सोमवार, 10 दिसंबर 2012

काली' करतूत से 'हरी' होती है सब्जी, देख रह जाएंगे दंग!






लखनऊ. बे-मौसम हरी सब्जियों के देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। बैंगनी बैंगन और हरे मटर को देख जी ललचा उठता है। इनकी चमक दुकान की तरफ बरबस खींच लेती है। पर क्या आप जानते हैं कि उस चमक के पीछे कुछ लोगों की काली करतूत छिपी है। जी हां, इन रंगीन और चमकदार सब्जियों को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। इसे देख आप यकीनन दंग रह जाएंगे।

बाज़ार में खुलेआम औने-पौने दामों में बेचा जाता है। इससे जेब तो कटती ही है, स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हरी सब्जियों को आकर्षक और चमकदार बनाने के लिए घातक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। उसी तरह समय से समय से पहले इन्हें तैयार करने के लिए जहरीले आक्सीटोसिन इंजेक्शन को लगाया जाता है। 






यह तस्वीर लखनऊ के आलमबाग इलाके के सब्जी मंडी की है। यहां पर हज़ारों लोग ताज़ी सब्जियां लेने आते हैं। लेकिन रोज ही उनकी इन उम्मीद पर पानी फिर जाता है। बाहर से देखने में हरी-ताज़ी सब्जी रंग से रंगी हुई होती है। इन सब्जियों को हरा-भरा रखने के लिए इनको रंग के पानी में डुबोया जाता है। सब्जी बेचने वाले हरे रंग को पानी में मिलकर उसमे सब्जी को डालकर हरा कर रहे है। इस बाबत जब हमारी टीम ने दुकानदारों से पूछा तो उनका कहना था कि ग्राहक हरी सब्जी ही पसंद करता है, इसलिए हरी सब्जियों को रंग में डालकर बेचा जाता है। हर आदमी सब्जियां धो कर खाता है, इसलिए कोई दिक्कत भी नहीं होती है। एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन सब्ज़ियो को हरा और चमकदार बनाने के लिए सबसे पहले इनको एक बड़े से बर्तन या फिर ड्रम मे डाला जात है। केमिकल रंगों में परवल और तरोई को अच्छी तरह से डाल कर रंगा जाता है। करीब 15 मिनट के बाद इन सब्ज़ियों को टब से बाहर निकालकर कर सुखा लिया जाता है। आधे घंटे की मसकत के बाद यह पीली और सूख चुकी सब्जी, परवल और तरोई फिर से ताजी हो जाती है









सब्जी नहीं केमिकल खा रहे हैं हम ::: सब्जियों में पाए जाने वाले पेस्टिसाइड और मेटल्स पर अलग-अलग शोध किया गया। शोध के अनुसार सब्जियों के साथ हम कई प्रकार के पेस्टिसाइड और मेटल खा रहे हैं। इनमें केडमियम, सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे घातक पेस्टीसाइड शामिल हैं। सब्जियों के साथ शरीर में जाकर ये स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। सब्जियां तो हजम हो जाती हैं लेकिन यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इससे उल्टी-दस्त, किडनी फेल, कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हैं। पालक, आलू, फूल गोभी, बैंगन, टमाटर आदि में इस तरह का जहर पाया गया है। शोध के अनुसार खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है।

इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है। प्रभुदान चारण ने टमाटरों के 28 नमूनों का निरीक्षण किया, जिनमें से 46.43 प्रतिशत नमूनों में पेस्टिसाइड ज्यादा पाया गया। भिंडी के 25 में से 32, आलू के 17 में से 23.53, पत्ता गोभी के 39 में से 28, बैंगन के 46 में से 50 प्रतिशत नमूने प्रदूषित पाए गए। फूल गोभी सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई, जिसके 27 में 51.85 प्रतिशत नमूनों में यह जहर था।




फूलगोभी सबसे ज्यादा है प्रदूषित ::: खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है। इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है। टमाटरों के 28 नमूनों में से 46.43 प्रतिशत नमूनों में पेस्टिसाइड ज्यादा पाया गया। भिंडी के 25 में से 32, आलू के 17 में से 23.53, पत्ता गोभी के 39 में से 28, बैंगन के 46 में से 50 प्रतिशत नमूने प्रदूषित पाए गए। फूल गोभी सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई, जिसके 27 में 51.85 प्रतिशत नमूनों में यह जहर था।

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