इस घटना के बाद, फरवरी के बीच में गार्जियन ने उन 11 लोगों के परिवारों का इंटरव्यू किया, जिनकी पहचान हो गई थी। यह सब बस्टन अल कसर क्षेत्र के थे। इसके अलावा उन दो लोगों से बातचीत की गई, जो विद्रोहियों की सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे, पर पकड़े गए। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इन सभी का कहना था कि इस नरसंहार को जेल में अंजाम दिया गया और इसमें एयर फोर्स इंटेलीजेंस और सेना शामिल थी। बता दें कि सीरिया में दोनों ही सबसे बदनाम माने जाते हैं।
मामले के एक गवाह ने बताया कि अगर उन्होंने (आर्मी और इंटेलीजेंस) ने आपको पार्क में भी पकड़ लिया तो अपनी जिंदगी खत्म समझिए। उसका कहना था कि यह चमत्कार ही है कि वह जिंदा बचने में कामयाब रहा। फिलहाल यह व्यक्ति क्यूयिक नदी के किनारे दिन भर बैठा रहता है और लाशों का इंतजार किया करता है।इस नदी से चार किलोमीटर दूर पश्चिमी अलेप्पो में वह पार्क है, जहां बताया जाता है कि यहीं पर सामूहिक नरसंहार को अंजाम दिया गया। नरसंहार के गवाहो में एक एक अब्दुल रज्जाक (19) सेना के केयर सेंटर से भागकर क्रांतिकारियों के दफ्तार पहुंचा। रज्जाक ने अपने परिवार के लोगों के साथ लिखित बयान दिया है कि यह नरसंहार वायु सेना इंटेलीजेंस की जेल में हुआ। उसने 30 लोगों के मारे जाने की आवाज खुद सुनी। रज्जाक फिलहाल बस्टन अल कसर में कॉफी बेचता है। उसने बताया कि वह पश्चिमी बस्टन में कारपेंटर का काम करता था। उस दिन वह फलाफेल सैंडविच खरीदने पश्चिमी अलेप्पो की तरफ गया था। वहां सेना के लोगों ने कई लोगों को पकड़ रखा था और बेरहमी से उन्हें पीट रहे थे।
उन्होंने रज्जाक को भी आठ दिन तक पीटा। वह चाहते थे कि रज्जाक विद्रोहियों के साथ संबंध होना कबूल करे। वहां से उसे एयरफोर्स इंटेलीजेंस की जेल में भेज दिया गया। रज्जाक को तीन महीने तक कई जेलों में बंद करके पीटा गया। उसने बताया कि उसके जेल से छूटने से पहले तीस लोगों की हत्या कर दी गई थी। उसने बताया कि सभी लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर रखी जाती थी और उनके हाथ बांधकर उन्हें निर्ममता से तब तक पीटा जाता था, जब तक उनकी जान न निकल जाए। जेल में रज्जाक को चार नंबर ब्लॉक में रखा गया था। रज्जाक के मुताबिक उन जेलों में जो भी गया, जिंदा वापस नहीं आया। वहीं दूसरे गवाह ने बताया कि वह एक महीने तक उस जेल में बंद रहा था। एक रात अचानक उसे बाहर उसी पार्क के पास ले जाया गया। उसने बताया कि वह चार लोग थे और अन्य लोगों को गोली मार रहे थे। अचानक उनके अफसर ने उन्हें गोलियां चलाने से मना किया और हम लोगों को छोड़ने का आदेश दिया। जब यह नरसंहार सामने आया तो मेहमूद रेज्क और उनकी यूनिट को अलर्ट कर दिया गया। दस फरवरी को दो भाई अपने पिता की तलाश में उस केंद्र पहुंचे, जो नरसंहार में मारे गए लोगों की पहचान के लिए बनाया गया था। पांच मिनट में ही दोनों रोते हुए बाहर आए। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक सरकारी बैंक में काम करते थे। उन्होंने तीन शादियां की थीं और फिलवक्त वह अपनी तीसरी पत्नी के साथ पश्चिमी अलेप्पो में रह रहे थे। 22 दिन पहले वह काम पर जाने को कहकर घर से निकले, पर लौटकर नहीं आए।
उन्होंने रज्जाक को भी आठ दिन तक पीटा। वह चाहते थे कि रज्जाक विद्रोहियों के साथ संबंध होना कबूल करे। वहां से उसे एयरफोर्स इंटेलीजेंस की जेल में भेज दिया गया। रज्जाक को तीन महीने तक कई जेलों में बंद करके पीटा गया। उसने बताया कि उसके जेल से छूटने से पहले तीस लोगों की हत्या कर दी गई थी। उसने बताया कि सभी लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर रखी जाती थी और उनके हाथ बांधकर उन्हें निर्ममता से तब तक पीटा जाता था, जब तक उनकी जान न निकल जाए। जेल में रज्जाक को चार नंबर ब्लॉक में रखा गया था। रज्जाक के मुताबिक उन जेलों में जो भी गया, जिंदा वापस नहीं आया। वहीं दूसरे गवाह ने बताया कि वह एक महीने तक उस जेल में बंद रहा था। एक रात अचानक उसे बाहर उसी पार्क के पास ले जाया गया। उसने बताया कि वह चार लोग थे और अन्य लोगों को गोली मार रहे थे। अचानक उनके अफसर ने उन्हें गोलियां चलाने से मना किया और हम लोगों को छोड़ने का आदेश दिया। जब यह नरसंहार सामने आया तो मेहमूद रेज्क और उनकी यूनिट को अलर्ट कर दिया गया। दस फरवरी को दो भाई अपने पिता की तलाश में उस केंद्र पहुंचे, जो नरसंहार में मारे गए लोगों की पहचान के लिए बनाया गया था। पांच मिनट में ही दोनों रोते हुए बाहर आए। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक सरकारी बैंक में काम करते थे। उन्होंने तीन शादियां की थीं और फिलवक्त वह अपनी तीसरी पत्नी के साथ पश्चिमी अलेप्पो में रह रहे थे। 22 दिन पहले वह काम पर जाने को कहकर घर से निकले, पर लौटकर नहीं आए।
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