रविवार, 13 जनवरी 2013

इस तरह आसानी से बनवाएं पासपोर्ट



दुनिया सिमट कर छोटी हो गई है। इसे छोटा करने का बड़ा काम किया है देश-विदेश के आसान सफर ने। विदेश जाने के लिए सबसे पहली जरूरत है पासपोर्ट की। पासपोर्ट बनवाने पर पूरी जानकारी दे रहे हैं ललित वत्स :
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पासपोर्ट के बगैर विदेश जाना मुमकिन नहीं। विदेश जाने के अलावा आईडी/अड्रेस प्रूफ के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 1. नीला : रेग्युलर और तत्काल। साधारण लोगों के लिए। 2. सफेद : ऑफिशल। सरकारी कामकाज से विदेश जाने वालों के लिए।
3. मरून : डिप्लोमैटिक। भारतीय डिप्लोमैट्स और सीनियर सरकारी अधिकारियों के लिए।

बनने की अवधि के आधार पर
1. सामान्य: 40-45 दिन
2. तत्काल: 3-7 दिन (इसका 2000 रु. ज्यादा खर्च है)

अगर आपको फौरन पासपोर्ट की जरूरत है तो एक हफ्ते के भीतर तत्काल पासपोर्ट बनाने की भी सुविधा है। रेग्युलर पासपोर्ट की तरह ही इसमें सारी जानकारियां ऑनलाइन भरनी होती हैं। साथ में और भी कुछ बातें हैं। एक तो आवेदक को एनेग्जर-आई भरना होता है , जिसमें वह अपने बारे में सारी घोषणा करता है। दूसरे एक फर्स्ट क्लास गजेटेड ऑफिसर की तरफ से वेरिफिकेशन देना होता है। वह ऑफिसर वेरिफाई करता है कि वह आवेदक को जानता है। तत्काल पासपोर्ट अप्लाई करने के तीन से सात दिन के अंदर मिल जाता है , जबकि सामान्य कैटिगरी का पासपोर्ट बनने में आमतौर पर 40-45 दिन तक लग जाते हैं। इसके बाद रजिस्टर्ड डाक से पासपोर्ट को आवेदक के घर भेजा जाता है।

पेजों के आधार पर
1. 36 पेज (बच्चों को 36 पेज की ही बुकलेट इशू होती है)
2. 60 पेज

वलिडिटी के आधार पर
1. 10 साल: सामान्य अडल्ट का पासपोर्ट 10 साल के लिए बनता है।
2. वयस्क होने तक: 18 साल से कम उम्र वालों का 5 साल या 18 साल का होने तक में जो भी कम हो , उसके लिए बनता है। 15 साल के किशोर 10 साल के लिए भी सामान्य पासपोर्ट बनवा सकते हैं।

कौन बनवा सकता है
- कोई भी भारतीय नागरिक।
- एक दिन की उम्र के बच्चे से लेकर किसी भी उम्र के लोग।
- पैरंट्स का पासपोर्ट होने पर बच्चे का पासपोर्ट सिर्फ ऐफिडेविट के आधार पर बनाया जा सकता है।

कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी
एज प्रूफ: बर्थ सर्टिफिकेट या 10वीं क्लास के पास सर्टिफिकेट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी। जिन लोगों के पास डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है , उन्हें फर्स्ट क्लास मैजिस्ट्रेट (एसडीएम और सीनियर अफसर) से अटेस्टेड सर्टिफिकेट की कॉपी लगानी होती है।

अड्रेस प्रूफ: वोटर आई कार्ड , पैन कार्ड , बैंक पासबुक या स्टेटमेंट , ड्राइविंग लाइसेंस , इंश्योरेंस पॉलिसी ,जरनल पावर ऑफ अटर्नी , बिजली-पानी आदि के बिल की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी। किराए के मकान में रहनेवालों को रजिस्टर्ड रेंट अग्रीमेंट के साथ एक और प्रूफ देना होता है। दूसरे प्रूफ के तौर पर पैन कार्ड , पासबुक, डीएल आदि की कॉपी दे सकते हैं।

