मंगलवार, 1 जनवरी 2013

"नाम उजागर करने में हर्ज क्या"

"नाम उजागर करने में हर्ज क्या"
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। ताजा विवाद उनके दिल्ली गैंगरेप पीडिता के नाम को उजागर किए जाने संबंधी विचार और उसके परिवार को लेकर किए गए टि्वट से पैदा हुआ है। थरूर का कहना है कि लड़की एक इंसान थीं कोई सांकेतिक चिह्न भर नहीं।

थरूर ने सोशल नेटवकिंüग साइट टि्वटर के जरिए कहा है कि बलात्कार पीडिता का नाम छिपाए रखने से आखिर क्या हासिल हो रहा है। टि्वटर पर गाहे बगाहे अपनी राय रखने वाले थरूर ने अपने पहले टि्वट में कहा कि "आखिर दिल्ली बलात्कार पीडित की पहचान छिपाए रखकर क्या हासिल होगा। क्यों न उसका नाम बताकर उनका एक वास्तविक व्यक्ति की तरह सम्मान किया जाए,जिसकी अपनी पहचान है। इस टि्वट पर विवाद की आशंका के कुछ देर बाद ही थरूर ने अगले टि्वट में उसके परिवार का उल्लेख किया। टि्वट में कहा कि अगर उनके माता-पिता को आपत्ति नहीं करते हैं तो उस लड़की का सम्मान किया जाना चाहिए। इसके अलावा बलात्कार के कानून में जो बदलाव होने हैं उसके बाद नए कानून का नाम उसी के नाम पर रखा जाना चाहिए।

मालूम हो कि बलात्कार के मामले में भारतीय कानून के मुताबिक किसी भी तरह से पीडिता का नाम उजागर करने पर प्रतिबंध है। ऎसा करना अपराध की श्रेणी में माना गया है। इसके बावजूद सोशल नेटवर्किंग साइट्स और कई अन्य साधनों के जरिए पीडिता कि वास्तविक पहचान उजागर करने की कोशिशें जारी हैं। मीडिया में पीडिता को "दामिनी" और "निर्भया" जैसे काल्पनिक नाम दिए जा रहे हैं।

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