गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
पशुप्रेम हो तो ऐसा : गोपाल प्रसाद
पशुप्रेम हो तो ऐसा : गोपाल प्रसाद
.*लेखक गोपाल प्रसाद स्वतंत्र पत्रकार एवं आर.टी.आई एक्टिविस्ट हैं . *
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दिल्ली की शकरपुर निवासी दया सावंत कहती हैं कि उनकी स्वर्गीय पुत्री लता को ब्लोपाईपर की तरह कौआ , अन्य चिड़िया, चूहे , बिलाड सहित कई अन्य जानवरों के आवाज़ नक़ल करने की आदत थी। एक बार एक कुत्ता नाली में गिर गया था, उसे सबसे पहले नहलाया, फिर चम्मच से दूध पिलाया . चूंकि वह रोता बहुत था इसलिए उसे जाड़े के दिनों में थोडा शराब पिलाकर रजाई के अन्दर सुला दिया करती थी . बाद में उसने उस कुत्ते का नाम जैकी रखा था।
एक बार एनी नाम की कुतिया को जुएँ होने के कारण एक व्यक्ति उसे मारने ले जा रहा था . लता ने एनी के मालिक से अनुरोध कर न केवल उसे मरने से बचाया बल्कि मालिक से लेकर उसका बाल काटा, जख्म पर मिटटी का तेल डालकर रूई से तीन दिन तक साफ करने के बाद डाक्टर से इलाज कराया . एनी से लगभग पचास बच्चे पैदा हुए , जिसे उसने मुफ्त में बांटा . दया सावंत का मानना है कि कुत्ता वास्तव में साक्षात् भैरव का अवतार है , इसलिए उसे बेचना नहीं चाहिए क्योंकि कुत्ता बेचने वाले को कभी संतान प्राप्ति नहीं होती। पशु पालन भी दो तरह का होता है।वे लोग जो ममतावश जानवरों को शौकिया पालते तो हैं पर बेचते नहीं, वे निश्चित रूप से संवेदनशील होते हैं, मगर जो व्यावसायिक रूप से पालते हैं और जिनका उद्देश्य मात्र पैसा कमाना होता है, वे संवेदना शून्य होते हैं। वर्तमान में एनी की संतान सैम नामक कुत्ता एवं किटी नामक कुतिया मात्र ही इनके पास अमानत के तौर पर है। “एनी का साथी कुत्ता टफी जिससे इतने बच्चे पैदा हुए,के मृत्यु पर तो बजाप्ता मनुष्य की तरह दाह संस्कार कराया गया। वहीं उसके कर्मकांड हेतु बिहार के मधुबनी जिले के पंडित मनोज झा "हर्ष"को दक्षिणा स्वरुप एक सौ एक रूपए भी दिए गए।“
दया सावंत की छोटी पुत्री पिंकी के मरने पर एनी दो महीने तक ठीक से खाना नहीं खाया। वह गेट पर ही इन्तजार में बैठी रहती थी। दया सावंत प्रेतात्मा एवं भूत के चक्कर में दुखी रहती थी , जिसके डर से बचने के लिए कुत्ता पाला . मगर वह भूत उपकारी भी था, क्योंकि वह हैंडपाईप से पानी भी भर जाता था। प्रेतात्मा रात भर छत पर चलता रहता था . मकान बदलने के बाद वह उनके किराए के मकान में भी आ गया . वहां वह प्रेतात्मा उनकी सुपुत्री को परीक्षा में आनेवाले प्रश्न भी बता जाता था . पिंकी ने तो एक बार भूत को देखा भी था। पिंकी की मौत के बाद भूत का आना बंद हो गया . दया सावंत ने दार्शनिक अंदाज में कहा की आत्मा कभी नहीं मरती .जहाँ गंदी आत्मा का भूत दूसरे को परेशान करता है , वहीं अच्छी आत्मा का भूत दूसरे को कष्ट नहीं देता . वास्तव में आयु पूरी नहीं होने के कारण ही भूत भटकता रहता है वहीं वह उसकी रक्षा करता है जो उसका वंशज होता है।
लता की पुत्री हिना में पशुओं के प्रति माँ की तरह संवेदना तो नहीं है परन्तु सामान्य प्रेम तो है ही। हाँ उसकी दोस्त ट्विंकल कुत्ते के चक्कर में कर्जदार जरूर हो गई। हिना कहती है कि ट्विंकल कई कुत्तों की बाल कटिंग पशु- प्रेमवश करवा चुकी है। जहाँ शकरपुर में कुत्ते की बाल कटिंग 450 रूपए में होती है, वहीं ग्रेटर कैलाश में 750 रूपए तक लग जाते हैं। गणेश नगर की ब्रौनिका नाम की लड़की भी कुत्ते के चक्कर में ही कर्जदार हो गई . शकरपुर में ही एक निजी स्कूल की संचालिका एवं प्राचार्य ने तो कुत्ते के लालन पालन हेतु साढ़े सात हजार प्रतिमाह पर एक नौकर ही रख लिया है। यह नौकर उन कुत्तों के लिए दस किलो मीट प्रतिदिन बनाता है . इन्होने कुत्ते के कैंसर का इलाज डिफेंस कालोनी के फ्रेंडिस्को नामक अस्पताल में कराया जिसके ऑपरेशन एवं एक्सरे पर साढ़े सत्रह हजार खर्च हुए जो बाद में मर गई।
सांस्कृतिक संस्था हरिओम शरणं की संचालिका नंदा सावंत ने बताया की पुरातन काल में कुत्ते ने तो एक ऋषि को शाप दे दिया था, कुत्ते के कारण महाभारत हुआ, कुत्ता भैरव के साथ-साथ यमराज का का भी रूप है।
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