आईडी प्रूफ: वोटर आई कार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस , पैन कार्ड , आधार कार्ड , फोटो लगी पासबुक।

लेटेस्ट फोटो: फोटो पासपोर्ट सेवा केंद्र में ही खींचा जाता है।

फीस
1500 रुपए: 10 साल की वलिडिटी वाला 36 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
2000 रुपए: 10 साल की वलिडिटी वाला 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
3500 रुपए: तत्काल स्कीम के तहत 10 साल की वलिडिटी वाला 36 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
4000 रुपए: तत्काल स्कीम के तहत 10 साल की वलिडिटी वाला 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने या रिन्यू कराने पर।
3000 रुपए: पासपोर्ट खोने , चोरी होने आदि होने पर 36 पेज का ड्यूप्लिकेट पासपोर्ट बनवाने पर।
3500 रुपए: पासपोर्ट खोने , चोरी होने आदि होने पर 60 पेज का नया पासपोर्ट बनवाने पर।
1000 रुपए: 18 साल से कम उम्र वालों के लिए।

फॉर्म अब ऑनलाइन ही
कुछ समय पहले तक पासपोर्ट ऐप्लिकेशन जमा कराने के लिए घंटों लंबी लाइन लगती थी। कई बार चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन ऑनलाइन अप्लाई करने की सुविधा के बाद यह झंझट खत्म हो गया है। अब सभी जगह ऑनलाइन ही फॉर्म भरे जा रहे हैं।

कैसे करें ऑनलाइन अप्लाई
वेबसाइट www.passportindia.gov.in/ पर राइट साइड में Online Application Filing कॉलम में New User के सामने Register पर क्लिक करें। इसके बाद आप यहां मांगी गई जानकारी भरकर यूजर आईडी बनाएं। इसके बाद आपको ई-फॉर्म का ऑप्शन मिल जाएगा। अब अप्लाई करने की दो ही कैटिगरी हैं:

फ्रेश ऐप्लिकेशन: नए पासपोर्ट के लिए आवेदन।
री-इशू कैटिगरी: नए के अलावा बाकी सभी वजहों से आवेदन।

नए और री-इशू , दोनों के लिए ही साधारण फॉर्म है और एक तत्काल सेवा का फॉर्म है।

सही जानकारी जरूरी
अगर आप पहली बार अप्लाई कर रहे हैं , तो फ्रेश कैटिगरी के लिए बना फॉर्म भरें। आपसे पूछा जाता है कि आपको क्या चाहिए ? आपकी जरूरत का फॉर्म खुल जाएगा। पहली बार पासपोर्ट बनवा रहे हैं या दोबारा अप्लाई कर रहे हैं , सबसे पहले फॉर्म को ठीक से पढ़ें। अपनी पढ़ाई , जन्म , पते आदि के कागजात भी सामने रखें। हर शब्द , हर स्पेलिंग वही भरें , जैसा आपके कागजात में लिखा गया है , वरना ऐप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकता है या करेक्शन कराने के लिए आपको चक्कर काटने पड़ सकते हैं।

कैसे-कैसे कॉलम
फॉर्म में पहला कॉलम नाम का है। इसमें अपने कागजात की स्पेलिंग के हिसाब से ही नाम लिखें। एक भी अक्षर का फर्क न हो। प्रूफ के दस्तावेजों में आपका नाम जैसे लिखा है , ठीक वैसे ही इसमें भरें। अगर आपने कभी अपना नाम बदला है , तो इस कॉलम में ये सब लिखें। जन्मस्थान का नाम , पुलिस स्टेशन , जिला , राज्य आदि लिखें। जन्म विदेश में हुआ है , तो लिखें। उससे संबंधित कागजात आपको अपॉइंटमेंट के समय दिखाने पड़ेंगे। अपना वर्तमान और स्थाई पता लिखें। दोनों एक ही हैं , तो एक ही जगह पर लिखें। रेफरेंस के लिए अपने जानकार किन्हीं दो लोगों के नाम , पते , फोन नंबर आदि लिखें। पहले कहां , कितने दिन रहे , इसका ब्योरा भी लिखें।

