मंदिर निर्माण पर निर्णय लेगी विहिप!
अयोध्या। प्रयाग के कुम्भ मेले में विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से बुधवार को केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की बैठक होनी है। अयोध्या में स्थित विवादित श्रीरामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का मुद्दा इस बैठक में छाया रहने वाला है। विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए विहिप की केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की बैठक रसिया बाबा स्थान पर होगी।
बैठक में शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं छावनी परिषद के महंत नृत्यगोपालदास, रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य महंत डा. रामविलास दास वेदान्ती, जगतगुरू धराचार्य, जगतगुरू पुरूषोत्तमाचार्य म कौशलकिशोर दास, म.किशोरी शरण दास,शंकराचार्य वासुदेवानंद,डा. रामेश्वर दास, स्वामी विश्वेसरतीर्थ, जगतगुरू राम भद्राचार्य सहित देश के विभिन्न संत धर्माचार्य भाग लेंगे। इस सम्मेलन में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल, विहिप के कार्याध्यक्ष डा.प्रवीणभाई तोगडिया, महामंत्री चम्पत राय, संगठन महामंत्री दिनेश चन्द्र तथा केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के संयोजक पं. जेवेश्वर मिश्र आदि सहित भक्त लोग भी शामिल होंगे।
गौरतलब है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल सन् 1989 में अयोध्या में शिलान्यास और देश भर में शिलापूजन कराए जाने का निर्णय महाकुम्भ में ही लिया गया था। छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में कारसेवा किए जाने की सैद्धान्तिक सहमति भी महाकुम्भ में बनी थी। हालांकि इसका औपचारिक निर्णय बाद में दिल्ली में हुआ था। सन् 2001 में विहिप ने मन्दिर के मॉडल की प्रदर्शनी लगाने का भी निर्णय महाकुम्भ में लिया था। विहिप के इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी आएंगे। जानकारों के अनुसार इलाहाबाद में चल रहा महाकुम्भ अयोध्या के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि लगभग हाशिये पर पहुंच गए विहिप एवं उसके अनुषांगिक संगठन अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के मद्देनहर कुंभ में कोई कड़ा फैसला ले सकते हैं।
अयोध्या में गत 26 नवम्बर को आयोजित सन्त सम्मेलन में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्य गोपाल दास ने इसका संकेत देते हुए कहा था कि महाकुम्भ में मन्दिर निर्माण की तिथि घोषित किए जाने जैसा कड़ा फैसला लिया जा सकता है। दास ने कहा था कि सन् 1949 से 30 सितम्बर 2010 तक यहमामला जिला अदालत से लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक चला और अब उच्चतम न्यायालय में लम्बित है।
सन्तों का मानना है कि यह मामला आस्था का है इसलिए अदालत इसमें एक सीमा से आगे जाकर आदेश शायद ही कर पाए। उसी सन्त सम्मेलन में विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा थाकि अब हिन्दू संसद की जरूरत आ पड़ी है । हिन्दू संसद के बगैर गोवध, आतंकवाद, धर्मान्तरण एवं मठ मन्दिरों का अधिग्रहण नहीं रूक सकता। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए विहिप और उसके समर्थक संगठन हिन्दुत्व को हवा देने में कोई कोरकसर नहीं छोडेंगे।
विहिप सूत्रों ने बताया कि सात फरवरी को महाकुम्भ क्षेत्र में आयोजित सन्त सम्मेलन में 20 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है। सूत्रों ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बैठक हिन्दुत्व के नजरिये से काफी महत्वपूर्ण होगी और विहिप इसे मजबूती देने में कोई कोरकसर नहीं छोडेगी। विवादित राम जन्मभूमि मन्दिर माडल के दर्शन के लिए महाकुम्भ में मन्दिर के माडल की आकृति बनाई गई है।
संगम तीरे बना यह खास माडल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र है। माडल को लगभग विहिप के प्रस्तावित मन्दिर के ढांचे की तरह ही तैयार किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ, केदारनाथ और राम जन्मभूमि के दर्शन का अहसास हो सके। महाकुम्भ में अब बद्रीनाथ और केदारनाथ के भी दर्शन हो रहे हैं। इन तीर्थस्थलों के अलावा भी अरैल में बने पुष्प विहार में कई ऎतिहासिक धरोहरों का भी नवीनकरण कराया जा रहा है।
