गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

"खट्टे अंगूरों" की कहानी पर हंगामा



"खट्टे अंगूरों" की कहानी पर हंगामा
नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने गुरूवार को राज्यसभा में मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई पर चर्चा के दौरान जब "अंगूर खट्टे" है की कहानी सुनाई तो इस पर काफी हंगामा खड़ा हो गया। मायावती की इस कहानी के समर्थन में संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ आगे आए तो भाजपा के सांसदों ने उन पर तीखा वार किया और दोनों के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगाया। मायावती ने लोकसभा में विपक्ष की नेता की इस बात के लिए कड़ी निंदा की कि उन्होंने बुधवार को लोकसभा में एफडीआई के मुद्दे पर बसपा के बहिर्गमन को "सीबीआई" के दबाव से जोड़ दिया।

उन्होंने सुषमा स्वराज का नाम न लेते हुए उनके बयान की भाषा की तीखी आलोचना की और इस संबंध में "अंगूर खट्टे हैं" की कहानी सुनाई जिस पर भाजपा के सांसदों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की। भाजपा की नज्मा हेपतुल्ला, रविशंकर प्रसाद तथा विनय कटियार जैसे नेताओं का कहना था कि इस सदन में दूसरे सदन के नेता का नाम नहीं लिया जा सकता। बसपा के सांसदों ने पलटवार करते हुए कहा कि सुषमा स्वराज को भी बुधवार को अपने सदन में दूसरे सदन की मायावती का जिक्र नहीं करना चाहिए था।इस पर सभापति डा. हामिद अंसारी ने कहा कि सदन में असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, तब संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ अपनी सीट से खडे होकर कहने लगे सदन में यह कहानी पहले भी कई बार सुनाई जाती रही है। इसमें कुछ भी असंसदीय नहीं है। तब भाजपा के सांसदों ने कहा कि सरकार और बसपा आपस में मिली हुई हैं। इसके बाद मायावती लोकसभा में स्वराज का नाम लेते हुए उनका बयान पढ़ने लगी, तब भाजपा के सांसद और भड़क गए। यह देखते हुए डा. अंसारी ने सदन की कार्यवाही संबंधी नियमों की पुस्तक मंगा कर एक नियम का उल्लेख किया जिसके तहत एक सदन की कार्यवाही का उल्लेख दूसरे सदन में नहीं किया जा सकता। इसके बाद मायावती चुप होकर बैठ गई।

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