1989 के बाद जन्म
1989 से पहले जन्म लेने वालों को पासपोर्ट केंद्र में अपॉइंटमेंट के समय 10 वीं क्लास के उस सर्टिफिकेट की कॉपी जमा करानी होती है , जिसमें डेट ऑफ बर्थ भी लिखी होती है। 1989 के बाद जन्मे लोगों के लिए 10 वीं के सर्टिफिकेट की कॉपी के अलावा म्यूनिसिपल्टी आदि द्वारा जारी किए गए बर्थ सर्टिफिकेट की कॉपी लगाना भी जरूरी है।

कोर्ट केस की दें जानकारी
फॉर्म में दो कॉलम क्रिमिनल रेकॉर्ड के बारे में भी होते हैं। अगर किसी केस में सजा हुई है तो उसकी सही जानकारी देनी चाहिए। इसी तरह , अगर किसी के खिलाफ कोर्ट में केस पेंडिंग है , तो वह भी पासपोर्ट बनवा सकता है। लेकिन इसकी जानकारी फॉर्म में दी जानी चाहिए। ऐसे मामले में पासपोर्ट बनवाने के लिए संबंधित कोर्ट का एनओसी (नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) जरूरी है।

ईसीआर कैटिगरी
दसवीं से कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ लोगों के लिए ईसीआर कैटिगरी होती है। इसमें विदेश मंत्रालय जांच कराता है कि आवेदक कहां जा रहा है , किस मकसद से जा रहा है आदि ? दसवीं पास हैं , 50 साल से ज्यादा उम्र है और टैक्स चुकाते हैं तो ईसीआर (इमिग्रेशन क्लीयरेंस रिपोर्ट) की जरूरत नहीं होती। 10वीं का सर्टिफिकेट लगने के बाद ऑटोमैटिक तरीके से ऑनलाइन ही ईसीआर लग जाता है। ईसीआर के बारे में पूरी जानकारी moia.gov.inपर पा सकते हैं।

अपॉइंटमेंट लेकर मिलें
सारी जानकारियां सही-सही भरकर फॉर्म को अपलोड कर दें। फॉर्म के अपलोड होने के तुरंत बाद ही आपका ऐप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (एआरएन) बन जाएगा। इसके बाद अपॉइटमेंट में शेड्यूल करें और अपॉइंटमेंट की रसीद का प्रिंट आउट लेकर अपने पास रख लें। इस स्लिप के साथ आवेदक को अपने इलाके के पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) ऑफिस पहुंचना होगा।

ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान ही आपको पासपोर्ट सेवा केंद्र का ऑप्शन भी मिलेगा। यहां आवेदक को अपने सभी ऑरिजिनल डॉक्युमेंट्स (जो ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त बताए गए थे) को अपने साथ लेकर आना जरूरी है। इसके साथ ही हर डॉक्युमेंट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी भी साथ में होना जरूरी है। काउंटर पर बैठे कर्मचारी एआरएन के साथ ऑरिजिनल डॉक्युमेंट्स देखने के बाद उनकी फोटोकॉपी फॉर्म के साथ जमा कर लेंगे।

कुछ दिक्कतें भी हैं ऑनलाइन सिस्टम की
ऑनलाइन अप्लाई करने के तमाम फायदों के बीच कुछ नुकसान भी हैं:
- अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों के खुद ऑनलाइन फॉर्म भरना मुमकिन नहीं है। फिर हर घर में कम्प्यूटर-इंटरनेट भी नहीं है। गांव-देहात में तो और भी ज्यादा परेशानी है।

