मरुधरा पर पेयजल सुविधाआें ने पाया विस्तार
गाँव-ढाँणियों तक पहुँचा पानी
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
जैसलमेर
रेगिस्तान और पानी...। सदियों तक इनमें जबर्दस्त विरोधाभास का युग अब बीत चुका है। सरकार ने रेतीले धोरों में परम्परागत भीषण जल संकट को देखते हुए पेयजल गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की और पेयजल योजनाओं व कार्यक्रमों का क्रियान्वयन युद्धस्तर पर किया। इसी का परिणाम है कि मरुभूमि की सबसे बड़ी समस्या पर काबू पाया जा सका है।
मरुधरा पर मेहरबान रही सरकार
राज्य सरकार ने हाल के वर्षो में मरुभूमि पर पानी पहुँचाने को सर्वोपरि लक्ष्य मानकर उदारतापूर्वक बजट स्वीकृत किया। इस वजह से पेयजल योजनाओं ने ख़ासी रफ्तार पायी। सरकार के अनथक प्रयासों की बदौलत आज मरुधरा पर पीने का पानी का संकट नहीं रहा व शहरों से लेकर गाँव-ढाँणियों तक को किसी न किसी योजना से जोड़कर पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकी है। न केवल मनुष्यों बल्कि मवेशियों तक के लिए पीने के पानी के प्रबंध सुनिश्चित किए गये हैं।
पेयजल सुविधाओं में तरक्की की डगर पर
सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि अब जैसलमेर में नहरी पानी को पेयजल के रूप में उपयोग में लाने की योजनाओं के साथ ही विभिन्न पेयजल गतिविधियों की पूर्णता के बाद पेयजल के मामले में जैसलमेर दूसरे क्षेत्रों की बराबरी की डगर पर है। जैसलमेर में पेयजल सुविधाओं एवं संसाधनों तथा वितरण सेवाओं के मामले में वर्तमान राज्य सरकार के पिछले चार वर्ष अहम् उपलब्धियों से भरे रहे हैं।
शहरी क्षेत्र जैसलमेर
जैसलमेर शहर में जल वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए देवा एवं पोहड़ा के मध्य8000 मीटर तथा पोहड़ा एव गजरूप सागर के मध्य 5500 मीटर पाईप लाईन स्थापित की गई। इससे जैसलमेर शहर में जल उत्पादन में वृद्धि हुई तथा पुरानी पाइप लाईन से लिकेज हो रहे पानी में कमी आई।
इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र के लिए विभिन्न स्थानों पर 4 नये नलकूपों का निर्माण करवाया गया। जैसलमेर शहर की जल व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए आर.यू.आई.डी.पी. द्वारा फेज द्वितीय में इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की मेन केनाल (मोहनगढ़) से जैसलमेर तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। जैसलमेर शहर में 3 उच्च जलाशयों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।
जैसाण की लम्बी छलांग
मोहनगढ़ से जैसलमेर शहर तक 57 किलोमीटर पाईपलाईन बिछाकर शहरवासियों तक पानी पहुंचाने की योजना में नहरी पानी पहुंचना शुरू हो गया है। इसका शुभारंभ जिला कलक्टर शुचि त्यागी की पहल पर फिलहाल परीक्षण के तौर पर किया गया। शहर के 75 हजार लोग लाभान्वित करने वाली यह योजना जैसलमेर के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि है। इससे जैसलमेर शहर को अब आने वाले कई वर्षों तक पानी की किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं रहेगी।
आर.यू.आई.डी.पी. परियोजना के तहत मोहनगढ़ से जैसलमेर शहर तक 600 मिमी व्यास की नई 57 किमी पाईप लाईन बिछाई गई एवं मोहनगढ़ में रॉ वाटर पम्पिंग स्टेशन का निर्माण करवाया गया एवं पानी की सप्लाई प्रारम्भ कर दी गई है। इससे जैसलमेर शहरवासियों को नियमित पूर्ण दबाव से पानी मिलना लक्षित है। इस परियोजना की कुल लागत 83.33 करोड़ है।
शहरी क्षेत्र पोकरण
पोकरण शहर में जल वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 4 नलकूप तथा 4हैण्डपम्पों का निर्माण कर चालू करवाया गया, जिससे पोकरण शहर में सर्विस लेवल में आंशिक रूप से बढ़ोतरी हुई है।
ग्रामीण क्षेत्र
जिले में ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत जल वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल परियोजना(एनआरडीडब्ल्यूची) मद में राशि 5491.69 लाख रुपए, एम.एन.पी. मद में राशि 2933.88 लाख रुपए तथा बी.ए.डी.पी. मद में राशि 1406.21 लाख रुपए धनराशि का व्यय हुआ। इसके तहत 67 नलकूप, 840 हैण्डपम्पों का निर्माण कर चालू करवाया गया। ग्राम/ढांणियों में विभिन्न आकारों की 580 किलोमीटर पाईप लाईन बिछाई गई।
नहरी क्षेत्र में जल संग्रहण के लिए 24 डिग्गियों एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए8 स्लो सेण्ड फिल्टर प्लांट का निर्माण कार्य करवाया गया। इन कार्यों से 464 ढांणियों में पेयजल व्यवस्था मुहैया हुई तथा 225 ग्राम/ढांणियों में पेयजल व्यवस्था में सुधार किया गया।
इसी प्रकार 365 अजा./जजा बस्तियों एवं हेबीटेशन तथा 242 स्कूलोें, 194 आंगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल व्यवस्था की गई। ग्रामीण क्षेत्र में फ्लोराईड़युक्त पानी के शुद्धिकरण के लिए विभिन्न ग्राम/ढांणियों में 110 स्थानों पर डी-फ्लोरिडेशन यूनिट की स्थापना की गई। जिले में पेयजल के क्षेत्र में हुए सुधार और विकास गतिविधियों का बेहतर फायदा आम जनता को मिलने लगा है।
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