अयोध्या। प्रयाग के कुम्भ मेले में विश्व हिन्दू परिषद की तरफ से बुधवार को केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की बैठक होनी है। अयोध्या में स्थित विवादित श्रीरामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का मुद्दा इस बैठक में छाया रहने वाला है। विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए विहिप की केन्द्रीय मार्ग दर्शक मण्डल की बैठक रसिया बाबा स्थान पर होगी।
बैठक में शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं छावनी परिषद के महंत नृत्यगोपालदास, रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य महंत डा. रामविलास दास वेदान्ती, जगतगुरू धराचार्य, जगतगुरू पुरूषोत्तमाचार्य म कौशलकिशोर दास, म.किशोरी शरण दास,शंकराचार्य वासुदेवानंद,डा. रामेश्वर दास, स्वामी विश्वेसरतीर्थ, जगतगुरू राम भद्राचार्य सहित देश के विभिन्न संत धर्माचार्य भाग लेंगे। इस सम्मेलन में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल, विहिप के कार्याध्यक्ष डा.प्रवीणभाई तोगडिया, महामंत्री चम्पत राय, संगठन महामंत्री दिनेश चन्द्र तथा केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के संयोजक पं. जेवेश्वर मिश्र आदि सहित भक्त लोग भी शामिल होंगे।
गौरतलब है कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल सन् 1989 में अयोध्या में शिलान्यास और देश भर में शिलापूजन कराए जाने का निर्णय महाकुम्भ में ही लिया गया था। छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में कारसेवा किए जाने की सैद्धान्तिक सहमति भी महाकुम्भ में बनी थी। हालांकि इसका औपचारिक निर्णय बाद में दिल्ली में हुआ था। सन् 2001 में विहिप ने मन्दिर के मॉडल की प्रदर्शनी लगाने का भी निर्णय महाकुम्भ में लिया था। विहिप के इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी आएंगे। जानकारों के अनुसार इलाहाबाद में चल रहा महाकुम्भ अयोध्या के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि लगभग हाशिये पर पहुंच गए विहिप एवं उसके अनुषांगिक संगठन अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के मद्देनहर कुंभ में कोई कड़ा फैसला ले सकते हैं।
अयोध्या में गत 26 नवम्बर को आयोजित सन्त सम्मेलन में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्य गोपाल दास ने इसका संकेत देते हुए कहा था कि महाकुम्भ में मन्दिर निर्माण की तिथि घोषित किए जाने जैसा कड़ा फैसला लिया जा सकता है। दास ने कहा था कि सन् 1949 से 30 सितम्बर 2010 तक यहमामला जिला अदालत से लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक चला और अब उच्चतम न्यायालय में लम्बित है।
सन्तों का मानना है कि यह मामला आस्था का है इसलिए अदालत इसमें एक सीमा से आगे जाकर आदेश शायद ही कर पाए। उसी सन्त सम्मेलन में विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा थाकि अब हिन्दू संसद की जरूरत आ पड़ी है । हिन्दू संसद के बगैर गोवध, आतंकवाद, धर्मान्तरण एवं मठ मन्दिरों का अधिग्रहण नहीं रूक सकता। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए विहिप और उसके समर्थक संगठन हिन्दुत्व को हवा देने में कोई कोरकसर नहीं छोडेंगे।
विहिप सूत्रों ने बताया कि सात फरवरी को महाकुम्भ क्षेत्र में आयोजित सन्त सम्मेलन में 20 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है। सूत्रों ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह बैठक हिन्दुत्व के नजरिये से काफी महत्वपूर्ण होगी और विहिप इसे मजबूती देने में कोई कोरकसर नहीं छोडेगी। विवादित राम जन्मभूमि मन्दिर माडल के दर्शन के लिए महाकुम्भ में मन्दिर के माडल की आकृति बनाई गई है।
संगम तीरे बना यह खास माडल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र है। माडल को लगभग विहिप के प्रस्तावित मन्दिर के ढांचे की तरह ही तैयार किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ, केदारनाथ और राम जन्मभूमि के दर्शन का अहसास हो सके। महाकुम्भ में अब बद्रीनाथ और केदारनाथ के भी दर्शन हो रहे हैं। इन तीर्थस्थलों के अलावा भी अरैल में बने पुष्प विहार में कई ऎतिहासिक धरोहरों का भी नवीनकरण कराया जा रहा है।
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