- हरियाणा में दिल्ली के पास के नौ जिलों के लोगों की समस्या तो और बढ़ गई है। पहले सिस्टम में सोनीपत ,रोहतक , झज्जर , गुड़गांव , रेवाड़ी , महेंद्रगढ़ , फरीदाबाद , नूह , पलवल के लोग अपने जिले में ही फॉर्म जमा करा देते थे। लेकिन अब उन्हें पहले तो ऑनलाइन अप्लाई करने का जुगाड़ करना पड़ता है , फिर वेरिफिकेशन के लिए पहले से कहीं ज्यादा दूर जाना पड़ता है। इन इलाकों के लोगों के लिए भी दिल्ली स्थित तीन और गुड़गांव स्थित एक पासपोर्ट सेवा केंद्र में ही वेरिफिकेशन के लिए जाने का विकल्प है। गुड़गांव को छोड़ कर बाकी सभी जिलों के लोगों को अब कहीं ज्यादा दूर जाना पड़ रहा है और वहां उनका वक्त भी कहीं ज्यादा लगता है।

- लोगों की एक बड़ी समस्या वेरिफिकेशन के लिए जाने का अपॉइंटमेंट लेने की है। अपॉइंटमेंट लेने के लिए आमतौर पर शाम 6 बजे के आस-पास ही साइट खुलती है , वह भी 5-10 मिनट के लिए। इतना प्रेशर होता है कि कुछ ही देर में साइट बंद हो जाती है और लोगों को फिर अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है।

- अब लोग अपनी मर्जी के दिन पासपोर्ट ऑफिस नहीं जा सकते। उन्हें अपॉइंटमेंट की डेट के हिसाब से तय टाइम पर जाने के लिए छुट्टी तक करनी पड़ती है।

- वेरिफिकेशन में लगने वाला टाइम भी काफी ज्यादा है। समय पर जाने के बाद काम पूरा होने में ढाई-तीन घंटे भी लग जाते हैं।

- एक और बड़ी समस्या पहले फीस की रसीद काटने की है। फीस लेने के बाद सरकारी अफसर कागजात आदि की जांच करते हैं। कागजात में कमी या रिजेक्शन आदि होने पर फीस बेकार हो जाती है। दोबारा अप्लाई करने पर फिर से फीस भरनी होगी।

- पासपोर्ट के इच्छुक हर किसी को खुद जाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों , बुजुर्गों , छोटे बच्चों के लिहाज से बड़ी दिक्कतें हैं। महीने भर के बच्चे को लेकर जाना आखिर कितना सही है ?

नोट: गंभीर मरीजों और इमर्जेंसी मामलों में अपॉइंटमेंट के बिना भी पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट सेवा केंद्र जा सकते हैं। अगर आवेदक को कोई गंभीर बीमारी है तो उसे उपस्थिति की छूट मिल सकती है। लेकिन इमर्जेंसी का मतलब इमर्जेंसी ही होना चाहिए और उसके सपोर्ट में कागजात भी साथ में होने चाहिए। इस तरह के मामलों में आरके पुरम स्थित ऑफिस में संपर्क किया जा सकता है।

जिनके पास है पासपोर्ट
पासपोर्ट री-इशू कराना
किसी भी वजह से पासपोर्ट री-इशू कराना हो तो उसके लिए एक ही फॉर्म है। पासपोर्ट आमतौर पर इन वजहों से फिर से इशू कराया जाता है:
पासपोर्ट की अवधि खत्म हो जाने पर : पासपोर्ट की अवधि खत्म होने से एक साल पहले या तीन साल बाद तक आप अप्लाई करते हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी। इसके बाद अप्लाई करेंगे या पता आदि बदला होगा तो फिर से पुलिस वेरिफिकेशन होगा। स्टूडेंट अगर पढ़ाई आदि के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो दो साल पहले तक अप्लाई कर सकते हैं , लेकिन इसके लिए उन्हें दाखिले संबंधी सबूत देने होंगे।

