लोक संगीत एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान देने के लिये जयपुर के श्री के.सी.मालू को ’’रामनिवास आशारानी लखोटिया पुरस्कार’’ देकर सम्मानित किया गया है।

राजस्थानी अकादमी द्वारा नई दिल्ली के हेबीटेट सेन्टर में शनिवार की सायं आयोजित समारोह में राजस्थान अकादमी के अध्यक्ष श्री रामनिवास लखोटिया ने पुरस्कार स्वरूप श्री मालू को शॅाल, श्रीफल व एक लाख रू. की राशि का चेक प्रदान किया। इस अवसर पर भारतीय पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. ललित के पंवार भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में राजस्थानी कवित्रियों ने उमंग से भरपूर प्रेरक कविता पाठ से श्रोताओं का मनोरंजन किया। राजस्थान अकादमी द्वारा सम्मानित किये जाने पर श्री के.सी. मालू ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस पुरस्कार के प्राप्त करने के बाद मुझे राजस्थानी संस्कृति, कला एवं संगीत के क्षेत्रा में नवीनतम कार्य एवं नये आयाम स्थापित करने के लिये नई ऊर्जा एवं स्फूर्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज समाज के युवा वर्ग में संस्कार पैदा करने की महती आवश्यकता है और मनोरंजन के बहाने इस कार्य को जन-जन तक बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। श्री मालू ने कहा कि वे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति, परम्पराओं और इतिहास की जानकारी राजस्थानी लोकगीतों व संगीत के माध्यम से बिना अश्लीलता के पूरे विश्व में सम्मानजनक रूप से स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिये वे नियमित रूप से देश के सभी बड़े महानगरों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दे रहे हैं ताकि राजस्थानी लोक संगीत की विशुद्ध परम्परा की विरासत को संरक्षण मिल सके और राजस्थान की माटी में रची बसी खुशबू को देश के विभिन्न भागों में और विदेशों में बसे प्रवासी राजस्थानियों तक पहुंच सके।

उल्लेखनीय है कि श्री के.सी.मालू (केशरी चन्द मालू) मूलतः राजस्थान के सुजानगढ़, चुरू जिले से हैं व उन्होंने 5000 से अधिक लोकगीतों का ध्वनि अंकन व संग्रहण किया है। उन्होंने बिना किसी सहायता के राजस्थानी लोकसंगीत का बेजोड़ कार्य कर उसे पुनःस्थापित कर जन-जन पहुंचाया है। विगत वर्ष जारी उनका ’’विवाह गीत (24 सीडी व 2 पुस्तकों का विशाल संग्रह) राजस्थानी भाषा का विश्वस्तरीय कार्य है । अब वे लोकगीतों का हिन्दी-अंग्रेजी भावार्थ भी प्रकाशित कर रहे हैं। वर्तमान में जयपुर दूरदर्शन पर धारावाहिक ’’गोरबन्द नखरालो’’ लगातार 3 वर्षो से सबसे अधिक दर्शकों द्वारा पसंद किया जा रहा है।

अभी हाल ही में नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अर्न्तराष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान भी राजस्थान मण्डप में ’’वीणा समूह’’ द्वारा लगाये गये स्टॉल्स में राजस्थानी संगीत, विशेषकर श्री मालू के ’’ राजस्थानी विवाह गीत’’ लोगों में विशेष आकर्षण का केन्द्र बने रहे और राजस्थानी संगीत मण्डप में आने वाले हर दर्शक की चाहत बना। भारतीय पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. पंवार ने राजस्थानी लोक संगीत के माध्यम से राजस्थानी विरासत के संरक्षण के लिये श्री मालू द्वारा किये जा रहे कार्यो की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी और भविष्य में इस क्षेत्रा में और अधिक उत्साह से कार्य करने के लिये प्रेरित किया।

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