गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013
जैसलमेर: ढाई दशक बाद मिला जमीन का मालिकाना हक
प्रशासन गांवों के संग अभियान ने दिया तोहफा
जैसलमेर: ढाई दशक बाद मिला जमीन का मालिकाना हक
बरसों की तमन्ना मिनटों में हुई पूरी
जैसलमेर, 14 फरवरी/ राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में प्रशासन गांवों के संग अभियान लोक कल्याण का महाभियान बना हुआ है। प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत जिले में ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर आयोजित शिविरों में ग्रामीणों के बरसों पुराने प्रकरणांे और कामों को निस्तारण हो रहा हैै। ख़ासकर अपने कब्जे की भूमियों का मालिकाना हक दिलाने की दिशा में ये शिविर वरदान सिद्ध हो रहे हैं। इन शिविरों की बदौलत हाथों हाथ स्वामित्व के दस्तावेज पाकर ग्रामीण भावविभोर होकर सरकार को लाख-लाख धन्यवाद देने लगे हैं।
जैसलमेर जिले की सम पंचायत समिति अन्तर्गत सोनू ग्राम पंचायत के ग्राम सेरावा के केसुसिंह पुत्र समर्थ सिंह का राजस्व रिकार्ड में नाम संवत 2044-47 की जमाबंदी बनाते समय भूल से दर्ज होने से छूट गया। तभी से केसूसिंह अपनी विरासती पैतृक जमीन में हक होने के बावजूद असली भूमि के दस्तावेजी स्वामित्व से वंचित चला आ रहा था। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय समर्थ सिंह के दो पुत्र केसुसिंह व तग सिंह थे लेकिन जमाबंदी में उस समय केवल तगसिंह का ही नाम दर्ज हुआ था।
उल्लेखनीय है कि गरीब परिवार का केसुसिंह अपनी भूमि का राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए वर्षो से प्रयास कर रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। सोनू ग्राम पंचायत मुख्यालय पर आयोजित शिविर की जानकारी पाकर केसुसिंह शिविर में पहुँचा तथा शिविर प्रभारी एवं उपखण्ड अधिकारी जैसलमेर रमेशचन्द जैन्थ के समक्ष अपनी पैतृक भूमि मंे नाम दर्ज करने का प्रार्थना पत्र पेश किया।
शिविर प्रभारी जैन्थ ने गरीब केसुसिंह की फरियाद को संवेदनशीलता से सुना एवं ग्रामीणों से उसकी पैतृक भूमि के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो पता लगा कि वास्तव में जमाबन्दी बनाते समय उसका नाम दर्ज होने से छूट गया था।
शिविर प्रभारी ने हाथों-हाथ पटवारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक को आदेश जारी किये कि केसूसिंह का नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जाये। भू-अभिलेख रामगढ़ द्वारा की गई जांच के उपरान्त तहसीलदार पीताम्बर राठी ने रिपोर्ट प्राप्त कर शुद्धि पत्र के जरिए केसूसिंह का नाम जमाबंदी में दर्ज कर उसकी पैतृक भूमि का हिस्सा दिलवा कर उसकी बरसों पुरानी ख्वाहिश पूरी कर दी।
शिविर में खुशी मिली इतनी ....
ढाई दशक बाद कहीं जाकर राजस्व रिकार्ड में केसूसिंह का नाम दर्ज होने से वह अब भूमि का असली मालिक बन गया है। यह शिविर केसूसिंह के लिए ख़ासा सुकूनदायी रहा जिसने उसे भूमि का मालिकाना हक दिलाया। बरसों से जिस काम के लिए वह घूम रहा था, वही काम उसकी आँखों के सामने चंद मिनटों में ही होने तथा हाथों हाथ मालिकाना हक मिलने की खुशी के अतिरेक में केसूसिंह की आँखें छलछला उठी और भावविभोर होते हुए उसने शिविर प्रभारी रमेशचन्द्र जैन्थ तथा प्रदेश सरकार के प्रति तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
गरीबों की जिन्दगी रौशन कर रहे हैं शिविर
अन्तर्मन से प्रफुल्लित केसूसिंह ने कहा कि उस जैसे गरीब को शिविर में चंद मिनट में जो सुकून मिला है, उसके लिए सरकार को लाख-लाख धन्यवाद है जिसने मेरे जैसे गरीबों की जिन्दगी में रोशनी भर दी और जीने का सुकून दिया है। ये शिविर तो गरीबों की तकदीर सँवारने वाले ही हैं। अपनी प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविर की बदौलत अपनी पैतृक भूमि का असली मालिक बना केसूसिंह कहता है कि अब वह अपनी जमीन को विकसित करने के लिए बैंक से अपने नाम ऋण भी ले सकेगा और सरकारी योजनाओं का लाभ भी।
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