गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

"जिताऊ चोर को भी देना पड़ता है टिकट"

"जिताऊ चोर को भी देना पड़ता है टिकट"
सीकर। सरकार के चार साल के जश्न में शामिल होने आए प्रभारी मंत्री ए.ए. खान (दुर्रू मियां) की पीड़ा छलक पड़ी। बुधवार को पार्टी संगोष्ठी में उन्होंने कहा, वो जमाना गया जब सिद्धांतों की राजनीति होती थी। अब जीतने वाले को ही टिकट देना पड़ता है, चाहे वह चोर या भ्रष्टाचारी क्यों ना हो। समाज का ऎसा दबाव होता है कि नेता को बात माननी ही पड़ती है। संसद और विधानसभा में नेता जिस तरह का हंगामा करते हैं, उसे देखते हुए हम अपने बच्चों को सीख भी नहीं दे सकते।

मंत्री खुदा नहीं होता


कार्यकर्ताओं के काम नहीं होने के आरोपों पर दुर्रू मियां ने कहा, मंत्री खुदा नहीं होता है। हमें रास्ता बताएं या फिर आरोप लगाएं कि हम पैसा लेकर काम करते हैं।

डॉक्टरों का गढ़


सभी डॉक्टर एसएमएस में ही रहना चाहते हैं। एसएमएस डॉक्टरों का गढ़ बन गया है। निजी प्रैक्टिस से रोज हजारों कमाते हैं, जबकि यह 24 घंटे सेवा का क्षेत्र है। अपने ही लोग डॉक्टरों को गांव जाने से रोंके तो फिर गांव में कौन जाएगा। 30 वार्डबॉय के लिए 12 हजार आवेदन आए। मंत्री किसकी सुने?

सिर्फ तबादला...


पार्टी के 50 प्रकोष्ठ हैं। इन सभी ने लेटरपैड छपवाने के अलावा कोई काम नहीं किया। लेटरपैड का उपयोग ट्रांसफर करवाने में करते हैं।

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