मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

सोने की चूडिय़ां नहीं देने पर बहू को जलाया


सोने की चूडिय़ां नहीं देने पर बहू को जलाया


भीलवाड़ा की बेटी के साथ मप्र के जावरा में हुई घटना, दस दिन से जिंदगी व मौत से संघर्ष करने के बाद दम तोड़ा

भीलवाड़ा सोने की चूडिय़ां नहीं देने पर भीलवाड़ा की बेटी को उसके मध्यप्रदेश के जावरा स्थित ससुराल में जिंदा जला दिया। करीब दस दिन से जिंदगी से संघर्ष कर रही इस बेटी ने सोमवार सुबह भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में दम तोड़ दिया। जावरा थाना प्रभारी बीपी वर्मा ने दूरभाष पर बताया कि नाथद्वारा सराय भीलवाड़ा निवासी माया की शादी 12 साल पहले जावरा के दुर्गाशंकर सिंधी से हुई थी। पति दुर्गाशंकर ट्रेन में नमकीन बेचता था। माया से पति, सास निर्मला व ननद पुष्पा दहेज स्वरूप सोने की चूडिय़ों की मांग कर रहे थे। पीहर पक्ष की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से माया, आरोपियों की यह मांग पूरी नहीं कर पाई। मांग पूरी नहीं करने पर छह दिसंबर की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे सास निर्मला ने माया पर केरोसिन डालकर आग लगा दी। इस दौरान पति व ननद भी कमरे में मौजूद थे। इससे माया गंभीर रूप से झुलस गई। उन्हें रतलाम अस्पताल में भर्ती करवाया गया। सात दिसंबर को रतलाम से भीलवाड़ा रैफर कर दिया गया। घटना के दस दिन बाद सोमवार सुबह माया ने दम तोड़ दिया। जावरा पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने के बाद शव पीहर पक्ष को सौंप दिया। थाना प्रभारी ने बताया कि जानलेवा हत्या का मामला दर्ज कर दिया गया है।


पति, सास व ननद गिरफ्तार

आठ दिसंबर को जावरा पुलिस ने माया के बयान पर पति, सास व ननद के खिलाफ दहेज की मांग कर प्रताडि़त करने व जानलेवा हमला करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया। उसी दिन पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया। कोर्ट में पेश करने पर तीनों को जेल भेज दिया गया था।

पहले भी कर चुके कोशिश : माया को जान से मारने की कोशिश एक साल पहले भी उसके ससुराल पक्ष के लोग कर चुके हैं। तब इन लोगों ने माया को छत से धकेल दिया था। माया बच गई। इसके बावजूद वह इन आरोपियों की प्रताडऩाओं का सामना कर ससुराल में ही रह रही थी।

छोटी बहन को भी मारा था : यूआईटी के पूर्व ट्रस्टी विनोद झुर्रानी ने बताया कि माया की एक बहन को दस साल पहले दहेज की खातिर जिंदा जला दिया था। उसकी भी मौत हो गई। इस मामले में पति को उम्र कैद हो गई थी।



मृतका चार बच्चों की मां थी, जबकि माया के आठ वर्षीय एक बेटा है।

नानी पर पांच बच्चों की जिम्मेदारी

माया के पिता नहीं है। मां और दो भाई हैं। भाई बीमार हैं। परिवार मां चलाती हैं। माया की छोटी बहन की मौत के बाद उसके चार बच्चे नानी के पास थे। अब माया की मौत हो जाने व पति सास के जेल में होने से उसके भी एक बेटे को पालने की जिम्मेदारी माया की मां पर आ गई है।

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