पाक ने मुंह की खाई,भारत ने जीता केस
नई दिल्ली। पाकिस्तान को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय पंचाट न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी है। भारत ने किशनगंगा पन बिजली परियोजना को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ मुकदमा जीत लिया है। पंचाट अदालत ने मामले में भारत के पक्ष को स्वीकार करते हुए कश्मीर में नीलम नदी पर 330 मेगावाट की परियोजना के लिए पानी का मार्ग बदलने की अनुमति दे दी है।
विदेश मंत्रालय ने देर रात जारी एक बयान में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले से भारत के रूख की पुष्टि हो गई है और यह भी साबित हो गया कि सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पालन किया गया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर में किशनगंगा नदी पर पनबिजली परियोजना के निर्माण का विरोध कर रहा है। किशनगंगा पाकिस्तान में जाकर नीलम नदी कहलाती है। पाकिस्तान ने भारत पर नदी के बहाव को मोड़ने और दोनों देशों के बीच हुए सिंधु जल संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए परियोजना पर रोक लगाने की मांग की थी।
2009 में पाकिस्तान इस मामले को अंतरराष्ट्रीय पंचाट न्यायालय में ले गया था। उसने मामले के निपटारे के लिए निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त किए जाने की मांग की थी। सिंधु जल संधि में विश्व बैंक की ओर से निष्पक्ष विशेषज्ञ की नियुक्ति का प्रावधान था लेकिन दोनों देशों के बीच पानी से जुड़े मसलों को सुलझाने के लिए इसे आखिरी विकल्प माना गया था। किशनगंगा पनबिजली परियोजना 3600 करोड़ रूपए की है। यह प्लांट उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा जिले में है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय पंचाट न्यायालय में मुंह की खानी पड़ी है। भारत ने किशनगंगा पन बिजली परियोजना को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ मुकदमा जीत लिया है। पंचाट अदालत ने मामले में भारत के पक्ष को स्वीकार करते हुए कश्मीर में नीलम नदी पर 330 मेगावाट की परियोजना के लिए पानी का मार्ग बदलने की अनुमति दे दी है।
विदेश मंत्रालय ने देर रात जारी एक बयान में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस फैसले से भारत के रूख की पुष्टि हो गई है और यह भी साबित हो गया कि सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पालन किया गया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर में किशनगंगा नदी पर पनबिजली परियोजना के निर्माण का विरोध कर रहा है। किशनगंगा पाकिस्तान में जाकर नीलम नदी कहलाती है। पाकिस्तान ने भारत पर नदी के बहाव को मोड़ने और दोनों देशों के बीच हुए सिंधु जल संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए परियोजना पर रोक लगाने की मांग की थी।
2009 में पाकिस्तान इस मामले को अंतरराष्ट्रीय पंचाट न्यायालय में ले गया था। उसने मामले के निपटारे के लिए निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त किए जाने की मांग की थी। सिंधु जल संधि में विश्व बैंक की ओर से निष्पक्ष विशेषज्ञ की नियुक्ति का प्रावधान था लेकिन दोनों देशों के बीच पानी से जुड़े मसलों को सुलझाने के लिए इसे आखिरी विकल्प माना गया था। किशनगंगा पनबिजली परियोजना 3600 करोड़ रूपए की है। यह प्लांट उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा जिले में है।
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