बुकलेट भर जाने पर : सारी डीटेल्स पहले जैसी ही हैं , तो बुकलेट भरने पर फॉर्म के साथ पुरानी बुकलेट की सेल्फ अटेस्टेड फोटो कॉपी लगानी होती है। इसके बाद फिर से 10 साल के लिए पासपोर्ट जारी होगा।

नाम या पते में बदलाव : इसके लिए सभी संबंधित कागजात की कॉपी जरूरी है।

पासपोर्ट फट जाने या खराब हो जाने पर : री-इशू कैटिगरी के तहत ड्यूप्लिकेट पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना होगा।

पासपोर्ट खो जाने या चोरी हो जाने पर : अपने पास के पुलिस स्टेशन और पासपोर्ट ऑफिस में जानकारी दें। अगर विदेश में हैं तो भारतीय दूतावास को खबर करें। इसके बाद री-इशू के लिए अप्लाई करें।

शादी के बाद नाम और पता बदलना : ऐसी महिलाओं को मैरेज सर्टिफिकेट , पति के साथ फोटो , नए पते के प्रूफ के साथ दो भाषाओं के अखबारों में नाम बदलने संबंधी ऐड की कॉपी देनी होती है।

स्टेटस बदल जाने पर : अगर शादी के बाद आप पासपोर्ट री-इशू कराना चाहते हैं तो आपको पत्नी के साथ फोटो और उसके साइन के साथ हलफनामा दायर करना चाहिए कि अब आप शादीशुदा हैं। यह कंप्लसरी नहीं है लेकिन ऐसा करने से आगे बच्चे का पासपोर्ट बनवाने में मदद मिलेगी।

पासपोर्ट केंद्र कहां-कहां हैं
देश में पासपोर्ट बनाने के लिए कुल 114 केंद्र हैं , जिनमें फिलहाल सालाना करीब 60 लाख पासपोर्ट बनाए जा रहे हैं। इनमें 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) और केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय के तहत 37 पासपोर्ट ऑफिस हैं। दिल्ली में पासपोर्ट कागजात के वेरिफिकेशन और फीस जमा कराने के लिए तीन केंद्र बनाए गए हैं

1. पासपोर्ट सेवा केंद्र , हुडको , त्रिकूट- 3, भीकाजी कामा प्लेस , आर. के. पुरम , नई दिल्ली- 110066
2. पासपोर्ट सेवा केंद्र , ग्राउंड ऐंड फर्स्ट फ्लोर , हेराल्ड हाउस , 5 ए , बहादुर शाह जफर मार्ग , नई दिल्ली-110002
3. पासपोर्ट सेवा केंद्र , अग्रवाल ऑटो मॉल , प्लॉट नं. 2, डिस्ट्रिक्ट सेंटर शालीमार प्लेस , आउटर रिंग रोड ,नई दिल्ली-110088

टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9:30 से शाम 4:30 बजे तक , लंच: दोपहर 1:30 बजे से 2 बजे तक

नोट: इन सभी सेंटरों पर एटीएम की सुविधा भी है।

ऐसे होता है पीएसके में काम
पहला काउंटर : पासपोर्ट सेवा केंद्र में पहला काउंटर कस्टमर सर्विस एग्जेक्युटिव (सीएसई) का होगा। यहां आपको पासपोर्ट की किस्म के हिसाब से फीस जमा करने के बाद उसकी रसीद मिलेगी। आपके कागजात की स्कैनिंग होगी , आपके फोटो खींचे जाएंगे , फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे और इसी के साथ सीएसई का काम खत्म।

