खरी खरी .......पहली बार हुआ ऐसा मुख्यमंत्री की बजट घोशानाओ पर विशवास नहीं जनता को
बाड़मेर अक्सर राज्य की जनता को प्रति वर्ष सरकार के बाड़मेर सत्र का इंतज़ार रहता हें विशेषकर चुनावी साल हो तो बजट का बेसब्री से इंतज़ार होता हें ,इस बार भी जनता को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारे पेश किये जाने वाले पांचवे और अंतिम बजट का बेसब्री से इंतज़ार था .जनता की आस थी बजट में काफी रियायते डे होगी .साथ ही कई आम उपभोग की वस्तुओं पर कर में छूट दी जायेगी .अशोक गहलोत ने विधान सभा में जो घोशनाए की वो धरातल से दूर की बारत हें .सामान्यतः सरकारे ऐसी घोशनाए लागू नहीं करने के लिए करती हें ,प्रति वर्ष ऐसी घोशनाए बीस फीसदी से कहीं अधिक होती हें ,गहलोत की घोशनाए चुनाव को ध्यान में रखने के साथ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए की कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं .गहलोत जो हमेश धर्म निरपेक्षता की बात करते हें उन्होंने बुजुर्गो को धार्मिक सरकारी खर्चे से करने और अमरनाथ की यात्रा के अनुदान की राशि एक लाख रुपये करने की घोषणा की .सरकारी खजाने का पैसा आम जन की विलासिता पर खर्च करना कहाँ की सरकारी निति हें कल को अन्य संप्रदाय के लोग हज यात्रा के लिए अनुदान मांगेंगे तो सरकार के पास क्या जवाब होगा .जनता का पैसा इस तरह लूटाना सरकार की वितीय प्रबंधता नहीं कहा जा सकता .गहलोत की इस घोषणा ने समाज में हलचल पैदा कर दी की अंतरजातीय विवाह पर पांच लाख का अनुदान .इस घोषणा से गहलोत क्या साबित करना चाहते हें राजस्थान की संस्कृति और परम्पराव तथा रिती रिवाजो के साथ खिलवाड़ के साथ साथ युवा वर्ग को भ्रमित करने वाली इस घोषणा से अभिभावक सकते में हें .युवा वर्ग बेरोजगारी और बेकारी की समस्या से जॊञ्झ रहे हें ऐसे में इस घोषणा से युवा वर्ग का पथभ्रमित होना तय हें ,क्या सरकार की घोषणा को युवाओं को उकसाने वाली नहीं कहा जा सकता .गहलोत द्वारा राज्य में पंद्रह नई मेडिकल कोलेज स्थापित करने की असंभव घोषणा की हें ,शायद गहलोत साब नहीं जानते की राज्य की फिलहाल छह मेडिकल कोलेजो में पेंतिश फीसदी सीते आज भी खाली पडी हें पंद्रह मेडिकल कोलेज एक साथ राज्य में खोलना असंभव हें ,यह सिर्फ घोषणा हो सकती हें जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना ना हो .अशोक गहलोत ने किसानो के लिए पिचहतर हज़ार नए कृषि कनेक्सन देने की घोषणा की हें ,इससे पूर्व दो माह पूर्व मुख्यमंत्री बिजली कनेक्सन योजना के तहत किसानो के लाखो आवेदन लिए थे जो आज तह फाईलो में दबे पड़े हें .कनेक्सन के साथ दो सी एफ एल देने की घोषणा अब की गई हें जबकि यह राजिव गांधी यिद्युत योजना में पूर्व में दी जा राजी हें .गहलोत ने महानारेगा योजना में सौ दिन की बजे सवा सौ दिन की मजदूरी देने की घोषणा की हें जबकि केंद्र सरकार ख़ास जगहों पर डेढ़ सौ दिन मजदूरी वैसे ही दे रही हें ,मुख्यमंत्री निःशुल्क दावा योजना में दवाओ की संख्या में इजाफा किया ,यह गहलोत भी जानते हें की अब तक इस योजना में कभी भी चार सौ दयॆय एक साथ उपलब्ध नहीं हो पाई .और तो और पेरासिटामोल जैसी आम दावा भी काउंटर पर उपलब्ध नहीं हुई .गहलोत की कई घोशनाए जमीनी हकीकत से कहीं दूर हें ,आम जनता जनातुई हें की गहलोत वाकई इन योजनाओ को लागू करना चाहते थे तो उन्हें इन योजनाओ की घोषणा पिछले बजट सत्रों में कर देते ताकि इसका लाभ जनता को मिलाता ,आने वाले पांच महीनो में अशोक गहलोत की इन योजनाओ को देश विदेश के बड़े से बड़े अर्थशास्त्री लागू नहीं कर सकते .आने वाला समत चुनावों का हें ,सभी का ध्यान चुनावों पर हेबं ऐसे में इन घोषनाओ की क्रियान्विति की जिम्मेदारी कौन लेगा .गहलोत अपनी राजनीती हालत से वाफिक हें ,चुनावों में जनता क्या यह समय के गर्भ में हें मगर इतना तय सा हें जो भी सरकार बनाएगा अशोक गहलोत की यह घोशनाए भूत के साए की तरह पीछा करेगी .
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