इस्लामाबाद। पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने व्यवस्था दी है कि बेनजीर भुंट्टो हत्याकांड की जांच के नतीजों को सार्वजनिक करने से पहले सरकार को किसी प्राधिकरण की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।
रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत ने बुधवार को विशेष सरकारी वकील चौधरी जुल्फीकार अली की याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिका में न्यायाधीश हबीब उर रहमान से मामले की जांच और मुकदमे की कार्यवाही को सार्वजनिक करने की इजाजत मांगी गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि सरकार भुट्टो की हत्या के आरोपियों के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही को सार्वजनिक कर सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री भुंट्टो की हत्या के आरोप में पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। सुरक्षा कारणों के चलते इन पर मुकदमा रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद कमरे में चलाया जा रहा है।
लंदन में स्वनिर्वासन में रह रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को इस मामले में अदालत ने भगोड़ा घोषित किया हुआ है। मुशरर्फ पर रावलपिंडी में आयोजित एक चुनावी रैली के दौरान भुंट्टो को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रहने का आरोप है। वर्ष 2007 में भुंट्टो की एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी।
इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने भी कहा था कि भुंट्टो हत्याकांड की जांच के नतीजों को सार्वजनिक करने के लिए सरकार अदालत से इजाजत मांगेगी। समझा जा रहा है कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी [पीपीपी] हत्याकांड से जुड़ी जानकारी को भुंट्टो की पुण्यतिथि यानी 27 दिसंबर को जारी करेगी।
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