मुख्यमंत्री के आदेशो को ठेंगा क्षेत्रीय विधायक की भूमाफियो को शाह
आयुक्त द्वारा भूमाफियो से सुवीधाशुल्क लेने की चर्चा
अशोक गहलोत के जाति भाई बाड़मेर में बने भूमाफिया…
बाड़मेर नगर परिषद् की करोड़ों की जमीन पर अवैध निर्माण कराया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जाति भाई भूमाफियाओं ने.. सरकार के पास विचाराधीन मामला होने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं…
,बाड़मेर जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जाति भाई भूमाफियाओं द्वारा नगर परिषद् की करोड़ों की जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण करा दिया गया जबकि इस जमीन में हुए भ्रष्टाचार की जाँच स्वायत शासन विभाग और स्थानीय पुलिस के ठन्डे बस्ते में पड़ी है. इस प्रकरण में नगर पालिका के चार कार्मिक निलंबित भी हो चुके हैं. यहाँ तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय से मार्च उनतीस दो हज़ार बारह को इस प्रकरण की जाँच जिला कलेक्टर और स्वायत शासन विभाग के सचिव को दी थी इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की. जबकि जिला कलेक्टर बाड़मेर द्वारा इस प्रकरण की जाँच तहसीलदार बाड़मेर को दी थी.तहसीलदार ने पटवारी को जाँच सौंप दी मगर कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई.मुख्यमंत्री के आदेश की धज्जियां नगर परिषद् और जिला प्रशासन उड़ा रहे हैं. स्वायत शासन विभाग के सचिव द्वारा अप्रैल में यह जाँच आयुक्त नगर परिषद् बाड़मेर को दी थी जो कचरे की टोकरी की शोभा बढ़ा रही है.इधर मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच आने के बाद नगर परिषद् बाड़मेर के राजस्व निरीक्षक सुरेन्द्र माथुर मौके पर गए थे तथा अतिकर्मियो को जमीन खाली करने के निर्देश दिए ,मगर क्षेत्रीय विधायक ने भूमाफियो के खिलाफ कार्यवाही करने से आयुक्त को मन कर दिया ,आयुक्त ने भूमाफियो से संथ गाँठ कर सुविधा शुल्क ले कर मामले में कोताही बारात रहे हें ,मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस प्रकरण कजी जान के आदेश तीन बार जरी किये इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हो रही .
चन्दन सिंह भाटी ने इस आशय की शिकायत मुख्यमंत्री को की थी जिस पर मुख्यमंत्री ने स्वायत शासन सचिव को जाँच के आदेश दिए थे. शहर के महावीर नगर में नगरपालिका बाड़मेर का व्यवसायिक भूखंड संख्या 66 है जिसकी कीमत करीब करोड़ों रूपए है. उक्त भूखंड पर तत्कालीन जिला कलेक्टर सुबीर कुमार ने वर्ष 2007 में निरस्तीकरण के आदेश जारी कर नगरपालिका के चार अधिकारियों तथा कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया था। उक्त प्रकरण में पालिका के चार अधिकारी कर्मचारी निलंबित भी किए गए है. इस व्यवसायिक भूखंड प्रकरण की जाँच आज भी राज्य सरकार के पास विचाराधीन है. राज्य सरकार ने इस भूखंड के आवंटन को निरस्त कर भूखंड राशि जमा नही करवाई गई थी. इसके बावजूद इस भूखंड पर भूमाफियाओं जिन्होने सरकारी जमीनों पर कई अतिक्रमण कर रखे है और वहाँ पर अवैध रूप निर्माण कार्य आरम्भ करा रखा है. उक्त भूखंड पर रामचंद्र वैष्णव, सावताराम माली, श्गाराम माली तथा इनके भूमाफिया सहयोगियों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण कार्य निर्बाध रूप से किया जा रहा है. उक्त भूखंड राज्य सरकार का है जिसकी कीमत करोड़ों रूपए है। इस पर नगरपालिका कर्मचारियों तथा अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफियों द्वारा अतिक्रमण कर व्यवसायिक काम्पलेक्स का निर्माण करवाया जा चूका है. स्थानीय जिला प्रशासन की कई बार लिखित सूचना देने के बावजूद कोई कार्यवाही नही की गई.
उक्त व्य्ावसायिक भूखंड संख्या 66 के पूरे प्रकरण की जाँच प्रशासनिक अधिकारी करने से कतरा रहे हैं जबकि इस मामले के तीन मुकदमे शहर कोतवाली में भी दर्ज है. सरकारी संपति को भूमाफियाओं के चंगूल से मुक्त करवाकर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की बजाय भूमाफियाओं को शह दी जा रही है.
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