दूसरा काउंटर : सीएसई से अगला काउंटर वीओ का है। वीओ सरकारी अफसर है। वह आपके फॉर्म की जांच करेगा। कागजात का वेरिफिकेशन करेगा। ऑरिजनल कागजात देखेगा। वेरिफिकेशन सही है , तो आप अगले काउंटर पर जाएंगे।

तीसरा काउंटर : यह ग्रांटिंग ऑफिसर (जीओ) का काउंटर है। जीओ जांच करते हैं कि क्या आपने पहले भी कभी अप्लाई किया था , क्या पहले की ऐप्लिकेशन और मौजूदा ऐप्लिकेशन में दी गई जानकारी में कोई फर्क है ,फॉर्म में और कोई गलती तो नहीं है आदि। संतुष्ट होने पर जीओ आपकी ऐप्लिकेशन को मंजूरी दे देगा।

इस मंजूरी के बाद आपका आवेदन पुलिस क्लियरेंस के लिए भेज दिया जाएगा।

नाम या पता गलत हो तो...
तैयार पासपोर्ट में अगर आपका नाम या पता पासपोर्ट सेवा केंद्र की गलती से सही नहीं छपा है तो फौरन संबंधित पासपोर्ट सेवा केंद्र में शिकायत करें। वे गलती सुधार कर पासपोर्ट जारी करेंगे। इसके लिए अलग से कोई फीस नहीं देनी होगी।

एनसीआर में कहां-कहां बनता है पासपोर्ट
गाजियाबाद
कहां है पासपोर्ट सेवा केंद्र
पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) , ब्लॉक-ए ग्राउंड फ्लोर , पैसिफिक बिजनेस पार्क , प्लॉट नंबर 37/1 , साइट 4 ,साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया , गाजियाबाद-201010
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 10 से शाम 5 बजे तक , लंच : दोपहर 1:30 से 2 बजे तक
कहां करें शिकायत: 0120-272-1876/779

कई जिलों के बनते हैं पासपोर्ट: यहां पर 13 जिलों के पासपोर्ट बनाए जाते हैं। अलीगढ़ , आगरा , बागपत ,बुलंदशहर , गौतमबुद्धनगर , गाजियाबाद , हाथरस , मथुरा , मेरठ , मुजफ्फरनगर , सहारनपुर , हापुड़ ,शामली (प्रबुद्धनगर) जिलों के नागरिकों के पासपोर्ट पीएसके से बनाए जाते हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोई पासपोर्ट ऑफिस नहीं है , इसलिए यहां के लोगों को ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद वेरिफिकेशन आदि के लिए गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र (पता लेफ्ट में) जाना होता है।

कहां करें शिकायत
पासपोर्ट समय पर नहीं मिलने पर गाजियाबाद में पासपोर्ट ऑफिसर से शिकायत की जा सकती है। समय से वेरिफिकेशन नहीं होने पर एसएसपी ऑफिस में शिकायत की जा सकती है।

गुड़गांव और फरीदाबाद
हरियाणा में भी सिर्फ ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है। ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद गुड़गांव के लोग पासपोर्ट सेवा केंद्र , एमएम टॉवर्स , प्लॉट नं. 8,9 , उद्योग विहार फेज-4 , ओल्ड दिल्ली रोड , गुड़गांव -122002 में जाकर औपचारिकताएं पूरी कर सकते हैं।
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक , लंच: दोपहर 1:30 बजे से 2 बजे तक ,छुट्टी : शनिवार और रविवार।

फरीदाबाद के अलावा सोनीपत , रोहतक , झज्जर , रेवाड़ी , महेंद्रगढ़ , गुड़गांव , पलवल और नूह जिले के लोगों के पासपोर्ट संबंधी काम दिल्ली के 3 केंद्रों में भी करा सकते हैं।
टाइमिंग: सोमवार से शुक्रवार , सुबह 9 से शाम 4 बजे तक।

कहां करें शिकायत
रीजनल पासपोर्ट ऑफिस , हुडको , त्रिकूट-3 , भीकाजी कामा प्लेस , आरके पुरम , नई दिल्ली-110066 फोन : 011-2616-6292

