सोमवार, 31 दिसंबर 2012

चाइल्ड मैरिज "पोस्टर गर्ल" का बाल विवाह

चाइल्ड मैरिज "पोस्टर गर्ल" का बाल विवाह

पुरूलिया। वर्ष 2007 में पुरूलिया के बारारोला गांव की 12 वर्षीय रेखा कालिंदी इस वजह से सुर्खियों में आई थी, क्योंकि उसने अपने माता-पिता का विरोध कर बाल विवाह से इनकार किया था। इस बहादुरी पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने उसका सम्मान किया था और यूनिसेफ के बाल विवाह के खिलाफ अभियान के लिए उसे "पोस्टर गर्ल" बनाया गया था।

पिछले हफ्ते 17 वर्षीय रेखा एक बार फिर सुर्खियों में आई और स्थानीय मीडिया में कहा गया कि रेखा ने करीब एक साल पहले यानी 16 साल की उम्र में विवाह कर लिया है। हालांकि रेखा ने इससे इनकार किया,लेकिन उसके रिश्तेदार,स्कूल के अध्यापक और ग्रामीण इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि रेखा ने जनवरी,2011 में गांव के एक मंदिर में महिंद्रा कालिंदी के साथ विवाह कर लिया है और दोनों महिंद्रा के घर में साथ रहते हैं। पुष्टि करते हुए महिंद्रा की मां ने बताया कि वे हमारे घर में पति-पत्नी की तरह रहते हैं। वे दोनों एक-दूसरे को प्यार करते हैं। इसमें गलत क्या है?

हालांकि बहन के घर रह रही रेखा ने इन खबरों को गलत बताते हुए कहा कि उसने अभी तक शादी नहीं की है। वह महिंद्रा को चाहती है, लेकिन शादी दसवीं की परीक्षा के बाद ही करेगी। फिलहाल रेखा ने आठवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है।

रेखा के स्कूल के हेडमास्टर प्रतिराम महातो ने कहा कि उन्होंने रेखा को कई बार महिंद्रा के गांव में उसके साथ देखा है। वे बकट गांव में साथ रहते हैं। उसने गरीबी और माता-पिता के दबाव में शादी कर ली होगी। लेकिन वह बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से मशहूर है, इसलिए इस विवाह का खुलासा नहीं किया जा रहा।

जिला प्रशासन के सूत्रों का कहना है कि यह महिंद्रा का तीसरा विवाह है। उसकी आर्थिक स्थिति रेखा से भी बुरी है, क्योंकि रेखा को बाल विवाह का विरोध करने पर पुरस्कार स्वरूप वार्षिक भत्ता मिलता है। अधिकारी ने बताया कि उसे 14 हजार रूपए वार्षिक भत्ता मिलता है और शादी की खबर को इसी वजह से छिपाया जा रहा है कि कहीं यह भत्ता बंद न हो जाए।

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