प्रस्तुति : नोएडा से आशीष दूबे, ग्रेटर नोएडा से पवन सिंह, गायिजाबाद से रानू पाठक, गुड़गांव से बीपी पाण्डेय और फरीदाबाद से अखिल सक्सेना।

पासपोर्ट ऑफिस में अलग-अलग रहा अनुभव
रोमांचक लगा प्रॉसेस
रेनू की शादी हाल में हुई और वह आरके पुरम स्थित पासपोर्ट ऑफिस में बैठी हैं। रेनू पहली बार अपने पति के साथ विदेश जाएंगी। रेनू बताती हैं कि पासपोर्ट बनवाने की पूरी प्रक्रिया से गुजरना मेरे लिए काफी रोमांचकारी रहा। रेनू जैसे ही कई लोग विदेश यात्रा के लिए हजारों अरमान लिए पासपोर्ट बनवाने के लिए इस ऑफिस में बैठे थे। अब हर किसी को अपना पासपोर्ट बनवाने के लिए खुद ही जाना होता है। अपने-अपने टोकन नंबर का इंतजार करते लोगों का अनुभव अलग-अलग था।

बच्चे को संभालना है मुश्किल
विशू... अंदर आओ , नंबर आने वाला है। अपने बेटे के लिए पासपोर्ट बनवाने आए ललित और पत्नी संगीता के लिए सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी 4 साल के बेटे विशेष को संभालना। संगीता बताती हैं कि यहां इंतजार करते हुए करीब 45 मिनट हो चुके हैं और अभी एक घंटा और लगेगा। छोटे बच्चे के लिए इतनी देर यहां रुकना काफी मुश्किल है।

बुजुर्गों रियायत की दरकार
ऐसी ही समस्या 78 साल के रघुवीर जी के साथ भी थी , जो अपने बेटे-बहू के पास पहली बार विदेश जा रहे हैं। रघुवीर सिंह घुटनों में तकलीफ की वजह से ज्यादा देर तक पैर लटका कर नहीं बैठ सकते। रघुवीर कहते हैं कि यहां इतनी देर तक बैठना काफी परेशानी भरा हो जाता है। मुझे लगता है कि 10 साल से छोटे बच्चों और सीनियर सिटिजंस को इस नियम में छूट मिलनी चाहिए। नहीं तो , बुजुर्गों बच्चों के लिए एक रेस्ट रूम तो होना ही चाहिए।

वक्त की बचत से खुश
पासपोर्ट बनवाने का आधे से ज्यादा प्रॉसेस पूरा कर चुके विवेक बेहद खुश नजर आ रहे थे। एमबीए की पढ़ाई के लिए लंदन जाने की तैयारी कर रहे विवेक कहते हैं कि मैं काफी खुश हूं और इस पूरे प्रॉसेस में ज्यादा टाइम भी नहीं लगा।
प्रस्तुति : दीपिका शर्मा

वर्ल्ड क्लास सिस्टम है यह
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 1995 बैच के अधिकारी अनुराग भूषण इस समय आरके पुरम , दिल्ली स्थित रीजनल पासपोर्ट ऑफिस के हेड (आरपीओ) हैं। इस ऑफिस में दिल्ली के अलावा हरियाणा के नौ जिलों के पासपोर्ट संबंधी काम होते हैं। भूषण कहते हैं कि यहां का सिस्टम वर्ल्ड क्लास है। ऑनलाइन सिस्टम बिल्कुल परफेक्ट है। इसमें सारी सूचनाएं 2437 उपलब्ध हैं। यह सिस्टम आपको एक तरह से गाइड भी करता चलता है कि कैसे क्या भरें ? साथ ही , कागजात के आधार पर यह भी बता देता है कि आपने किस कॉलम में क्या गलत भर दिया है ?

पासपोर्ट भरने के दौरान कॉमन गलतियां
- अक्सर लोग पूरा नाम नहीं देते या नाम की स्पेलिंग गलत लिख देते हैं।
- वेरिफाई करने पुलिस घर आती है तो लोग घर पर नहीं मिलते।
- दोबारा अप्लाई करते वक्त पुराने पासपोर्ट की जानकारी नहीं देते।
- दोबारा अप्लाई करते दी गई जानकारी पहले से अलग होती है।

नोट: जानकारी में कोई फर्क हो तो उसका सबूत जरूर दें। गलत जानकारी देने पर जुर्माने से लेकर कैद तक हो सकती है।

पुलिसकर्मी रिश्वत मांगे तो...
दिल्ली में पुलिस वेरिफिकेशन करने आनेवाला पुलिसकर्मी अगर परेशान करे , रिश्वत मांगे तो आप शिकायत कर सकते हैं :

डीसीपी स्पेशल ब्रांच
फोन: 2323-6208
ईमेल: dcpsbdelhi@gmail.com

डीसीपी विजिलेंस
पुलिस भवन , आसफ अली रोड , नई दिल्ली-2
फोन: 2323-4091
फोन (विजिलेंस कंट्रोल रूम): 2321-3355

कुछ ही दिनों में पुलिस रिपोर्ट आने के बाद आपकी जानकारी आगे बढ़ जाएगी और आपका पासपोर्ट ऑटोमैटिक तरीके से प्रिंट होने चला जाएगा।

वेबसाइट
www.passportindia.gov.in

हेल्पलाइन नंबर
1800-258-1800 ( टोल फ्री नंबर 24 घंटे सातों दिन) से अपनी ऐप्लिकेशन का स्टेटस जानने के साथ ही दूसरी दिक्कत हो तो उसकी जानकारी ले सकते हैं।

शिकायत कहां करें
अगर कोई शिकायत हो तो किसी भी पासपोर्ट सेवा केंद्र पर शिकायत कर सकते हैं। वेबसाइट पर नाम और पते दिए गए हैं। फिर भी सुनवाई न हो तो नीचे लिखे नंबर पर शिकायत कर सकते हैं:

क्षेत्रीय पासपोर्ट या उप पासपोर्ट अधिकारी ,
हुडको , त्रिकूट-3 , भीकाजी कामा प्लेस , आर. के. पुरम , नई दिल्ली-110066
फोन: 011-2616-5870

सवाल हो तो पूछें
पासपोर्ट पर यह पेज आपको कैसा लगा , हमें बताएं। कुछ कमी-बेशी हो तो वह भी लिखें। अब भी कोई सवाल बचा हो तो हमें इंग्लिश या हिंदी में लिखें , हम एक्सपर्ट से पूछ कर आप तक जानकारी पहुंचाएंगे।

SMS: टाइप करें bol स्पेस passport स्पेस और फिर अपनी राय या सवाल अपने नाम के साथ 58888 पर भेजें।
सैंपल: boll passport good

EMAIL: sundaynbt@gmail.com पर भेजें। सब्जेक्ट में लिखें: passport

हेल्पलाइन
अगर सारा प्रोसेस सही-सही पूरा करने पर भी आपका पासपोर्ट नहीं बनता तो आप कारण पूछें। वाजिब वजह न बताई जाए तो शिकायत के लिए पेज पर दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर फोन करें। फिर भी काम न हो तो आप एक महीने के अंदर यानी 13 फरवरी 2013 तक हमें sundaynbt@gmail.com पर ई-मेल इंग्लिश या हिंदी में भेज सकते हैं। सब्जेक्ट में लिखें: passport. हम उन समस्याओं को संबंधित अधिकारियों के सामने उठाएंगे और उनका जवाब छापेंगे। कृपया नोट करें कि हम मामला-विशेष न उठाकर सिस्टम की खामियों पर फोकस करेंगे।

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